Holi 2025: होली हिंदू धर्म के सबसे बड़े और अहम पर्व में से एक है जिसे रंगों का त्योहार भी कहा जाता है. यह त्योहार फाल्गुन मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है. पूरे देश में होली का जश्न बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है. इस साल 14 मार्च को होली का जश्न मनाया जाएगा. यह एकता, मित्रता और भाईचारे का प्रतीक हैं. इसको लेकर हर जगह जोरों –शोरों से तैयारियां चल रहीं है.
विविधता से भरे हमारे इस देश में होली का जश्न हर क्षेत्र में अलग– अलग तरीकों और परंपराओं के साथ मनाया जाता है. ऐसे में रंगों के इस त्योहार के मौके पर हम ब्रज, बनारस, बंगाल और शिमला की होली की परंपराओं के बारे में जानेंगे.
ब्रज, बनारस, बंगाल और शिमला में होली की परंपराएं
बनारस की होली
बनारस की होली रंगीन और बेहद धार्मिक होती है. बनारस में रंगभरी एकादशी के दिन से होली उत्सव का आरंभ हो जाता है. रंगभरी एकादशी से लेकर पूरे 6 दिनों तक यहां होली होती है. मसाने की होली रंगभरी एकादशी के दूसरे दिन मनाई जाती है. महाश्मशान घाट पर चिता भस्म की होली का अद्भुत नजारा काशी छोड़ पूरी दुनिया में कहीं और नहीं देखने को मिलता है. इस होली के लिए देश विदेश से लोग यहां आते है. धार्मिक मान्यता है कि मसान होली के दिन काशी के हरिश्चंद्र और मर्णिकर्णिका घाट पर भगवान शिव अपने गणों के साथ विचित्र होली खेलते हैं. होली के दिन यहां घाटों पर अच्छी खासी भीड़ देखने को मिलती है और यहां का नजारा अद्भुत होता हैं.
ब्रज की होली
ब्रज में होली की बात की जाए तो इसका रंग ही निराला है, यहां पर फूलों की होली भी खेली जाती है तो लट्ठमार होली का भी एक अलग ही अंदाज है इस अनोखी होली में महिलाएं पुरुषों को लाठियों से मारती हैं और पुरुष उन्हें ढाल से बचाते हैं. यह परंपरा राधा-कृष्ण की प्रेम लीला को दर्शाती है. लड्डू की होली से लेकर गुलाल की होली, यहां पर होली के सारे रंग आपको देखने को मिलेंगे. वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर में फूलों की होली खेली जाती है. ब्रज की होली कई दिन पहले शुरू हो जाती हैं, उमंग और जोश यहां पर एक अलग ही स्तर पर देखने को मिलता है. यहां पर दूर-दूर से लोग होली खेलने के लिए आते हैं. भक्तों पर रंगों की जगह फूलों की वर्षा होती है, जो भक्तिमय माहौल को और पावन बना देती है.
शिमला में होली की परंपराएं
शिमला में होली से एक रात पहले होलिका दहन की परंपरा मनाई जाती है. इस दिन लोग अलाव जलाते हैं और पारंपरिक गीत गाते हैं. इस दिन लोग लोककथाएं भी सांझा करते है और एक साथ जश्न मनाते हैं. होलिका दहन के बाद होली के दिन जुलूस निकाले जाते हैं. इन जुलूसों में ढोल-नगाड़े, स्थानीय बैंड, नृत्य टोलियां, रंग, और पानी के गुब्बारे शामिल होते हैं. शिमला में होली के त्योहार को मनाने के लिए होली फ्यूजन फ़ेस्ट भी आयोजित किया जाता है. शिमला में होली के स्थायी उत्सव में सांस्कृतिक उत्सवों के साथ विलासिता और पर्यावरण के अनुकूल प्रथाओं का समावेश होता है.शिमला में मेहमानों को जैविक रंगों से खेलने और पारंपरिक भोजन का आनंद लेने जैसी विविध गतिविधियाँ प्रदान की जाती हैं जो होली को एक अविस्मरणीय अनुभव में बदल देती हैं.
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बंगाल में होली की परंपरा
बंगाल में होली से एक दिन पहले डोल जात्रा निकाली जाती है. इस दिन लोग केसरिया रंग के कपड़े पहनते हैं. डोल जात्रा में लोग कृष्ण-राधा की मूर्तियों को पालकी पर रखकर गुलाल से खेलते हैं. पारंपरिक लोक धुनों पर नृत्य करते हैं और अपने से बड़ों के पैरों पर रंग लगाकर उनका आशीर्वाद लेते हैं. शांति निकेतन में होली को धूमधाम से मनाया जाता है. यहां छात्र-छात्राएं पारंपरिक पीले वस्त्र पहनकर रंगों के साथ नृत्य और संगीत के माध्यम से बसंत ऋतु का स्वागत करते हैं. बंगाल में दुर्गा पूजा के दिन सिंदूर की होली खेली जाती है. इस दिन लोग एक-दूसरे पर सिंदूर डालकर खुशियां बांटते हैं. इस तरह, पश्चिम बंगाल में होली को बसंत उत्सव और डोल जात्रा के रूप में मनाया जाता है. यह उत्सव पश्चिम बंगाल में बसंत के स्वागत का प्रतीक है.
