India-Canada Row: विदेश मंत्रालय ने कनाडा में एक जांच के दौरान भारतीय दूत संजय कुमार वर्मा पर “बेतुके” आरोपों के लिए ट्रूडो सरकार की आलोचना करने के बाद कनाडाई उप उच्चायुक्त स्टीवर्ट व्हीलर को तलब किया है. भारत ने कहा कि उसे एक राजनयिक संचार प्राप्त हुआ है जिसमें सुझाव दिया गया है कि कनाडा में भारतीय उच्चायुक्त संजय कुमार वर्मा और अन्य राजनयिक खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की मौत से संबंधित जांच में “रुचि के व्यक्ति” हैं.
आमतौर पर रुचिकर व्यक्ति वह होते हैं, जो किसी आपराधिक मामले में संदिग्ध होते हैं. हालांकि, उन पर औपचारिक तौर पर कोई आरोप नहीं लगाए जाते. उल्लेखनीय है कि पिछले साल सितंबर में कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो की ओर से भारतीय मूल के कनाडाई नागरिक हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारतीय एजेंटों की “संभावित” संलिप्तता के आरोप लगाने के बाद दोनों देशों के बीच संबंध गंभीर तनाव में चल रहे हैं.
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वोट बैंक की राजनीति पर केंद्रित है आरोप- विदेश मंत्रालय
विदेश मंत्रालय ने कहा, “भारत सरकार इन बेतुके आरोपों को दृढ़ता से खारिज करती है और इन्हें ट्रूडो सरकार के राजनीतिक एजेंडे का हिस्सा मानती है, जो वोट बैंक की राजनीति पर केंद्रित है.” विदेश मंत्रालय ने सोमवार को अपने बयान में कहा, “चूंकि प्रधानमंत्री ट्रूडो ने सितंबर 2023 में कुछ आरोप लगाए थे, इसलिए हमारी ओर से कई अनुरोधों के बावजूद, कनाडा सरकार ने भारत सरकार के साथ सबूतों का एक टुकड़ा भी साझा नहीं किया है.”
#WATCH | Delhi: Canadian Chargé d’Affaires Stewart Wheeler reaches the Ministry of External Affairs (MEA) after being summoned by the Ministry. pic.twitter.com/iKbdUvoXbM
— ANI (@ANI) October 14, 2024
विदेश मंत्रालय ने कहा, “इस उद्देश्य से, ट्रूडो सरकार ने जानबूझकर हिंसक चरमपंथियों और आतंकवादियों को कनाडा में भारतीय राजनयिकों और सामुदायिक नेताओं को परेशान करने, धमकाने और डराने के लिए जगह प्रदान की है.”
विदेश मंत्रालय ने अनदेखी का लगाया आरोप
बयान में कहा गया है, “इसमें उन्हें और भारतीय नेताओं को जान से मारने की धमकियां देना भी शामिल है. इन सभी गतिविधियों को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर उचित ठहराया गया है. कनाडा में अवैध रूप से प्रवेश करने वाले कुछ व्यक्तियों को नागरिकता देने के लिए तेजी से काम किया गया है. कनाडा में रहने वाले आतंकवादियों और संगठित अपराध के नेताओं के संबंध में भारत सरकार की ओर से कई प्रत्यर्पण अनुरोधों की अनदेखी की गई है.”