Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनाव के मद्देनजर देश में सियासी हलचल तेज है. इस बीच उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी और समाजवादी पार्टी के बीच आमने-सामने की टक्कर तय मानी जा रही है. जहां एक ओर BJP ने ब्राह्मण, क्षत्रिय और कुर्मी समुदायों पर अपना ध्यान केंद्रित रखा है तो, दूसरी ओर सपा ने अपने पारंपरिक मुस्लिम और यादव आधार से नए फॉर्मूले यानी सोशल इंजीनियरिंग पर काम कर रही है.
BJP ने 2019 चुनाव के रणनीति को दोहराया
BJP ने इस बार भी अपने 2019 चुनाव के दौरान अपनाई गई रणनीति को दोहराया है. BJP इस बार 75 सीटों पर और उसके सहयोगी 5 सीटों पर चुनाव लड़ रहे हैं. इसमें 16 उम्मीदवार ब्राह्मण और 13 ठाकुर हैं. वहीं दूसरी ओर, सपा ने अपना फॉर्मूला बदलते हुए कुर्मी, मौर्य, शाक्य, सैनी और कुशवाहा समुदाय से अधिक उम्मीदवार चुनाव में उतारे हैं. बता दें कि, 2019 में बहुजन समाज पार्टी के साथ गठबंधन के बावजूद, सपा को सिर्फ पांच सीटें मिली. इसके बाद सपा की ओर से यह रणनीतिक बदलाव किया गया है.
SP ने यादव समाज से केवल 5 लोगों को टिकट दिया
गौतलब है कि, पिछले चुनाव में सपा ने 37 सीटों पर चुनाव लड़ा था, जिसमें मुख्य रूप से यादव और मुस्लिम उम्मीदवारों को मैदान में उतारा गया था. वहीं इस बार सपा 62 सीटों पर चुनाव लड़ रही है. मुस्लिम आबादी यूपी की आबादी का लगभग 20% हैं. ऐसे में सपा की ओर से केवल 4 टिकट दिए गए हैं. वहीं सबसे बड़ा ओबीसी समुदाय होने के बावजूद, यादव समाज से केवल 5 लोगों को टिकट दिया गया है. वहीं 2019 के चुनाव में 10 यादव उम्मीदवार उतारे गए हैं. बता दें कि इनमें भी सपा ने सिर्फ यादव परिवार के सभी पांच सदस्यों को चुनाव में उतारा है. सपा ने वाल्मिकी, गुर्जर, राजभर, भूमिहार, पाल और लोधी समुदाय से भी एक-एक उम्मीदवार मैदान में उतारा है.
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यूपी में कुर्मी-पटेल वोटरों की संख्या 7 फीसदी
BJP ने कई जाति के लोगों को टिकट दिया है, जिनमें भूमिहार, पंजाबी, पारसी, कश्यप, बनिया, यादव, तेली, धनगर, धानुक, वाल्मिकी, गोंड और कोरी जैसे समुदायों से एक-एक उम्मीदवार शामिल है. बता दें कि, यूपी में कुर्मी-पटेल वोटरों की संख्या 7 फीसदी है. सपा ने इस वर्ग से 10 उम्मीदवार उतारे हैं. BJP की रणनीति को साधने के लिए सपा अधिक समावेशी दृष्टिकोण का लक्ष्य रख रही है. 2019 के लोकसभा चुनावों में BJP और उसकी सहयोगी अपना दल ने राज्य की 80 में से 62 सीटें जीती. दूसरी ओर सपा-BSP गठबंधन को अपेक्षित परिणाम नहीं मिले और उसे केवल 15 सीटें मिली, जबकि कांग्रेस को एक सीट मिली.