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कन्नौज से Akhilesh Yadav ने भरा नामांकन पर्चा, BJP के सुब्रत पाठक से होगा सीधा मुकाबला

Akhilesh Yadav

Akhilesh Yadav

Kannauj Lok Sabha Seat: इतिहास दोहराया जाएगा, एक नया भविष्य बनाया जाएगा… समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने गुरुवार को तत्कालीन राज्यसभा सदस्य अमर सिंह के साथ नामांकन पत्र दाखिल करते हुए अपनी एक पुरानी तस्वीर पोस्ट करते हुए कहा. अब अखिलेश यादव ने कन्नौज से अपना पर्चा दाखिल कर दिया है. उनके साथ उनका चाचा राम गोपाल यादव भी दिखे.  इससे पहले सपा ने कन्नौज से लालू यादव के दामाद तेज प्रताप को टिकट दिया था.

अखिलेश ने क्यों चुना कन्नौज?

राजनीतिक जानकारों का मानना है कि सबसे पहले अखिलेश उन अटकलों पर विराम लगाना चाहते हैं और उन सवालों पर पूर्णविराम लगाना चाहते हैं कि आखिर सपा अध्यक्ष खुद चुनावी लड़ाई से दूर क्यों हैं. दूसरे, कन्‍नौज लोकसभा क्षेत्र दशकों से समाजवादी पार्टी की पारंपरिक सीट रही है. वर्ष 1967 में, राम मनोहर लोहिया ने संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के उम्मीदवार के रूप में चुनाव जीता था, जिसके बाद जनता पार्टी ने दो बार इस सीट पर कब्जा किया.

अखिलेश के पिता और यूपी के पूर्व सीएम मुलायम सिंह यादव की करिश्माई रणनीति के कारण यह सीट एसपी के पास चली गई और उनकी पारंपरिक सीट बन गई. मुलायम 1998 से ही पार्टी का नेतृत्व कर रहे थे. करीब 21 साल के दबदबे के बाद 2019 में आखिरकार बीजेपी के सुब्रत पाठक ने अखिलेश की पत्नी डिंपल यादव को हरा दिया और इसके साथ ही कन्नौज भगवा रंग में रंग गया. टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, कन्नौज में जिला स्तर के पदाधिकारियों का विचार था कि उनकी उम्मीदवारी से न केवल कन्नौज में सपा की जीत सुनिश्चित होगी, बल्कि कम से कम चार आसपास के निर्वाचन क्षेत्रों में पार्टी की स्थिति भी मजबूत होगी.

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इलाके के पदाधिकारियों ने की अखिलेश यादव से मुलाकात

सूत्रों के मुताबिक, पिछले 48 घंटों में छिबरामऊ, तिर्वा और कन्नौज विधानसभा क्षेत्रों के साथ-साथ बिधूना और रसूलाबाद विधानसभा क्षेत्रों के सपा के 100 से अधिक पदाधिकारियों ने अखिलेश से मुलाकात की और जोर देकर कहा कि उन्हें इस सीट से चुनाव लड़ना चाहिए. कुछ पार्टी कार्यकर्ताओं ने सोशल मीडिया पर कहा, “अखिलेश भैया कन्नौज में ऐतिहासिक अंतर से जीतेंगे,” जबकि कुछ ने इसे भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को यूपी से बाहर करने की लड़ाई की शुरुआत बताया. नामांकन दाखिल करने के बाद, अखिलेश आधिकारिक तौर पर अपने भतीजे तेज प्रताप सिंह यादव का स्थान लिया है. अखिलेश की उम्मीदवारी की घोषणा 22 अप्रैल को की गई थी. तेज प्रताप 2014-2019 के बीच मैनपुरी से सपा सांसद थे. वह राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव के दामाद भी हैं.

तीन बार सांसद रह चुके हैं अखिलेश यादव

अखिलेश ने सबसे पहले 2000 में कन्नौज संसदीय सीट जीती थी और बाद में 2004 और 2009 में इसका प्रतिनिधित्व किया था. 2012 में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्होंने यह सीट खाली कर दी और उनकी पत्नी डिंपल यादव ने निर्विरोध उपचुनाव जीता. मैनपुरी की करहल विधानसभा सीट से विधायक अखिलेश यूपी विधानसभा में विपक्ष के नेता हैं. कन्नौज सीट पर मौजूदा लोकसभा चुनाव के चौथे चरण में 13 मई को मतदान होगा.

 

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