AI New Study Report: AI एक तेजी से विकसित हो रहा क्षेत्र है.इसने जीवन के हर क्षेत्र को प्रभावित किया है. आजकल लोग अपनी सेहत से जुड़ी हर छोटी-बड़ी समस्या का समाधान इंटरनेट और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) पर तलाश रहे हैं. कब डॉक्टर के पास जाना है, कौन-सी दवा सही है, क्या ये लक्षण किसी बीमारी का संकेत हैं? लोग बिना देर किए डॉक्टर के पास जाने की बजाय AI से इसका जवाब पूछ रहे हैं .
इस नए ‘स्मार्ट’ तरीके को कई लोग सुविधा मान रहे हैं, लेकिन क्या कभी आपने सोचा है कि जो जवाब AI देता है, वो सच में कितना भरोसेमंद है? एक नई स्टडी में AI को लेकर जो बात कही गई है , आइए जानते हैं उसके बारे में…
क्या कहती हैं नई स्टडी
नई स्टडी के मुताबिक साल 2025 में AI अब पूरी तरह से बदल चुका है. शोधकर्ताओं ने बताया कि साल 2023 मे AI मॉडल टेस्ट किए थे तो सभी बड़े मॉडल एक बात जरूर कहते थे कि मैं डॉक्टर नहीं हूं. कई बार तो AI इमेज इंटरप्रेट करने या सलाह देने से साफ इनकार कर देता था. लेकिन 2025 में अब AI पूरी तरह से बदल चुका है. अब न कोई डिस्क्लेमर, न कोई चेतावनी… AI बिना किसी हिचकिचाहट के पूरे कॉन्फिडेंस के साथ मेडिकल सलाह दे रहा है.
अब ज्यादातर टॉप AI मॉडल न सिर्फ हेल्थ से जुड़े सवालों के जवाब दे रहे हैं बल्कि डॉक्टर की तरह आगे फॉलोअप सवाल भी कर रहे हैं, साथ ही डायग्नोसिस का अंदाजा लगाकर मेडिसिन भी प्रिस्क्राइब कर रहे है. वहीं सबसे ज्यादा हैरान करने वाली बात तो ये है कि पहले जो मेडिकल डिस्क्लेमर ( AI डॉक्टर नहीं है) नजर आता था, वो अब गायब हो चुका है.
रिसर्च में 15 बड़े मॉडल्स पर किया गया परीक्षण
रिसर्च में OpenAI, Anthropic, DeepSeek, Google और Elon Musk की xAI समेत कुल 15 बड़े AI मॉडल्स को 500 मेडिकल सवालों और 1500 मेडिकल इमेज पर टेस्ट किया गया. इसमें जो नतीजे सामने आए वो काफी चौंकाने वाले थे. जहां 2022 में 26% से ज्यादा बार डिस्क्लेमर दिखता था, 2025 में ये आंकड़ा गिरकर 1% से भी नीचे चला गया.
AI के माध्यम से इलाज हो सकता है हानिकारक
रिसर्चर के मुताबिक AI जब सेहत से जुड़े हर सवाल का जवाब पूरे कॉन्फिडेंस से देता है और डिस्क्लेमर गायब हो जाते हैं तो यूजर ये भूल जाते हैं कि सामने कोई डॉक्टर नहीं, बल्कि मशीन है. उनका कहना है कि गलत जानकारी से सीधा असर मरीज की जान तक पर पड़ सकता है.
साथ ही कंपनियां इसकी जिम्मेदारी लेने से भी बचती हुई दिखाई देती है.Google और DeepSeek ने इसका कोई जवाब ही नहीं दिया.
OpenAI और Anthropic जैसे ब्रांड्स ने ये नहीं बताया कि डिस्क्लेमर जानबूझकर हटाए गए या नहीं. वे बस Terms of Service का हवाला देते हैं, जिसमें साफ लिखा होता है कि स्वास्थ्य फैसले AI पर निर्भर होकर न लें. AI एक्सपर्ट का कहना है कि कंपनियां जानबूझकर यूजर का भरोसा जीतने के लिए डिस्क्लेमर हटा रही हैं ताकि ज्यादा लोग इन टूल्स का इस्तेमाल करें. लेकिन खतरा यह है कि कंपनियां तो जिम्मेदारी से बच जाएंगी, नुकसान आम आदमी को उठाना पड़ेगा.
एआई(AI) में एमरजेंसी सवालों के जवाब कितने सटीक ..?
स्टडी में कहा गया कि ऐसे मॉडल जो सीधे एमरजेंसी सवालों का जवाब दे देते हैं उनकी स्थिति सबसे ज्यादा खराब है. DeepSeek और xAI जैसे मॉडल तो मेडिकल इमेज भी बिना किसी चेतावनी के ‘डायग्नोज’ कर रहे हैं. OpenAI का GPT-4.5 और Elon Musk का Grok भी इसी ट्रेंड पर चल रहे हैं.शोधकर्ताओं का कहना है कि मानसिक स्वास्थ्य वाले सवालों पर AI थोड़ी सावधानी बरतता है लेकिन मेडिकल इमर्जेंसी, दवा के इंटरेक्शन या गंभीर बीमारियों पर यह बिना किसी हिचकिचाहट के सलाह देता है. सबसे ज्यादा चिंता की बात यह है कि ये मॉडल अपनी ‘confidence score’ के आधार पर तय कर रहे हैं कि डिस्क्लेमर देना है या नहीं. यानी मशीन खुद तय कर रही है कि वह सही है या गलत जबकि हकीकत ये है कि मशीन को ‘समझ’ नहीं होती, सिर्फ डेटा प्रोसेसिंग होती है.
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AI पर पूरी तरह से निर्भरता हानिकारक
रिसर्चर्स का मानना है कि AI एक शानदार टूल है लेकिन डॉक्टर का विकल्प नहीं. सेहत को लेकर AI और इंटरनेट से मिली जानकारी सही हो सकती है.लेकिन यह इलाज का विकल्प नहीं है स्वयं इलाज करना कई बार हानिकारक साबित होता है . ऐसे में AI पर पूरी तरह निर्भर न होकर मेडिकल जांच और विशेषज्ञ से परामर्श जरुरी होता है.
