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हिंदू समुदाय पर हमले, इस्कॉन पर प्रतिबंध की मांग…बवाल के बाद बांग्लादेश हाई कोर्ट में याचिका दायर, क्या है भारत का रुख?

Bangladesh ISKCON: बांग्लादेश में इन दिनों हिंदू समुदाय के खिलाफ लगातार हो रहे हमलों और धार्मिक असुरक्षा के माहौल के बीच एक महत्वपूर्ण घटना घटी है. बुधवार, 27 नवंबर 2024 को बांग्लादेश की हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई, जिसमें इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉंशियसनेस (ISKCON) पर प्रतिबंध लगाने की मांग की गई. इस याचिका में बांग्लादेश के दो प्रमुख शहरों, चिटगांव और रंगपुर में हो रही अशांति को रोकने के लिए वहां आपातकाल की स्थिति लागू करने की भी अपील की गई है.

हाई कोर्ट ने सरकार से पूछे सवाल

बांग्लादेश हाईकोर्ट ने इस याचिका पर सुनवाई करते हुए बांग्लादेश सरकार से यह सवाल किया कि ISKCON की हाल की गतिविधियों को लेकर उसने अब तक कौन से कदम उठाए हैं. इस संदर्भ में सरकार से जानकारी देने के लिए कोर्ट ने गुरुवार, 28 नवंबर 2024 को एटॉर्नी जनरल मोहम्मद असदुज्जामन को निर्देश दिए हैं. इस याचिका की सुनवाई कर रहे जस्टिस फराह महबूब और जस्टिस देबाशीष रॉय चौधरी की बेंच ने इस मामले पर विशेष ध्यान दिया है, और सरकार से जल्द जवाब मांगा है.

हिंसा की शुरुआत

बांग्लादेश में हालिया हिंसा की शुरुआत 25 नवंबर 2024 को हुई, जब ढाका एयरपोर्ट पर प्रमुख हिंदू साधु चिन्मय कृष्ण दास प्रभु को गिरफ्तार किया गया. वे बांग्लादेश में हिंदू समुदाय और धार्मिक अल्पसंख्यकों के अधिकारों के लिए काम करने वाले एक प्रमुख व्यक्तित्व हैं. उन पर राजद्रोह का आरोप लगाया गया, और गिरफ्तारी के बाद उन्हें जमानत नहीं दी गई.

चिन्मय कृष्ण दास प्रभु की गिरफ्तारी ने बांग्लादेश में धार्मिक अल्पसंख्यकों के बीच भय और असुरक्षा की भावना को और बढ़ा दिया है. वे पहले भी बांग्लादेश में हिंदू समुदाय पर हो रहे अत्याचारों और अन्य धार्मिक अल्पसंख्यकों के अधिकारों के संरक्षण के लिए कई विरोध प्रदर्शन कर चुके थे.

बांग्लादेश में विरोध प्रदर्शन

चिन्मय कृष्ण दास प्रभु की गिरफ्तारी के बाद बांग्लादेश में हिंदू समुदाय के लोगों ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया. खासकर चिटगांव और रंगपुर शहरों में हिंसा फैल गई. चिटगांव में कोर्ट के बाहर हुए प्रदर्शनों में उग्र प्रदर्शनकारियों ने हिंसा शुरू कर दी, जिसके कारण एक वकील की मौत हो गई और 20 से ज्यादा लोग घायल हो गए. यह हिंसा तब और बढ़ गई जब प्रदर्शनकारियों ने सरकारी संपत्ति और हिंदू विरोधी कार्यों के खिलाफ नारेबाजी की. इन घटनाओं ने बांग्लादेश में धार्मिक असहिष्णुता और अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के सवाल को फिर से उभार दिया है.

इस्कॉन ने की अंतरराष्ट्रीय हस्तक्षेप की अपील

इस्कॉन ने चिन्मय कृष्ण दास प्रभु की गिरफ्तारी की कड़ी निंदा की है और दुनिया भर के देशों से बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा के लिए हस्तक्षेप की अपील की है. इस्कॉन के प्रवक्ता ने कहा, “संयुक्त राष्ट्र और अंतरराष्ट्रीय समुदाय को बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के लिए कदम उठाने चाहिए.” इस्कॉन का मानना है कि बांग्लादेश में हिंदू समुदाय और अन्य अल्पसंख्यकों पर लगातार हो रहे हमले चिंता का विषय हैं और इस पर तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता है.

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भारत की चिंता

भारत सरकार ने भी बांग्लादेश में हो रही हिंसा और घटनाओं पर अपनी गहरी चिंता व्यक्त की है. भारतीय विदेश मंत्रालय ने मंगलवार, 26 नवंबर 2024 को एक बयान जारी किया, जिसमें बांग्लादेश में हिंदू और अन्य अल्पसंख्यकों पर हो रहे हमलों की कड़ी निंदा की गई मंत्रालय ने बताया कि इन हमलों में अल्पसंख्यकों के घरों को जलाया गया, दुकानों और मंदिरों को लूटा गया और देवी-देवताओं की मूर्तियों को अपवित्र किया गया. भारत सरकार ने बांग्लादेश सरकार से यह अपील भी की है कि वे हिंदू समुदाय और अन्य धार्मिक अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करें. भारत ने बांग्लादेश में चल रहे शांतिपूर्ण हिंदू विरोध प्रदर्शनों पर हुए हमलों की भी निंदा की है.

बांग्लादेश का पलटवार

बांग्लादेश सरकार ने भारत के बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है. बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय ने भारत की आलोचना करते हुए कहा कि यह मामला बांग्लादेश के आंतरिक मामलों से संबंधित है और भारत को इसमें हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए. बांग्लादेश सरकार ने यह भी दावा किया कि चिन्मय कृष्ण दास प्रभु की गिरफ्तारी पर कुछ लोगों ने गलत जानकारी फैलाई है. बांग्लादेश सरकार का कहना है कि उन्हें विशेष आरोपों के तहत गिरफ्तार किया गया है और उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की गई है. बांग्लादेश में हिंदू समुदाय और धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ हो रही हिंसा और असुरक्षा का माहौल चिंता का विषय बन चुका है.

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