Prerna Sthal: संसद में स्वतंत्रता सेनानियों की मूर्तियों को एक से दूसरे जगह पर शिफ्ट करने का काम जारी है. इस मामले को लेकर सरकार और विपक्ष के बीच सियासी संग्राम चल रहा है. विपक्ष ने आरोप लगाया है कि सरकार जानबूझकर मूर्तियों को संसद के किनारे पर शिफ्ट कर रहा है. ताकि, विपक्षी सांसद सरकार के खिलाफ मूर्तियों के सामने एकजुट होकर अपनी नाराजी न जता सके और विरोध-प्रदर्शन ना कर सकें. काफी हंगामें के बीच इस आरोप पर सरकार ने भी सफाई दी है.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, इस मामले पर बोलते हुए लोकसभा स्पीकर ने कहा है कि मूर्तियों को हटाया नहीं गया, बल्कि शिफ्ट किया गया है. ऐसा इसलिए क्योंकि एक ही जगह पर सभी मू्र्तियां होने से लोगों को महान शख्सियतों के बारे में जानने में आसानी होगी. इसके बावजूद भी यह विवाद थमता हुआ नजर नहीं आ रहा है. लेकिन चलिए जानते हैं कि पूरा विवाद क्या है और इस पर पक्ष और विपक्ष का रूख क्या है?
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सरकार पर क्यों आरोप लगा रहा है विपक्ष?
आपको बता दें कि संसद के प्रमुख स्थानों पर पहले महात्मा गांधी और डॉ. अंबेडकर की मूर्तियां लगाई गई थीं. समय-समय पर यहां विपक्षी दलोंं के नेता सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने के लिए इकट्ठा होते थे. कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने सरकार पर आरोप लगाया है कि मूर्तीयों को प्रमुख स्थानों से हटाकर परिसर के किनारे में शिफ्ट करने की मुख्य वजह यह सुनिश्चित करना है कि महात्मा गांधी और डॉ. अंबेडकर की मूर्तियां संसद भवन के ठीक सामने किसी प्रमुख स्थान पर न हों. ताकी सांसद जरूरत पड़ने पर शांतिपूर्ण और लोकतांत्रिक विरोध प्रदर्शन ना कर सकें.
स्पीकर ओम बिरला ने बताई क्यों शिफ्ट की गईं मूर्तियां?
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के मुताबिक, ‘सभी महान शख्सियतों की मूर्तियों को प्रेरणा स्थल में शिफ्ट किया गया है, जो पुराने संसद भवन और संसद पुस्तकालय भवन के बीच लॉन में स्थित है. यह पूरे साल विजिटर्स के लिए खुला रहेगा. इसे देखने के लिए आने वाले लोग राष्ट्र निर्माण में योगदान देने वाले स्वतंत्रता सेनानियों के योगदान को जान सकेंगे. महान भारतीयों की जीवन गाथाओं और संदेशों को नई तकनीक के माध्यम से विजिटर्स तक पहुंचाने का प्लान बनाया गया है.’
उन्होंने आगे कहा कि संसद परिसर के बाहरी लॉन में बी आर अंबेडकर, महात्मा गांधी, महात्मा ज्योतिबा फुले, छत्रपति शिवाजी, महाराणा प्रताप, हेमू कलानी, महात्मा बसवेश्वर, कित्तूर रानी चन्नम्मा, मोतीलाल नेहरू, महाराज रणजीत सिंह, दुर्गा मल्ल, बिरसा मुंडा, राजर्षि छत्रपति शाहू महाराज और चौधरी देवी लाल जैसी विभूतियों की प्रतिमाएं हैं.