Diwali 2024: दीपावली आते ही पटाखों का बाजार जोरों पर होता है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद से दिल्ली में सिंथेटिक पटाखों की बिक्री पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया गया है. इसके बावजूद बाजार में कुछ लोग चोरी-छिपे इन पटाखों को बेच रहे हैं, जो न केवल पर्यावरण के लिए हानिकारक हैं, बल्कि सेहत पर भी बुरा असर डाल सकते हैं. ऐसे में इस दीवाली पर ग्रीन पटाखे के भी चलन में हैं और इनकी डिमांड भी खूब बढ़ी है.
क्या होते हैं ग्रीन पटाखे?
ग्रीन पटाखे, पारंपरिक पटाखों का एक ईको-फ्रेंडली ऑप्सन हैं जो वातावरण में कम प्रदूषण फैलाते हैं. CSIR द्वारा विकसित इन पटाखों में पारंपरिक पटाखों की तुलना में 30% कम प्रदूषक तत्व होते हैं. जब इन्हें जलाया जाता है, तो इनमें से कम धुआं निकलता है और शोर भी कम होता है. भारत में ये ग्रीन पटाखे तीन प्रकार के आते हैं – SWAS, STAR, और SAFAL.
1. SWAS
यह पटाखा धूल को सोख लेता है और उसे भाप में बदल देता है, जिससे वातावरण में धूल कणों का फैलाव कम होता है.
2. SAFAL
इसमें एल्युमिनियम की नियंत्रित मात्रा होती है, जिससे कम आवाज पैदा होती है और यह सिंथेटिक पटाखों की तुलना में कम प्रदूषण फैलाता है.
3. STAR
इसमें पोटैशियम नाइट्रेट और सल्फर नहीं होता, जिससे जलने पर धुआं और अन्य हानिकारक कण बहुत कम मात्रा में निकलते हैं.
असली और नकली ग्रीन पटाखों में अंतर
ग्रीन पटाखों की पहचान करना अब आसान हो गया है. CSIR-NEERI द्वारा प्रमाणित ग्रीन पटाखों पर क्यूआर कोड लगा होता है. इस क्यूआर कोड को स्कैन करने के लिए आप गूगल प्ले स्टोर से CSIR NEERI का ग्रीन क्यूआर कोड ऐप डाउनलोड कर सकते हैं. इस ऐप की मदद से आप आसानी से यह पता लगा सकते हैं कि पटाखा असली ग्रीन है या नहीं. ग्रीन पटाखे हमेशा लाइसेंस प्राप्त दुकानों से ही खरीदें. ये दुकानें सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त होती हैं और इनके उत्पाद मानकों के अनुसार होते हैं.
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ग्रीन पटाखे कम शोर करते हैं, जबकि नकली ग्रीन पटाखे पारंपरिक पटाखों की तरह अधिक शोर कर सकते हैं. यदि पटाखा जलने पर बहुत अधिक शोर करता है, तो संभावना है कि वह नकली है. हर असली ग्रीन पटाखे पर सीएसआईआर नीरी का लोगो लगा होता है. इस लोगो को देखकर आप असली ग्रीन पटाखे की पहचान कर सकते हैं और सुरक्षित तरीके से दीपावली मना सकते हैं.