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चारधाम यात्रा में चली गई 80 जाने, जानें क्यों पहाड़ों पर चढ़ाई के वक्त थम जाती हैं सांसें

Char Dham Yatra

चार धाम यात्रा के दौरान लोगों की मौत

Char Dham Yatra: उत्तराखंड की पवित्र चारधाम यात्रा, जो हर साल लाखों श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र होती है, इस बार एक दुखद कारण से सुर्खियों में है. इस साल यात्रा शुरू होने के बाद से अब तक 80 से अधिक श्रद्धालुओं की जान जा चुकी है. इनमें से अधिकतर मौतें ऊंचाई पर ऑक्सीजन की कमी, हार्ट अटैक और सांस लेने में तकलीफ के कारण हुई हैं. आखिर ऐसा क्या हो रहा है कि पहाड़ों की चढ़ाई पर सांसें थम रही हैं? आइए, विस्तार से समझते हैं कि आखिर क्यों पहाड़ की चढ़ाई से सांसे रुक जाती है…

हाइपोक्सिया का खतरा

चारधाम यात्रा के मंदिर- यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ. समुद्र तल से 3,000 से 3,553 मीटर की ऊंचाई पर स्थित हैं. जैसे-जैसे ऊंचाई बढ़ती है, हवा में ऑक्सीजन का स्तर कम होता जाता है. समुद्र तल पर हवा में ऑक्सीजन की मात्रा 21% होती है, लेकिन 3,000 मीटर की ऊंचाई पर यह स्तर काफी कम हो जाता है. इसे चिकित्सा की भाषा में ‘हाइपोक्सिया’ कहते हैं.

मैदानी इलाकों से सीधे पहाड़ों पर चढ़ने वाले श्रद्धालुओं के लिए यह स्थिति जानलेवा साबित हो सकती है. खासकर, जिन लोगों को पहले से स्वास्थ्य समस्याएं जैसे उच्च रक्तचाप, हृदय रोग या सांस की बीमारी है, उनके लिए यह जोखिम और बढ़ जाता है.

एक्यूट माउंटेन सिकनेस (AMS)

डॉक्टरों के मुताबिक, बिना तैयारी के ऊंचाई पर चढ़ने से ‘एक्यूट माउंटेन सिकनेस’ (AMS) का खतरा बढ़ जाता है. इसके लक्षणों में सिरदर्द, चक्कर आना, उल्टी, थकान और सांस फूलना शामिल हैं. अगर समय रहते इन लक्षणों पर ध्यान न दिया जाए, तो यह स्थिति गंभीर हो सकती है और हार्ट अटैक या फेफड़ों में पानी भरने जैसी समस्याएं पैदा कर सकती हैं.

इस साल चारधाम यात्रा में हुई मौतों में से 71 से अधिक स्वास्थ्य संबंधी कारणों से हुईं, जिनमें हाइपोक्सिया और AMS प्रमुख हैं. केदारनाथ धाम में सबसे ज्यादा मौतें दर्ज की गई हैं, जहां ऊंचाई और कठिन ट्रैकिंग मार्ग स्थिति को और चुनौतीपूर्ण बनाते हैं.

जरूरी सावधानियां

चारधाम यात्रा पर जाने से पहले कुछ सावधानियां बरतकर जोखिम को कम किया जा सकता है.

शारीरिक तैयारी: यात्रा से पहले कम ऊंचाई वाले इलाकों में कुछ दिन रुकें, ताकि शरीर को ऑक्सीजन की कमी की आदत पड़ सके.

स्वास्थ्य जांच: हृदय, फेफड़े या अन्य स्वास्थ्य समस्याओं की जांच कराएं. डॉक्टर की सलाह लें.

जरूरी सामान: गर्म कपड़े, ऑक्सीजन सिलेंडर, और प्राथमिक चिकित्सा किट साथ रखें.

हाइड्रेशन: खूब पानी पिएं ताकि शरीर में ऑक्सीजन का स्तर बना रहे.

आरामदायक जूते: अच्छी पकड़ वाले ट्रैकिंग जूते पहनें, क्योंकि पहाड़ी रास्ते कठिन हैं.

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स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी और भीड़ का दबाव

उत्तराखंड सरकार ने यात्रा मार्गों पर मेडिकल कैंप, ऑक्सीजन सिलेंडर और आपातकालीन सेवाएं शुरू की हैं, लेकिन श्रद्धालुओं की भारी भीड़ के सामने ये सुविधाएं नाकाम साबित हो रही हैं. इस साल यात्रा शुरू होने के पहले 15 दिनों में ही 7.17 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने दर्शन किए, जो व्यवस्थाओं पर दबाव का संकेत है. स्वास्थ्य विभाग का दावा है कि इस बार बेहतर सुविधाएं दी गई हैं. मगर 50 साल से अधिक उम्र के यात्रियों, जिन्हें पहले से स्वास्थ्य समस्याएं हैं, उन्हें बिना तैयारी के यात्रा पर जाना ठीक नहीं है.

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