Sickle Cell Anemia: सिकल सेल एनीमिया एक जेनेटिक बीमारी है जो दुनिया भर में लाखों लोगों को परेशान करती है. खासकर उन इलाकों में देखने को मिलती है जहां मलेरिया आम है. इस बीमारी की गंभीरता को देखते हुए, हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गर्भवती महिलाओं और युवा जोड़ों से अपनी जांच कराने का आग्रह किया ताकि इस बीमारी को रोका जा सके और अगली पीढ़ी को इससे बचाया जा सके. भारत सरकार ने 2047 तक सिकल सेल एनीमिया को खत्म करने का लक्ष्य रखा है. इसके लिए, “सिकल सेल एनीमिया उन्मूलन मिशन” चलाया जा रहा है. इस मिशन के तहत, प्रभावित क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर जांच अभियान चलाए जा रहे हैं.
क्या है सिकल सेल एनीमिया?
सिकल सेल एनीमिया खून से जुड़ी बीमारी है जो शरीर में रेड ब्लड सेल्स को नुकसान करती है. रेड ब्लड सेल्स आमतौर पर राउंड और फ्लेक्सिबल होते हैं, जिसके चलते वे ब्लड वेसेल में आसानी से घूमते हैं. लेकिन सिकल सेल एनीमिया के चलते हीमोग्लोबिन की कमी हो जाती है. जो रेड ब्लड सेल्स को हार्ड बनाती है, जिसके चलते ब्लड फ्लो में दिक्कत आ सकती है.
क्या हैं सिकल सेल एनीमिया के लक्षण
सिकल सेल एनीमिया के लक्षण अलग-अलग हो सकते हैं, लेकिन कुछ सामान्य भी हैं. दर्द के दौरे इस बीमारी का सबसे आम लक्षण है. जिससे शरीर के विभिन्न हिस्सों में अचानक और असहनीय दर्द होता है. रेड ब्लड सेल्स को नुकसान होने से एनीमिया का खतरा बढ़ सकता है. बच्चों में यह बीमारी ग्रॉथ और यौवन को नुकसान पहुंचा सकती है. इस बीमारी का एक साधारण ब्लड टेस्ट से यह पता लगाया जा सकता है कि कोई व्यक्ति इस बीमारी से प्रभावित है या नहीं. यदि दोनों माता-पिता इससे प्रभावित हैं, तो उनके बच्चे में यह बीमारी होने की 25% संभावना होती है.
सिकल सेल एनीमिया कितनी खतरनाक है?
अगर इस बीमारी का सही समय पर इलाज न किया जाए तो यह जानलेवा हो सकती है. सिकल सेल एनीमिया के कारण ब्लड फ्लो रुकने के कारण स्ट्रोक हो सकता है. इसके साथ सीने में गहरा दर्द हो सकता है. इस बीमारी से समय के साथ किडनी और लीवर जैसे महत्वपूर्ण अंगों को पर्मानेंट नुकसान हो सकता है.
