PM Modi Laos Visit: पीएम मोदी आज 10 अक्टूबर को लाओस के दो दिन के दौरे पर निकल चुके है. इस दो दिन के दौरे के दौरान पीएम 21वें आसियान-भारत शिखर सम्मेलन और 19वें ईस्टी एशिया शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेंगे. लाओस इस साल आसियान सम्मेलन की अध्यक्षता कर रहा है. इस दौरे के बीच ये भी जानना जरूरी है कि 77 लाख की छोटी आबादी वाला लाओस भारत के लिए रणनीतिक तौर पर इतना महत्व क्यों रखता है.
लाओस की दो दिवसीय यात्रा पर रवाना हुए पीएम मोदी, 21वें आसियान-भारत और 19वें पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में लेंगे भाग.#Delhi #Laos #ASEANIndia #EastAsiaSummits #PMModi #VistaarNews pic.twitter.com/k8laH2r6IC
— Vistaar News (@VistaarNews) October 10, 2024
लाओस की भौगोलिक स्थिति है खास
लाओस की भौगोलिक स्थिति इसे साउथ-ईस्ट एशिया में एक महत्वपूर्ण रणनीतिक देश बनाती है. लगभग 77 लाख की आबादी वाला लाओस, एकमात्र ऐसा देश है जो इस क्षेत्र में चारों ओर से जमीन से घिरा हुआ है. इसके नॉर्थ-वेस्ट में म्यांमार और चीन, ईस्ट में वियतनाम, साउथ-ईस्ट में कंबोडिया, और वेस्ट तथा साउथ-वेस्ट में थाईलैंड स्थित हैं. चीन और म्यांमार से घिरे होने के कारण लाओस की भौगोलिक स्थिति भारत के लिए रणनीतिक रूप से अत्यंत महत्वपूर्ण है.
साउथ-ईस्ट एशिया में अपने भौगोलिक महत्व के कारण लाओस हमेशा से व्यापार के लिए महत्वपूर्ण रहा है. इसके रणनीतिक स्थिति के कारण इसे फ्रांस और जापान जैसे देशों के लिए आकर्षण का केंद्र बनाया था. 1953 में लाओस की स्वतंत्रता के बाद, चीन ने भी प्रभाव बनाने की कोशिश की थी.
लाओस से भारत के संबंध हैं ऐतिहासिक
भारत और लाओस के बीच कूटनीतिक संबंध फरवरी 1956 में स्थापित हुए थे. इससे पहले, 1954 में, भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और 1956 में भारत के पहले राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद ने लाओस का दौरा किया था. यह दर्शाता है कि भारत ने शुरुआत से ही लाओस को एक महत्वपूर्ण सहयोगी के रूप में देखा है. आज के समय में दक्षिण चीन सागर में चाइना की एक्सपेंशन की नीतियों के चलते लाओस और भारत के बीच का यह संबंध और भी अधिक महत्वपूर्ण हो गया है. भारत के लिए लाओस इस क्षेत्र में स्थिरता बनाए रखने के लिए मददगार हो सकता है.
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भारत-लाओस के बीच समझौते
लाओस की प्रमुख नदी, मेकांग, इस देश की आर्थिक और व्यापारिक धारा को प्रभावित करती है. यह नदी न केवल लाओस के लिए एक महत्वपूर्ण परिवहन मार्ग है, बल्कि यहां से बनने वाली बिजली पड़ोसी देशों को भी निर्यात की जाती है. भारत ने लाओस के साथ इस क्षेत्र में भी सहयोग किया है, विशेषकर सिंचाई और विद्युत परियोजनाओं में.
साल 2008 में, भारत ने लाओस में एयर फोर्स एकेडमी खोलने का फैसला किया था, और इसके साथ ही लाओस की सेना को आधुनिक तकनीक देने में भी मदद की थी. इसके अलावा, विज्ञान, तकनीक और व्यापार के क्षेत्र में भी दोनों देशों के बीच कई समझौते हुए हैं.
लाओस ने जारी किया था रामलला का डाक टिकट
लाओस ने भारत के प्रति हमेशा सकारात्मक रवैया अपनाया है और कई मुद्दों पर उसका समर्थन किया है. लाओस ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत के स्थायी सदस्यता के प्रयासों का समर्थन किया है. राम मंदिर उद्घाटन के दौरान, लाओस ने राम लला पर एक विशेष डाक टिकट जारी किया, जो दुनिया में अपनी तरह का पहला कदम था. इसके अलावा, कोरोना महामारी के दौरान भारत ने लाओस को सहायता पहुंचाई थी, जिसके लिए लाओस ने खुले तौर पर भारत की सराहना की थी.
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