Idi Amin: 25 जनवरी 1971 से 11 अप्रैल 1979… ये वो तारीख है, जिसने युगांडा के इतिहास में क्रूरता का सबसे खौफनाक अध्यायन लिख डाला. 25 जनवरी 1971 को युगांडा में तख्तापलट हुआ. दरअसल ईदी अमीन पर भरोसा करने वाले युंगाडा के तत्कालीन प्रधानमंत्री मिल्टन ओबोटे जब 25 जनवरी 1971 को सिंगापुर में थे, तभी ईदी अमीन ने अपने पीएम का भरोसा तोड़ दिया और खुद युंगाडा की सत्ता अपने साथों में ले ली. सिर्फ कुछ घंटे की सैन्य कार्रवाई में पूरे देश की बागडोर ईदी अमीन के हाथ में आ गई.
ईदी अमीन के शासन को मानव अधिकारों के दुरूपयोग, राजनीतिक दमन, जातीय उत्पीड़न, गैर कानूनी हत्याओं, पक्षपात, भ्रष्टाचार और सकल आर्थिक कुप्रबंधन के लिए जाना जाता था. अमीन पर आठ साल के शासन में 6 लाख लोगों को मारने के आरोप लगे. लेकिन कोई उसके खिलाफ आवाज नहीं उठाता था.
अल्लाह का आदेश बताकर भारतीयों को खदेड़ा
4 अगस्त 1972 में ईदी अमीन ने युगांडा में रह रहे भारतीयों पर अत्याचार करना शुरू कर दिया. सदियों से रह रहे भारतीयों को देश छोड़ने पर मजबूर कर दिया, जिसके लिए उन्हें सिर्फ 90 दिन का वक्त दिया गया.अमीन ने भारतीयों की संपत्ति जब्त कर ली और उन्हें अपने वफादारों को सौंप दिया.
नरभक्षी और तानाशाह
वैसे तो ईदी अमीन पर कई किताबें लिखी जा चुकी हैं, लेकिन ‘अ स्टेट ऑफ़ ब्लड: द इनसाइड स्टोरी ऑफ़ ईदी अमीन’ नाम की किताब में उसके क्रूरता के ऐसे-ऐसे किस्से बताए, जिसे जानकर पूरी दुनिया सन्न रह गई थी. कहते हैं कि ईदी अमीन नरभक्षी था. वो इंसानी मांस और खून पीता था. लोगों का सिर काटकर फ्रिज में रख देता था. ईदी अमीन की क्रूरता का शिकार मकवाना परिवार भी हुआ, इसके एक फैसले ने बसंती मकवाना की जिंदगी बदल दी. कौन थीं बसंती मकवाना? और क्या मजबूरी थी कि तानाशाह अमीन को अपनी जान की भीख मांगनी पड़ी.
कौन थीं बसंती मकवाना?
युगांडा में मकवाना गुजराती परिवार भी रह रहा था. बसंती मकवाना के पिता वहां रोजगार के लिए गए थे. यहीं पर बसंती मकवाना का जन्म हुआ. लेकिन 14 साल की उम्र में बसंती ने ऐसी क्रूरता देखी, जिसे देखकर किसी की भी रूह कांप जाए. ईदी अमीन ने जब भारतीयों को देश छोड़ने के लिए कहा था तो इसका असर बसंती के परिवार पर भी पड़ा. उन्हें रातों-रात युगांडा छोड़ कर भागना पड़ा. युगांडा में फंसे लोगों को बचाने के लिए ब्रिटेन ने रिफ्यूजी कैंप बनाए थे. बसंती का परिवार भी करीब 100 किमी की दूरी तय कर अपने तीनों बच्चों के साथ उस कैंप में पहुंचा. लेकिन इस दौरान बसंती के एक भाई ने दम तोड़ दिया. अपने दुख को छिपाए मकवाना परिवार महीनों तक कैंप में रहने को मजबूर था. बाद में उस कैंप में रहने वाले रिफ्यूजी को ब्रिटेन भेज दिया गया, जिसमें 14 साल की बसंती और माता-पिता व भाई भी थे.
बसंती ने छोटी सी उम्र में देखी क्रूरता
बसंती मकवाना ने अपने इंटरव्यू में खुलासा किया था कि जब वो 14 साल की थीं, चारों तरफ अफरा-तफरी का माहौल था. अमीन के आदमी हैवानियत पर उतर आए थे. इंटरव्यू में मकवाना ने बताया था कि एक बार उन्होंने अमीन के आदमियों को बस में देखा था. वो बस लड़कियों से भरी हुई थी और अमीन के आदमियों ने लड़कियों के साथ रेप किया और उन्हें मारा पीटा. इस डरावनी तस्वीर को देखकर बसंती को अमीन से नफरत हो गई थी. बसंती का परिवार इंग्लैंड में शिफ्ट हुआ जहां उन्होंने पढ़ाई पूरी थी. उन्होंने एक डॉक्टर के तौर पर डिग्री हासिल की.
ईदी अमीन के वक्त का तख्ता-पलट
जिस ईदी अमीन ने मकवाना के परिवार को युगांडा से बाहर फेंक दिया था. उसी अमीन की जिंदगी बचाने के लिए बसंती मकवाना को आना पड़ा और ईदी अमीन उनके पैरों पर गिर गया था.
बसंती ने किया था ईदी का इलाज
बसंती ने अपने इंटरव्यू में बताया था कि ईदी जब सऊदी में था, उसे किडनी की खतरनाक बीमारी हो गई थी. ईदी के पास बहुत पैसा था. उसे जब पता चला कि कनाडा में किडनी की बड़ी महिला डॉक्टर है. वो डॉक्टर और कोई नहीं बल्कि बसंती मकवाना थीं. ईदी अमीन ने तुरंत प्राइवेट जेट से बसंती मकवाना को सऊदी अरब बुलवाया. मकवाना ने ईदी अमीन का बहुत रिस्की हीमोडायलिसिस किया. ईदी के सेहत में और सुधार आ सके, इसके लिए उन्होंने ईदी को कनाडा के हॉस्पिटल में शिफ्ट किया. ईदी अमीन जब अच्छा हो गया, तो उसने बसंती से उनकी फीस के बारे में पूछा. लेकिन मकवाना ने फीस लेने से मना कर दिया. ईदी की सेहत में सुधार के बाद उसे वापस सऊदी अरब लाया गया.
बसंती की कहानी सुनकर रो पड़ा था तानाशाह
ठीक होने के बाद अमीन ने फिर बसंती से फीस के लिए पूछा, लेकिन अबकी बसंती के सब्र का बांध टूट गया. मकवाना ने कहा, “आपने फीस नहीं बल्कि मेरे बारे में जान लेना चाहिए, क्योंकि तुम्हारे एक फैसले ने मेरी पूरी दुनिया बदला दी. कभी युगांडा में मेरा बचपन बीता था. लेकिन एक फैसले ने मेरी जिंदगी तहस-नहस कर दी.आपने रातों-रात जिन भारतीय को देश निकाला दिया था, मैं उनमें से ही एक हूं.आपकी वजह से मैंने अपना बचपन खो दिया. अपना भाई खो दिया था. देश से निकाले जाने के बाद हमें 100 किलोमीटर पैदल चलना पड़ा था. एक बिस्किट के पैकेट के लिए घंटों लाइन में खड़े रहते थे.”
बसंती ने मेहनत करके लंदन से MBBS MS की पढ़ाई पूरी की. उन्होंने अमेरिका से किडनी रोग में विशेषज्ञता हासिल की. बसंती ने ईदी से कहा कि उसकी वजह से कुछ साल बाद माता-पिता भी गुजर गए, लेकिन कभी हिम्मत नहीं हारी, इसलिए ही आज उसका इलाज कर पाई.
कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया कि बसंती ने अपने पेशे का ख्याल करके अमीन को ठीक कर दिया. बसंती ने जब ईदी अमीन को बताया कि वह कौन है, तो ईदी रो पड़ा था और अपने किए के लिए मांफी भी मांगी थी.
इलाज के बाद बसंती वापस कनाडा चली गईं. ईदी के इलाज के दौरान कई बार बसंती को सऊदी अरब भी आना पड़ा. लेकिन उन्होंने इलाज के लिए एक पैसा नहीं लिया. 16 अगस्त 2003 में बसंती मकवाना के सामने ही ईदी ने तड़पकर दम तोड़ दिया. कहते हैं कि मरते समय ईदी ने अपनी वसीयत मकवाना के नाम कर दी. लेकिन बसंती मकवाना ने खूंखार आदमखोर ईदी अमीन के दौलत को ठोकर मार दी.
ऐसे हुआ तानाशाह ईदी अमीन का अंत
जनवरी 1979 में, न्येरे ने तंजानिया के लोगों की रक्षक सेना तैयार की और जवाबी हमला कर दिया, जिसमें बाकी देशों में भी उनका साथ दिया. ऐसे में ईदी अमीन की सेना को पीछे हटना पड़ा. इस हमले से बचने के लिए अमीन ने लीबिया में सालभर गुजारा. उसके बाद ईदी सऊदी चला गया, जहां शाही परिवार ने उसे शरण दी. वहीं पर साल 2003 में इस खूंखार तानाशाह की मौत हो गई थी.
6 बीवियां और 45 बच्चे
कहते हैं कि ईदी अमीन न सिर्फ क्रूर था बल्कि बड़ा अय्याश भी था और अक्सर पार्टी किया करता था. उसने 6 शादियां कीं, जिसमें से 5 राष्ट्रपति बनने के बाद की. उसकी 6 बीवियों से 45 बच्चे हुए. उसने अपने हरम में भी कई महिलाओं को रखा हुआ था. लेकिन आखिरी वक्त में वह अकेला ही रह गया.