अरुण योगीराज को दोबारा क्यों बनानी पड़ी रामलला की प्रतिमा? मूर्तिकार ने खुद बताई वजह
Arun Yogiraj on Ramlala Idol: प्रसिद्ध मूर्तिकार अरुण योगीराज ने रामलला की प्रतिमा बनाने के दौरान घटी घटनाओं के बारे में विस्तार से बताया है. योगीराज ने कहा कि रामलला की प्रतिमा का 70 प्रतिशत काम पूरा हो चुका था. अचनाक दिल्ली से आए एक फोन के बाद उन्हें दोबारा प्रतिमा का निर्माण शुरू करना पड़ा. योगीराज ने कहा, “मुझे प्रतिमा दोबारा बनाने के लिए कहा गया था… मैंने एक मिनट के अंदर हां तो कह दिया, लेकिन बाद में एक टेंशन शुरू हो गया.” बता दें कि राम मंदिर ट्रस्ट ने मूर्ति बनाने के लिए चार चीजें बताई थीं. इसमें मुस्कुराता हुआ चेहरा, पांच साल के बच्चे जैसा स्वरूप, युवराज जैसा चेहरा और दिव्य दृष्टि शामिल था .
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इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में मूर्तिकार अरुण योगीराज ने कहा, ‘मैंने जून में प्रतिमा बनाना शूरू किया था. अगस्त तक लगभग 70 प्रतिशत काम पूरा हो चुका था. अचानक मिश्राजी ने फोन किया कि अरुण दिल्ली आ जाओ. मैंने सोचा कि मैं बहुत अच्छा काम कर रहा हूं. शायद बहुत बड़ा काम मिलने वाला है. दिल्ली पहुंचा. मिश्राजी ने मुझसे कहा कि 8 टेस्ट में से एक रिपोर्ट निगेटिव आई है. इस पत्थर पर आगे काम नहीं कर सकते. देश के प्रति हमारी जवाबदेही है. तुम युवा हो और तुम्हारे पास दो महीने का समय है. मुझे पता है तुम यह कर लोगे. मैं एक मिनट के अंदर ही उनकी बातों से सहमत हो गया.’
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अरुण ने आगे कहा, ‘मैंने उन्हें एक मिनट के अंदर हां तो कह दिया, लेकिन बाद में एक टेंशन शुरू हो गया. मैं मूर्ति को पूरी करने के बेहद करीब पहुंच चुका था. मैं सोचने लगा कि मेरे जीवन के लिए ये एक बड़ी उपलब्धि थी फिर मेरे साथ ऐसा क्यों हुआ? बहुत डिप्रेशन में था. उस समय चंपत राय जी ने मेरी बहुत मदद की. उनको लगने लगा था कि मैं डिप्रेशन में जाऊंगा. उन्होंने मुझे गले से लगा लिया और कंधों को थपथपाते हुए कहा कि हिम्मत मत हारो भगवान परीक्षा ले रहा है.’
21 जनवरी को हुई थी रामलला की प्राण प्रतिष्ठा
बता दें कि अयोध्या स्थित राम मंदिर में 21 जनवरी को रामलला की प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा हुई थी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, सीएम योगी आदित्यनाथ समेत देशभर की कई हस्तियां समारोह में शामिल हुई थी. इस अवसर को प्रधानमंत्री मोदी ने एक नए युग के आगमन का प्रतीक करार दिया था.