Lok Sabha Election 2024: देश में लोकसभा चुनाव के पहले चरण का मतदान हो चुका है और दूसरे चरण का मतदान 26 अप्रैल को होने वाला है. इस बीच इस बीच उत्तर प्रदेश में भी राजनीतिक बयानबाजी भी तेज हो चुकी है. बहुजन समाज पार्टी(Bahujan Samaj Party) चीफ मायावती(Mayawati) ने भी पार्टी के प्रचार अभियान की कमान संभाल ली है और अपने प्रतिद्वंदियों पर जमकर हमलावर भी हैं. ऐसे में उन्होंने पार्टी से निष्कासित दानिश अली पर उन्होंने बड़ा बयान दिया है.
मायावती बोलीं- सर्वसमाज के लोगों की उचित भागेदारी दी
दरअसल, दूसरे चरण के मतदान के लिए मायावती ने अमरोहा से अपने प्रचार अभियान की शुरूआत की. उन्होंने कहा कि हमने टिकट बंटवारे के मामले में सर्वसमाज के लोगों की उचित भागेदारी दी. जिन्हें कामयाब बनाने के लिए पार्टी के लिए लोग जी-जान से लगे हुए हैं. आप लोगों को मालूम है कि यह सीट BSP ने जीती. लेकिन पिछले चुनाव(2019) में जिस बसपा प्रत्याशी को जिनको हमने और आपने जिताकर संसद भेजा, उसी ने यहां की जनता, मुस्लिम समाज के साथ विश्वासघात किया. उसने सांसद बनने के बाद न ही पार्टी और न ही जनता के मान और सम्मान का ध्यान रखा. उन्होंने इस क्षेत्र के विकास और उत्थान के लिए कोई कदम नहीं उठाया.
हमने चौधरी मुजाहिद हुसैन को ही टिकट दिया- मायावती
जहां एक ओर मायावती ने दानिश अली पर विश्वासघात का आरोप लगाया, वहीं उन्होंने यह भी कहा कि इसलिए हमने मजबूरी में उनकी जगह दूसरे शख्स को इस बार टिकट दिया, लेकिन हमारी पार्टी ने जब BSP के सिटिंग सांसद ने विश्वासघात किया तो हमने उसे टिकट तो नहीं दिया, लेकिन यहां मुस्लिम समाज के लोग हैं, हमने उनके साथ विश्वासघात नहीं किया. मुस्लिम समाज के एक व्यक्ति ने तो हमारे साथ विश्वासघात किया, लेकिन हमने मुस्लिम समाज को इस बात की सजा नहीं दी. उनके स्थान पर इस बार हमने चौधरी मुजाहिद हुसैन को ही टिकट दिया.
रमेश बिधूड़ी की टिप्पणी के बाद से कांग्रेस आई थी साथ
बता दें कि बीते लोकसभा चुनाव में दानिश अली ने सपा और बीएसपी गठबंधन के दौरान बीएसपी के टिकट पर अमरोहा सीट से जीत दर्ज की थी. तब उन्होंने बीजेपी के उम्मीदवार कंवर सिंह तंवर को हराया था. दानिश अली ने इस चुनाव में करीब 63 हजार वोटों के अंतर से जीत दर्ज की थी. बीजेपी सांसद रमेश बिधूड़ी की ओर से संसद में की गई टिप्पणी के बाद राहुल गांधी दानिश अली से मिलने उनके घर गए थे, तब उसकी काफी चर्चा हुई थी. तभी से कांग्रेस पार्टी उनके साथ खड़ी हो गई. कांग्रेस के साथ नजदीकियों के आरोप में उन्हें मायावती ने पार्टी से निकाल दिया, जिसके बाद वह कांग्रेस में शामिल हो गए.