Vistaar NEWS

Hanuman Jayanti 2025: 11 या 12 अप्रैल कब है हनुमान जयंती? कंफ्यूजन कर लें दूर

Hanuman Jayanti 2025

File Image

Hanuman Jayanti 2025: हिंदू धर्म में हनुमान जयंती का काफी महत्व माना जाता है. वैदिक पंचांग के अनुसार प्रत्येक वर्ष चैत्र पूर्णिमा पर हनुमान जन्मोत्सव का पर्व बड़े धूमधाम के साथ मनाया जाता है. ऐसी मान्यता है कि इसी तिथि पर हनुमान जी का जन्म सूर्य उदय के समय हुआ था. हनुमान जी भगवान शिव के अंशावतार हैं और श्रीराम के अनन्य भक्त हैं. हनुमान जी शक्ति और ज्ञान के प्रतीक माने जाते हैं. इनकी उपासना से तुरंत कष्टों का नाश होता है और जीवन की हर तरह की बाधा दूर हो जाती है. उनके विभिन्न स्तुतियों से जीवन में सफलता मिलती है. यह तिथि सनातन धर्म में बेहद महत्वपूर्ण मानी जाती है. इस दिन देश भर के हनुमान मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना, कीर्तन और भंडारे का आयोजन किया जाता हैं और भक्‍त इस दिन उपवास भी रखते हैं.
इस बार हनुमान जन्मोत्सव की तारीख को लेकर कंफ्यूजन है. कोई हनुमान जन्मोत्सव 11 अप्रैल तो कोई 12 अप्रैल को मनाने का बता रहे है. ऐसे में आज हम यहां जानेंगे 11 या फिर 12 अप्रैल…कब है हनुमान जन्मोत्सव? क्या है हनुमान जी की पूजा का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि?

11 या 12 अप्रैल कब है हनुमान जयंती?

हिंदू पंचांग के अनुसार, चैत्र महीने की पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 12 अप्रैल को सुबह 3 बजकर 21 मिनट पर होगी और इसका समापन अगले दिन 13 अप्रैल को सुबह 5 बजकर 51 मिनट पर होगा. उदया तिथि के आधार पर हनुमान जन्मोत्सव पर्व 12 अप्रैल को मनाया जाएगा. इस दिन भक्त हनुमान चालीसा, सुंदरकांड और बजरंग बाण का पाठ करें. साथ ही हनुमान जी को चमेली का तेल, सिंदूर और चोला चढ़ाएं.

हनुमान जन्मोत्सव शुभ मुहूर्त

इस बार हनुमान जन्मोत्सव पर पूजा के लिए दो शुभ मुहूर्त बन रहे हैं.पहला मुहूर्त 12 अप्रैल को सुबह 7 बजकर 34 मिनट से सुबह 9 बजकर 12 मिनट तक है.इसके बाद दूसरा शुभ मुहूर्त शाम को 6 बजकर 46 मिनट से लेकर रात 8. 8 मिनट तक रहेगा.

हनुमान जयंती पूजा विधि

हनुमान जन्‍मोत्‍सव के दिन सुबह उठकर स्नान करें और साफ कपड़े पहनें. हनुमान जन्‍मोत्‍सव के पीला, नारंगी या सफेद रंग के कपड़े पहनें. फिर चौकी या वेदी पर भगवान हनुमान की प्रतिमा या तस्‍वीर स्थापित करें. हनुमान जी का गंगाजल से स्नान कराएं. उन्‍हें सिंदूर और चमेली का तेल अर्पित करें. फूल, फल और मिठाई का भोग लगाएं. इसके बाद हनुमान चालीसा पढ़ें. विधि-विधान से बजरंग बाण और हनुमान अष्टक का पाठ करें. फिर हनुमान जी की आरती करें. अंत में पूजा में हुई गलतियों के लिए माफी मांगे. फिर सभी को प्रसाद बांटें.

Exit mobile version