Hindi Diwas Interesting Facts: हर साल 14 सितंबर को पूरे देश में हिंदी दिवस मनाया जाता है. यह दिन खास है क्योंकि 1949 में संविधान सभा ने हिंदी को भारत की राजभाषा का दर्जा दिया था. आज हिंदी केवल भारत ही नहीं, बल्कि दुनिया की तीसरी सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा बन चुकी है. इस अवसर पर आइए जानते हैं हिंदी भाषा के इतिहास, साहित्य और तकनीकी सफर से जुड़ी कुछ दिलचस्प बातें.
हिंदी की उत्पत्ति और शुरुआती साहित्य
हिंदी भाषा का इतिहास करीब 1300 वर्ष पुराना माना जाता है. अधिकांश विद्वान इसकी शुरुआत सातवीं-आठवीं सदी से मानते हैं, जबकि कुछ के अनुसार हिंदी की असली शुरुआत 10वीं शताब्दी के आसपास हुई. धीरे-धीरे यह बोलचाल और साहित्य की भाषा बनी.
साहित्य के क्षेत्र में ‘सिद्ध कवि’ सरहपा को हिंदी का पहला कवि माना जाता है. उनका समय लगभग 769 ईस्वी का बताया जाता है. वहीं, हिंदी की सबसे पुरानी रचना देवसेन द्वारा लिखी गई ‘श्रावकाचार’ (933 ईस्वी) मानी जाती है. बाद में आधुनिक खड़ी बोली हिंदी में पहली किताब लल्लूलाल द्वारा रचित ‘प्रेम सागर’ (1810) आई. इसके अलावा अयोध्यासिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’ का ‘प्रिय प्रवास’ खड़ी बोली हिंदी का पहला महाकाव्य माना गया.
हिंदी पत्रकारिता और डिजिटल सफर
हिंदी पत्रकारिता की नींव 30 मई 1826 को ‘उदंत मार्तण्ड’ नामक पत्र से पड़ी. इसे पंडित जुगल किशोर शुक्ल ने कोलकाता से प्रकाशित किया. आर्थिक कारणों से यह पत्र केवल एक साल ही चल सका, लेकिन इसने हिंदी पत्रकारिता का मार्ग प्रशस्त किया. इसके बाद हिंदी का पहला दैनिक समाचार पत्र ‘सुधा वर्षण’ प्रकाशित हुआ.
डिजिटल दुनिया में हिंदी का प्रवेश 1980 के दशक में हुआ, जब कंप्यूटर पर टाइपिंग के लिए इंस्क्रिप्ट (INSCRIPT) की-बोर्ड लेआउट तैयार किया गया. बाद में यूनिकोड के आने से हिंदी को नई उड़ान मिली. खासतौर पर माइक्रोसॉफ्ट द्वारा विकसित ‘मंगल’ फॉन्ट (2001) ने ऑनलाइन हिंदी को व्यापक पहचान दी.
इंटरनेट पर हिंदी की शुरुआत
इंटरनेट पर हिंदी का पहला कदम दिसंबर 1996 में रखा गया, जब ‘भारत दर्शन’ नामक ऑनलाइन पत्रिका शुरू हुई. रोचक बात यह है कि इसका प्रकाशन भारत से नहीं बल्कि न्यूजीलैंड से हुआ. यह मुख्य रूप से साहित्य पर केंद्रित थी और ऑनलाइन हिंदी पत्रकारिता व साहित्य प्रसार की आधारशिला बनी.
