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दिल्ली की झांकी को क्यों नहीं मिली गणतंत्र दिवस परेड में जगह? जानें पर्दे के पीछे की कहानी

Republic Day Parade

Republic Day Parade

Republic Day Parade: गणतंत्र दिवस की परेड में शामिल होने वाली झांकियों को लेकर हर साल कुछ न कुछ चर्चा होती रहती है. हर 26 जनवरी को दिल्ली के कर्तव्य पथ पर जो भव्य परेड होती है, उसमें विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की झांकियां शामिल होती हैं. इन झांकियों के जरिए उस राज्य की संस्कृति, कला, और परंपराओं को पूरे देश के सामने प्रस्तुत किया जाता है.

हालांकि, इस बार गणतंत्र दिवस की परेड में हिस्सा लेने के लिए इस बार दिल्ली की झांकी को मंजूरी नहीं मिल पाई है. इसको लेकर आम आदमी पार्टी (AAP) और दिल्ली के पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल ने केंद्र सरकार और बीजेपी पर निशाना साधा है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि ये झांकियां कैसे चुनी जाती हैं? आइये सबकुछ विस्तार से जानते हैं.

झांकी का चयन कौन करता है?

गणतंत्र दिवस परेड में शामिल होने वाली झांकियों का चयन एक खास प्रक्रिया के तहत होता है. इसके लिए एक विशेषज्ञ समिति बनाई जाती है, जो इन झांकियों को देखने और चुनने का काम करती है. इस समिति का काम रक्षा मंत्रालय के तहत होता है. यह पैनल संस्कृति, कला, वास्तुकला, नृत्य, संगीत जैसे क्षेत्रों के विशेषज्ञों से बना होता है. यह समिति हर राज्य और केंद्र शासित प्रदेश से आए प्रस्तावों की जांच करती है और तय करती है कि कौन सी झांकी परेड में शामिल होगी.

झांकी का प्रस्ताव कैसे भेजा जाता है?

हर साल गणतंत्र दिवस की परेड में झांकी भेजने के लिए राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से प्रस्ताव प्राप्त होते हैं. इन प्रस्तावों को विशेषज्ञ समिति कई मापदंडों पर परखती है. सबसे पहले, प्रस्ताव की डिज़ाइन, थीम और विचार पर ध्यान दिया जाता है. इसके बाद, यह देखा जाता है कि झांकी कितनी आकर्षक और प्रभावशाली होगी. इसका मूल्यांकन तीन प्रमुख पहलुओं पर किया जाता है:

विषय (Theme) – झांकी का विषय क्या है? क्या यह किसी ऐतिहासिक घटना या सांस्कृतिक पहलू को दर्शाती है?
डिज़ाइन (Design)- झांकी की डिज़ाइन कितनी सुंदर और ध्यान आकर्षित करने वाली है?

विजुअल्स इंपेक्ट- क्या झांकी लोगों को आकर्षित करेगी? क्या इसका दृश्य प्रभाव मजबूत होगा?

इसके अलावा, झांकी के साथ संगीत भी बहुत महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि इससे झांकी का प्रभाव और बढ़ता है. सबकुछ सही ढंग से तैयार होने के बाद, विशेषज्ञ समिति इसे मंजूरी देती है और फिर यह झांकी परेड का हिस्सा बनती है.

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झांकियों का चयन कैसे किया जाता है?

झांकी का चयन छह क्षेत्रों में किया जाता है: उत्तर, दक्षिण, पूर्व, पश्चिम, मध्य और उत्तर-पूर्व. हर क्षेत्र से एक या अधिक झांकियों को चुना जाता है. यह तरीका इसलिए अपनाया गया है ताकि सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को बराबरी का मौका मिले और उनकी संस्कृति और परंपराओं का सही प्रतिनिधित्व हो सके.

क्या होता है जब झांकी खारिज होती है?

कभी-कभी कुछ राज्यों की झांकी को परेड में शामिल नहीं किया जाता, जिससे विवाद भी होते हैं. उदाहरण के लिए, 2022 में तमिलनाडु की झांकी को खारिज कर दिया गया था. यह झांकी ‘स्वतंत्रता संग्राम में तमिलनाडु’ पर आधारित थी, लेकिन केंद्र सरकार की विशेषज्ञ समिति ने इसे मंजूरी नहीं दी. इस पर तमिलनाडु सरकार ने नाराजगी जताई और राज्य में इस झांकी को अलग से प्रदर्शित किया. इसी तरह पश्चिम बंगाल और पंजाब की झांकियां भी पहले खारिज की जा चुकी हैं, जिसके चलते विवाद होते रहे हैं.

झांकियां केवल सजावट का हिस्सा नहीं

गणतंत्र दिवस परेड की झांकियां केवल सजावट का हिस्सा नहीं होतीं, बल्कि ये भारतीय संस्कृति, विरासत और एकता का प्रतीक होती हैं. जब ये झांकियां कर्तव्य पथ से गुजरती हैं, तो ये दर्शाती हैं कि भारत के विभिन्न हिस्सों में कितनी विविधता है. हर राज्य की अलग-अलग पहचान, कला, और संस्कृति को ये झांकियां पूरे देश के सामने लाती हैं. इससे न केवल भारतीय नागरिकों में देशभक्ति का जज्बा जागृत होता है, बल्कि दुनियाभर में भारतीय संस्कृति की एक झलक मिलती है.

गणतंत्र दिवस की परेड में झांकियों का चयन एक लंबी और बारीकी से की जाने वाली प्रक्रिया है, जिसमें हर पहलू पर विचार किया जाता है. विशेषज्ञ समिति इसे पारदर्शी और निष्पक्ष तरीके से करती है ताकि हर राज्य की सांस्कृतिक धरोहर को सही तरीके से प्रस्तुत किया जा सके. हालांकि, कभी-कभी कुछ झांकियों को खारिज किया जाता है, जिससे विवाद भी होते हैं.

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