Rakshabandhan 2025: रक्षाबंधन, भाई-बहन के प्यार और विश्वास का प्रतीक पर्व, हर साल श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि को बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है. इस साल 2025 में रक्षाबंधन 9 अगस्त, शनिवार को मनाया जाएगा. इस बार खास बात यह है कि 95 साल बाद एक दुर्लभ महासंयोग बन रहा है, जो इस पर्व को और भी शुभ बना रहा है. इस संयोग में श्रवण नक्षत्र, सर्वार्थ सिद्धि योग, और सौभाग्य योग का विशेष प्रभाव रहेगा, जो भाई-बहन के रिश्ते को और मजबूत करने में सहायक होगा.
शुभ मुहूर्त और समय
हिंदू पंचांग के सहूोवगक, श्रावण पूर्णिमा तिथि 8 अगस्त को दोपहर 2:12 बजे से शुरू होगी और 9 अगस्त को दोपहर 1:24 बजे तक रहेगी. उदया तिथि के आधार पर रक्षाबंधन 9 अगस्त को मनाया जाएगा. राखी बांधने का सबसे शुभ मुहूर्त सुबह 5:47 बजे से दोपहर 1:24 बजे तक रहेगा, जो कुल 7 घंटे 37 मिनट का समय देता है. इसके अलावा, अभिजीत मुहूर्त, जो किसी भी शुभ कार्य के लिए सर्वोत्तम माना जाता है, दोपहर 12:00 बजे से 12:53 बजे तक रहेगा.
भद्रा काल का प्रभाव नहीं
रक्षाबंधन पर भद्रा काल का साया अक्सर त्योहार के आनंद को प्रभावित करता है, क्योंकि ज्योतिष शास्त्र में भद्रा काल में राखी बांधना वर्जित माना जाता है. अच्छी खबर यह है कि इस बार रक्षाबंधन पर भद्रा का प्रभाव नहीं होगा. भद्रा काल 8 अगस्त को दोपहर 2:12 बजे से शुरू होकर 9 अगस्त को सुबह 1:52 बजे समाप्त हो जाएगा. इस प्रकार, 9 अगस्त को सूर्योदय के बाद राखी बांधने का समय पूरी तरह भद्रा-मुक्त रहेगा.
हालांकि, सुबह 9:07 बजे से 10:47 बजे तक राहुकाल रहेगा, इस दौरान राखी बांधने से बचना चाहिए.
शुभ योगों का संयोगइस बार रक्षाबंधन पर कई शुभ योग बन रहे हैं, जो इस पर्व को और भी खास बनाते हैं:
सर्वार्थ सिद्धि योग: सुबह 5:47 बजे से दोपहर 2:23 बजे तक. यह योग सभी कार्यों में सफलता और समृद्धि प्रदान करता है.
सौभाग्य योग: सुबह 4:08 बजे से देर रात 2:15 बजे तक। यह योग सुख-समृद्धि और सौभाग्य को बढ़ाता है.
शोभन योग: यह योग 10 अगस्त को दोपहर 2:15 बजे तक रहेगा, जो पर्व की महत्ता को और बढ़ाता है.
इन शुभ योगों में राखी बांधने से भाई-बहन का रिश्ता और मजबूत होता है, साथ ही जीवन में सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है।राखी बांधने की विधि और पूजा सामग्रीरक्षाबंधन के दिन बहनें सुबह स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनें. पूजा की थाली में निम्नलिखित सामग्री रखें, जैसे- राखी (लाल, पीला, और सफेद धागों से बनी राखी विशेष शुभ मानी जाती है), रोली, चावल (अक्षत), दीपक और धूप, मिठाई, फूल.
पूजा विधि
भाई को पूर्व या उत्तर दिशा में बिठाएं.
भाई के माथे पर रोली और चावल से तिलक लगाएं.
राखी बांधते समय रक्षा सूत्र मंत्र पढ़ें:
”ॐ येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबलः। तेन त्वामपि बध्नामि रक्षे मा चल मा चल।।”
भाई की आरती उतारें और मिठाई खिलाएं.
भाई अपनी सामर्थ्य के अनुसार बहन को उपहार दें और उसकी रक्षा का वचन दें.
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रक्षाबंधन का महत्व
रक्षाबंधन केवल एक धागे का बंधन नहीं, बल्कि भाई-बहन के बीच प्रेम, विश्वास, और सुरक्षा का प्रतीक है. इस दिन बहनें भाई की लंबी आयु, स्वास्थ्य, और समृद्धि की कामना करती हैं, जबकि भाई अपनी बहन की रक्षा और सम्मान का वचन देते हैं.
