Winter Weather 2024: दिसंबर का महीना शुरू हो चुका है, और सामान्य तौर पर इस समय तक भारत के उत्तरी हिस्सों में कड़ाके की ठंड महसूस होनी चाहिए थी, लेकिन इस बार ठंड का असर नजर नहीं आया है. दिल्ली और उत्तर भारत में तापमान सामान्य से अधिक बना हुआ है, और मौसम विभाग के अनुसार, 8 दिसंबर तक तापमान 26 डिग्री सेल्सियस के आसपास रह सकता है. इस असामान्य मौसम के पीछे कई कारण हैं.
ठंड का न आना…मौसम की चेतावनी
मानसून के बाद से मौसम काफी शुष्क बना हुआ है, और उत्तर भारत में बारिश की कमी ने ठंड को और अधिक दूर कर दिया है. अक्टूबर से दिसंबर के बीच आमतौर पर हल्की बारिश होती है, जो सर्दियों के तापमान को कम करने में मदद करती है, लेकिन इस बार यह बारिश नहीं हो पाई. इससे न केवल ठंड पर असर पड़ा है, बल्कि तापमान भी सामान्य से अधिक बना हुआ है. हैरत की बात ये भी है कि इस समय आमतौर पर पहाड़ों में खूब बर्फबारी होती है, लेकिन इस बार पहाड़ों में भी सफेदी की कमी है.
सर्दियां हो रही हैं गर्म
जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग का असर भारत के मौसम पर दिखाई देने लगा है. क्लाइमेट सेंट्रल के एक रिसर्च में यह पाया गया कि पिछले कुछ दशकों में भारत के सर्दियों के मौसम में तापमान में लगातार वृद्धि हो रही है. रिसर्च से पता चला है कि 1970 से 2023 के बीच सर्दियों में तापमान में आश्चर्यजनक बढ़ोतरी हुई है, और खासकर उत्तर भारत में यह वृद्धि अधिक देखी जा रही है. यानी की अब सर्दियां गर्म हो रही हैं.
धीरे-धीरे गायब हो रही है वसंत ऋतु
ग्लोबल वार्मिंग के कारण वसंत ऋतु का समय भी कम होता जा रहा है. अब फरवरी में भी गर्मी का अनुभव होने लगा है, जबकि पहले यह महीना सर्दियों का हिस्सा माना जाता था. उत्तर भारत में दिसंबर और जनवरी में ठंडक कम होने और फरवरी में गर्मी बढ़ने से यह संकेत मिलता है कि वसंत का समय संकुचित हो रहा है और ठंड का मौसम शेष सालों से काफी कम हो सकता है.
भारत में कुछ क्षेत्रों में सर्दियों के दौरान असामान्य रूप से गर्मी का अनुभव हो रहा है. उदाहरण के तौर पर, पिछले साल जम्मू और कश्मीर में फरवरी में तापमान में 3.1 डिग्री सेल्सियस की बढ़ोतरी देखी गई. वहीं, तेलंगाना जैसे राज्यों में यह वृद्धि 0.4 डिग्री सेल्सियस रही. हालांकि, इसके विपरीत पूर्वोत्तर भारत के कुछ हिस्सों में गर्मी का असर अधिक देखा गया है, जहां मणिपुर और सिक्किम जैसे राज्यों में तापमान में बढ़ोतरी हुई.
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ग्लोबल वार्मिंग का ‘गोल’
विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) का कहना है कि ग्लोबल वार्मिंग ने पूरी दुनिया में मौसम को बदल दिया है, और यह बदलाव भारत में भी दिखाई दे रहा है. 2023 में वैश्विक तापमान पूर्व-औद्योगिक स्तरों से 1.45 डिग्री सेल्सियस अधिक था, जो एक रिकॉर्ड है. जुलाई और अगस्त के महीने सबसे गर्म रहे, और इसके बाद हर महीने नए तापमान रिकॉर्ड बने.
जलवायु परिवर्तन पर कार्रवाई की जरूरत-WMO
WMO के महासचिव प्रो. सेलेस्टे साउलो ने जलवायु परिवर्तन को लेकर चेतावनी दी है और कहा कि जलवायु परिवर्तन मानवता के सामने सबसे बड़ी चुनौती है. उन्होंने यह भी कहा कि जलवायु परिवर्तन का असर सबसे ज्यादा कमज़ोर लोगों पर पड़ रहा है, और इससे बचने के लिए हमें ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कमी करनी होगी और अक्षय ऊर्जा (Renewable Energy)के स्रोतों को बढ़ावा देना होगा. संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने भी इस संकट को गंभीर रूप से लिया और कहा, “मानव की हरकतें पृथ्वी को झुलसा रही हैं. 2023 उस भयावह भविष्य की झलक है, जो अभी हमारे सामने नहीं है, लेकिन आ सकता है.”
क्या करें हम?
जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से बचने और स्थिति को सुधारने के लिए अब हमें तात्कालिक कदम उठाने की जरूरत है. दुनिया भर के देशों को वैश्विक तापमान को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखने के लिए कड़े कदम उठाने होंगे. साथ ही, जलवायु न्याय सुनिश्चित करने के लिए भी एकजुट होकर काम करना होगा. हमारे आने वाली पीढ़ियों के लिए एक स्थिर और सुरक्षित पर्यावरण सुनिश्चित करने के लिए अब हमारी आकांक्षाओं और कार्रवाई में तेजी लाने का समय आ गया है.
क्या कर रहे हैं हम?
भारत में भी जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को गंभीरता से लिया जा रहा है, लेकिन इस दिशा में और अधिक ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है. हमें सिर्फ जलवायु परिवर्तन से बचने के उपाय नहीं करने चाहिए, बल्कि इसके प्रभावों का भी सामना करने के लिए योजना बनानी चाहिए. खासकर गर्मियों में अधिक गर्मी और सर्दियों में कम ठंड जैसी असामान्य स्थितियों को ध्यान में रखते हुए स्थिर और टिकाऊ समाधान ढूंढ़ने होंगे.
जलवायु परिवर्तन का असर अब हर मौसम में महसूस किया जा रहा है, और अगर इस पर सही समय पर काम नहीं किया गया तो आने वाले वर्षों में इसके प्रभाव और भी गंभीर हो सकते हैं. सरकारों, वैज्ञानिकों और आम नागरिकों को मिलकर इस संकट का समाधान निकालने की आवश्यकता है. भारत में सर्दियों के मौसम में हो रही इस अजीब बदलाव से यह साफ संकेत मिलता है कि हम जितना जल्दी जलवायु परिवर्तन के खिलाफ कदम उठाएंगे, उतना ही बेहतर होगा.