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MP Exit Poll: बीजेपी के लिए एक और ‘गुजरात’ बनता नजर आ रहा मध्य प्रदेश!

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पीएम मोदी व सीएम मोहन यादव

MP Exit Poll: लोकसभा चुनाव के लिए सात चरणों में वोटिंग के बाद आए एग्जिट पोल के नतीजों पर सियासी सरगर्मी बढ़ी हुई है. अधिकांश एग्जिट पोल ने बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए गठबंधन को बंपर बहुमत दिया है और अगर 4 जून के नतीजे ऐसे ही आते हैं तो नरेंद्र मोदी लगातार तीसरी बार देश के प्रधानमंत्री के तौर पर शपथ लेंगे. वहीं राज्यवार अनुमानों की बात करें तो बीजेपी कई राज्यों में क्लीन स्वीप करती नजर आ रही है. 29 लोकसभा सीटों वाले मध्य प्रदेश में बीजेपी को 28-29 सीटें मिल सकती हैं जबकि कांग्रेस के खाते में एक सीट आ सकती है. ऐसे में कांग्रेस के लिहाज से एग्जिट पोल के ये नतीजे जरूर परेशान करने वाले हो सकते हैं. दूसरी तरफ, पिछले चुनावों के नतीजों पर गौर करें तो ऐसा लगता है कि मध्य प्रदेश बीजेपी के लिए दूसरा ‘गुजरात’ साबित होता नजर आ रहा है.

एग्जिट पोल में क्लीन स्वीप के आसार

दरअसल, बीजेपी ने 2014 के लोकसभा चुनाव में 27 सीटों पर कब्जा किया था जबकि 2019 के चुनाव में एमपी की 28 सीटों पर बीजेपी ने कब्जा किया. इस दफा केवल पूर्व सीएम कमलनाथ के बेटे नकुलनाथ ही अपनी सीट छिंदवाड़ा बचा पाए थे. लेकिन अबकी के चुनाव में बीजेपी ने छिंदवाड़ा को साधने में कोई कसर बाकी नहीं रखी है और अगर एग्जिट पोल के नतीजे बीजेपी के पक्ष में आए तो फिर एमपी में भी गुजरात की तरह सभी सीटों पर कमल खिलने के पूरे आसार नजर आ रहे हैं.

छिंदवाड़ा में कांग्रेस का लंबे समय से कब्जा रहा है और चाहे पूरे प्रदेश में मोदी लहर रही लेकिन कमलनाथ इस सीट को कांग्रेस के खाते में डालने में कामयाब रहे लेकिन अबकी जो सियासी बयार बह रही है, उसमें छिंदवाड़ा के किले को बचा पाना कमलनाथ और कांग्रेस के लिए आसान नहीं होगा.

क्यों गुजरात जैसी बन रही स्थिति?

मध्य प्रदेश में कांग्रेस की स्थिति कमोबेश गुजरात जैसी होती नजर आ रही है, जहां बीजेपी पिछले चुनावों में क्लीन स्वीप कर चुकी है और इस चुनाव में भी एग्जिट पोल के नतीजे पूरी तरह पार्टी के पक्ष में जाते नजर आ रहे हैं. 1989 से हर लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने गुजरात में कांग्रेस पर बढ़त बनाई है और 2014 में मोदी के लोकसभा चुनाव लड़ने के दौरान से लेकर पार्टी ने 26 की 26 सीटों पर कब्जा बरकरार रखा है. वहीं 2024 के चुनाव में भी तमाम एग्जिट पोल पार्टी को सभी 26 सीटों पर जीत का अनुमान जता रहे हैं. कुल मिलाकर देखा जाए तो एमपी में बीजेपी के बढ़ते ग्राफ को देखकर ये कहा जा सकता है कि पार्टी के लिए मध्य प्रदेश दूसरा ‘गुजरात’ साबित हो सकता है.

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ऐसा नहीं है कि ये केवल सीटों की संख्या की बात हो, गुजरात में संगठन स्तर पर कांग्रेस की स्थिति कुछ खास ठीक नहीं रही है. लीडरशिप का अभाव तो रहा ही है, अंदरुनी कलह के कारण पार्टी चुनाव में भी वह ताकत नहीं लगा पाती है जिसकी कार्यकर्ता उससे उम्मीद करते हैं. गुजरात के पिछले विधानसभा चुनाव से लेकर 2024 के लोकसभा चुनाव तक कांग्रेस के भीतर स्थिति में कुछ खास बदलाव नहीं दिखा है जबकि कई नेताओं ने पाला बदलकर स्थिति को और कमजोर कर दिया. वैसे ही हालात एमपी में नजर आए हैं.

कहां भारी पड़ी बीजेपी?

ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीजेपी में जाने से कांग्रेस कमजोर तो हुई ही, विधानसभा चुनाव 2024 में हार के बाद कमलनाथ भी उतने एक्टिव नजर नहीं आए. इस चुनाव में कमलनाथ केवल छिंदवाड़ा को बचाने में जुटे रहे. वहीं जीतू पटवारी कई मौकों पर अकेले पड़ते नजर आए. दिग्विजय सिंह ज्यादतर वक्त अपने चुनाव क्षेत्र में डटे रहे और लोगों से भावुक अपील करते रहे कि ये उनका आखिरी चुनाव है. इसके विपरीत, बीजेपी के खेमे में मुख्यमंत्री मोहन यादव, पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान, ज्योतिरादित्य सिंधिया, प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा जैसे दिग्गज धुंआधार प्रचार करते रहे.

बता दें मध्य प्रदेश में कांग्रेस को विधानसभा चुनाव में करारी हार झेलनी पड़ी थी. यहां तक कि जीतू पटवारी अपनी सीट भी नहीं बचा पाए. लेकिन लोकसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस बड़े-बड़े दावे कर रही थी और 10-11 सीटों पर जीत की बात कर रही थी. वहीं अब एग्जिट पोल के नतीजों के बाद कांग्रेस इसे मोदी मीडिया का एग्जिट पोल बता रही है. ऐसे में ये देखना दिलचस्प होगा कि 4 जून को एग्जिट पोल सही साबित होते हैं या फिर कांग्रेस का दावा सही होता है.

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