Israel-Iran युद्ध को लेकर भारतीय लोगों का उत्साह हैरान करने वाला है. सोशल मीडिया को पैमाना मानें तो दो ग्रुप सक्रिय हैं. एक जो ‘I Stand With Israel’ की मुहिम में शामिल है. तो वहीं, दूसरा खेमा ईरान के लिए पैरवी कर रहा है और मिसाइल अटैक के बाद खुशी का इजहार कर रहा है. लेकिन, यह दोनों खमों के लोग वो नादान परिंदे हैं जिनके पंख युद्ध के चिंगारी में जलकर खाक हो सकते हैं. इस बीच कुछ ऐसे लोग भी हैं जिनके लिए यह जंग किसी मेले में मुर्गा लड़ाने वाले एंजॉयमेंट से कम नहीं है. बात-बात पर ‘फुल स्केल वॉर’ की रट लगाए बैठे हैं. लेकिन, इन तमाम सोच वाले लोगों को यह नहीं पता कि फुल स्केल वॉर का मतलब भारत में ‘फुल स्केल बेरोजगारी’ भी हो सकती है. ऐसा क्यों? क्योंकि इस जंग के चलते भारत की टॉप 14 कंपनियों की सेहत दांव पर लग गई है. इन जाइंट कंपनियों के दम पर ही हम तेजी से बढ़ती इकॉनमी और आर्थिक ताकत होने का दम काफी हद तक भरते हैं. चूंकि, हम विस्तार न्यूज हैं, तो हम आपको विस्तार से इसके बारे में बताते हैं कि यह जंग भारत के लिए हानिकारक क्यों है?
जब से ईरान ने इज़राइल पर मिसाइल दागी है तब से फुल स्केल वॉर की आशंका बढ़ गई है. इस आशंका का ही असर है कि भारत समेत दुनिया के तमाम शेयर बाज़ार धड़ाम करके गिरे जा रहे हैं. क्या भारत के NIFTY, Sensex और क्या अमेरिका के Dow Jones सभी गोते लगा रहे हैं. इन स्टॉक एक्सचेंज में दुनिया की 60 फ़ीसदी अर्थव्यवस्था कंपनियों के रूप में लिस्टेड है. शुक्रवार को भी भारत में बाज़ार खुलते ही औंधे मुंह गिरा. इसके पहले गुरुवार को भी Sensex 1769 अंक और Nifty 546 अंक टूटा था. भारत की Tata से लेकर Adani पोर्ट, सन फ़ार्मा, कल्याण ज्वेलर्स, विप्रों, टेक महिंद्रा समेत टॉप 14 कंपनियां युद्ध की जद में हैं. क्योंकि, इन कंपनियों ने इज़राइल में काफ़ी निवेश कर रखा है. अगर युद्ध बड़े स्तर पर होता है तो इसका सीधा असर इन कंपनियों पर पड़ेगा और फिर तबाही भारतीय शेयर मार्केट में दिखेगी. जिसका सीधा असर निवेशकों और फिर भारतीय अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा.
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भारत की Tata कंपनी की बात करें तो इसका कारोबार ज्वेलरी सेक्टर से लेकर आईटी, माइनिंग और कंसल्टेंसी तक फैला हुआ है. अगर फ़ुल स्केल वॉर होता है तो टाटा ग्रुप की Titan और TCS के शेयर में भारी गिरावट देखी जा सकती है. इसके अलावा आईटी सेक्टर की जाइंट कंपनियां विप्रो और टेक महिंद्रा के शेयर भी टूटने तय हैं. वहीं, Adani की तो इजराइल के हाइफ़ा पोर्ट में बड़ी हिस्सेदारी है. यह पोर्ट इजराइल के सबसे व्यस्त बंदरगाहों में से एक है और इसमें अड़ानी ग्रुप बड़े स्तर पर काम कर रहा है.
भारत का SBI बैंक की शाखाएं भी इज़राइल में हैं, जहां पर स्थानीय लोगों अपने पैसा और कारोबार से जुड़े लेनदेन इसके ज़रिए करते हैं. ऐसे में बैंकिंग सेक्टर पर भी आघात तय मानिए. क्योंकि, भारतीय शेयर बाज़ार में SBI की धाक और शाख़ काफ़ी मज़बूत है. एक छोटी सैलरी वाला व्यक्ति भी SBI में अपना SIP के ज़रिए निवेश किए हुए हैं. लिहाज़ा, यहाँ पर चोट देश के मीडिल क्लास के साथ-साथ दूसरे तबके पर भी पड़ेगा. इसके अलावा खनन में L&T का भी व्यापक कारोबार इज़राइल में पसरा है. बाक़ी, बर्जर और एशियन पेंट्स भी की काफ़ी डिमांड रहती है. सोचिए अगर युद्ध फ़ुल स्केल होता है तो इन कंपनियों का प्रोडक्शन कम होगा. इससे छँटनी की आशंका ज़्यादा बढ़ेगी. फिर बाज़ार में जिसने निवेश किया होगा. चाहें वह लॉन्ग टर्म म्युचुअल फंड हो या फिर SIP, उसे तो एक ख़ास वक़्त में तगड़ झटका तो लगेगा ही.
यही वजह है कि ईरान के मिसाइल दागने के बाद जो अमेरिका इज़राइल के साथ डटे रहने की बाद कहता है, बाद में वह धीरज और धैर्य रखने की बात करने लगता है. इसमें कोई संदेह नहीं कि एक तरफ इजराइल अपने अस्तित्व की जंग के लिए कुछ भी कर गुजरेगा और दूसरी तरफ ईरान अपनी जनता के बीच अभिमान को कायम रखने के लिए हर चुनौती स्वीकार करेगा. लेकिन, ईरान के युद्ध में कूदने से तेल के कारोबार में जो उछाल आएगा, उसे फिलहाल संभालना दुनिया के लिए मुश्किल होगा. क्योंकि, पहले से ही रूस-यूक्रेन की जंग से यूरोप समेत दुनिया के दूसरे देश महंगाई से जूझ रहे हैं. ऐसे में एक और फ़्रंट तैयार होता है तो स्थिति और विकट हो जाएगी.
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