Year Ender 2024: इस साल भारतीय राजनीति में कई नेताओं ने ऐसे बयान दिए, जिन्होंने देशभर में विवाद पैदा किया. इन बयानों ने राजनीति, धर्म और समाज के विभिन्न पहलुओं को लेकर गहरी बहस छेड़ी.ये बयान राजनीति, धर्म, और समाज के विभिन्न पहलुओं से जुड़े थे और इन पर तीखी प्रतिक्रियाएं भी आईं.आइए जानते हैं इन विवादित बयानों के बारे में जिससे सियासत गरमाई और जो पूरे साल सुर्खियों में बने रहे.
मल्लिकार्जुन खड़गे
कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे अपने विवादित बयानों के लिए अक्सर चर्चा में रहते हैं. 2024 में उन्होंने कई ऐसे बयान दिए, जो राजनीतिक रूप से काफी संवेदनशील साबित हुए. महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के दौरान उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा, “अगर भारत में सबसे खतरनाक चीज कुछ है, तो वह भाजपा और आरएसएस हैं. ये जहर की तरह हैं. अगर सांप किसी को काटे तो वह मर जाता है, वैसे ही इस जहरीले सांप को मार देना चाहिए.” इस बयान पर खूब हंगामा हुआ.
इसके बाद, खड़गे ने पीएम मोदी पर और भी गंभीर आरोप लगाए. उन्होंने मोदी को तैमूर लंग के समान बताया और कहा कि मोदी की सरकार जेडीयू और टीडीपी की बैसाखियों पर टिकी हुई है. इसके अलावा, उन्होंने पीएम मोदी को ‘झूठों का सरदार’ भी कहा.
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लालू प्रसाद यादव
राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव अपने बयानों के लिए हमेशा विवादों में रहते हैं. 2024 में भी उनके बयान ने सियासी हलचल मचाई. उन्होंने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की ‘महिला संवाद यात्रा’ पर तंज कसते हुए कहा कि नीतीश कुमार ‘आंखें सेंकने’ जा रहे हैं. यह बयान नीतीश कुमार के प्रति बेहद आपत्तिजनक था और इसे लेकर बिहार में सियासी बवाल मच गया. जेडीयू और बीजेपी ने इस बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया दी. बिहार के डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी ने कहा कि लालू प्रसाद शारीरिक रूप से ही नहीं, मानसिक रूप से भी बीमार हो चुके हैं और उन्हें इलाज की जरूरत है.
राहुल गांधी
कांग्रेस नेता राहुल गांधी भी 2024 में विवादों में रहे. उन्होंने एक विदेशी दौरे के दौरान धार्मिक स्वतंत्रता पर बयान दिया, जो देशभर में चर्चा का विषय बन गया. राहुल गांधी ने अमेरिका में एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि भारत में धार्मिक स्वतंत्रता घट रही है. उन्होंने यह भी कहा कि भारत में धार्मिक भेदभाव की समस्या बढ़ रही है, और यह केवल एक समुदाय तक सीमित नहीं है, बल्कि सभी धर्मों के लोगों के अधिकारों की सुरक्षा खतरे में है. यह बयान भारतीय राजनीति में एक नई बहस का कारण बना.
राहुल गांधी ने एक और बयान दिया, जिसमें उन्होंने कहा कि कांग्रेस तब तक आरक्षण को खत्म करने पर विचार नहीं करेगी, जब तक भारत में सभी को समान अवसर नहीं मिलते. इस बयान ने आरक्षण पर चल रही बहस को और तेज कर दिया, और कई सामाजिक और राजनीतिक समूहों ने इसे अपने तरीके से लिया.
गिरिराज सिंह
केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह अक्सर अपने बयानों को लेकर सुर्खियों में रहते हैं. 2024 में उन्होंने छठ पूजा के दौरान पूजा सामग्री की खरीदारी को लेकर शुद्धता पर सवाल उठाया. उनके इस बयान ने एक धर्म विशेष को निशाना बनाया और विवाद पैदा कर दिया. इसके बाद, उन्होंने शिमला मस्जिद विवाद पर भी टिप्पणी की और कहा कि पूरे देश में शिमला मॉडल लागू किया जाना चाहिए. उनका मतलब था कि अवैध मस्जिदों को तोड़ने के लिए शिमला जैसी कार्यवाही की जानी चाहिए. उनके इस बयान ने धार्मिक और सांप्रदायिक मुद्दों को और हवा दी.
इल्तिजा मुफ्ती
जम्मू और कश्मीर की पीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती की बेटी इल्तिजा मुफ्ती ने 2024 में एक विवादित बयान दिया. उन्होंने हिंदुत्व को ‘बीमारी’ बताया और कहा कि भगवान राम भी इस देखकर शर्म महसूस करेंगे कि उनके नाम का इस्तेमाल करके मुस्लिम बच्चों को मारा जा रहा है. इस बयान पर कई धार्मिक समूहों ने कड़ी प्रतिक्रिया दी.
सैम पित्रोदा
भारतीय ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष सैम पित्रोदा ने भी एक बयान दिया, जो बेहद विवादित था. उन्होंने भारतीयों की नस्लीय विशेषताओं के बारे में टिप्पणी करते हुए कहा कि उत्तर भारत के लोग सफेद दिखते हैं, जबकि पूर्वी भारत के लोग चीनी जैसे, दक्षिण भारतीय लोग अफ्रीकी जैसे और पश्चिम भारतीय लोग अरब जैसे दिखते हैं. इस बयान ने नस्लीय भेदभाव के आरोपों को जन्म दिया और कांग्रेस पार्टी ने बाद में इससे खुद को अलग कर लिया.
भाई जगताप
कांग्रेस नेता भाई जगताप ने चुनाव आयोग के बारे में बेहद आपत्तिजनक बयान दिया. उन्होंने चुनाव आयोग को ‘कुत्ता’ कहा और आरोप लगाया कि यह पीएम मोदी के पक्ष में काम कर रहा है. उन्होंने यह भी कहा कि लोकतंत्र को मजबूत करने वाली संस्थाएं अब सिर्फ कठपुतली बनकर रह गई हैं.
2024 में नेताओं के विवादित बयानों ने सियासत को और अधिक जटिल बना दिया. इन बयानों ने न केवल विभिन्न राजनीतिक दलों के बीच टकराव को बढ़ाया, बल्कि धार्मिक और सामाजिक मुद्दों को भी सतह पर ला दिया. इन नेताओं के बयान भारतीय राजनीति में विचारधारा, धर्म, और समाज के मसलों पर नए सवाल खड़े करते हैं, जो आने वाले समय में और अधिक गहन बहस का कारण बन सकते हैं.