Akshay Tritiya 2025: आज देशभर में अक्षय तृतीया मनाई जा रही है. अक्षय तृतीया को सनातन धर्म में एक अत्यंत महत्वपूर्ण और पवित्र दिन माना जाता है. जिसे आखा तीज भी कहा जाता है. अक्षय तृतीया हर साल वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है. हिंदू धर्म में इस दिन को किसी भी शुभ कार्य के लिए सर्वश्रेष्ठ तिथि माना गया है. इस दिन किए गए दान, पूजन और निवेश का अक्षय फल मिलता है, यानी इसका पुण्य कभी खत्म नहीं होता.
अक्षय तृतीया को शुभ कार्यों और मांगलिक कार्यों के लिए बहुत शुभ माना जाता है. आज के दिन सोना खरीदना और नया व्यापार शुरू करना बेहद शुभ माना जाता है. इस दिन भगवान विष्णु, माता लक्ष्मी और भगवान परशुराम की पूजा का विशेष महत्व होता है. ऐसे में आज हम यहां जानेंगे अक्षय तृतीया की पूजा का शुभ मुहूर्त, इसका महत्व और पूजा विधि के बारें में विस्तार से….
अक्षय तृतीया का शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, इस साल वैशाख शुक्ल तृतीया तिथि 29 अप्रैल को शाम 5:29 बजे से शुरू होकर 30 अप्रैल को दोपहर 2:12 बजे तक रहेगी. चूंकि उदया तिथि को ही त्योहार मनाने की परंपरा है, इसलिए अक्षय तृतीया 30 अप्रैल 2025, बुधवार यानी आज मनाई जा रही है. पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 5:41 से दोपहर 12:18 तक रहेगा.
अक्षय तृतीया की पूजा विधि
इस दिन पूजा करने का विशेष महत्व होता है. आइए जानते हैं सही पूजा विधि –
- सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ वस्त्र धारण करें.
- भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की मूर्ति स्थापित करें और उन्हें फूल, धूप, दीप, चंदन और नैवेद्य अर्पित करें.
- विष्णु सहस्रनाम और लक्ष्मी स्तोत्र का पाठ करें.
- गंगा जल से स्नान कराकर देवी-देवताओं को अर्पण करें.
- अन्न, जल, वस्त्र और सोना दान करें, क्योंकि इस दिन किया गया दान कभी निष्फल नहीं जाता.
- प्रसाद वितरण करें और खुद भी ग्रहण करें.
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अक्षय तृतीया का महत्व
हिंदू धर्म में अक्षय तृतीया का विशेष महत्व है.इस दिन को अबूझ मुहूर्त माना जाता है, जिसका अर्थ है कि इस दिन किसी भी शुभ कार्य के लिए अलग से मुहूर्त देखने की आवश्यकता नहीं होती.
अक्षय तृतीया के दिन ही भगवान विष्णु ने परशुराम के रूप में धरती पर अवतार लिया था. महाभारत की कथा के अनुसार, अक्षय तृतीया के दिन ही भगवान कृष्ण ने युधिष्ठिर को अक्षय पात्र दिया था, जिसमें भोजन कभी भी समाप्त ही नहीं होता था.
उस पात्र में बने भोजन से एक बार में वहां उपस्थित सभी लोग भोजन प्राप्त कर सकते थे. इसलिए द्रौपदी उस पात्र की सहायता से पांडवों के अतिरिक्त जरुरतमंद लोगों को भोजन कराती थीं. अक्षय तृतीया के दिन ही माँ गंगा का अवतरण इस धरती पर हुआ था और त्रेतायुग की शुरुआत हुई थी. इसलिए इस दिन को बेहद शुभ दिन माना जाता है.
