Lok Sabha Election 2024: देशभर में होने जा रहे लोकसभा चुनाव के लिए 19 अप्रैल को पहले चरण का मतदान होगा. इस चरण में 21 राज्यों के कुल 102 सीटों पर वोटिंग होगी. मतदाताओं को बूथ तक पहुंचाने के लिए चुनाव आयोग युद्ध स्तर पर कार्य कर रहा है. ऐसे में उम्मीद है कि अधिक से अधिक संख्या में मतदाता बूथ तक पहुंचकर अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे. इस दौरान कई मतदाता अपने पसंद के मुताबिक नोटा बटन को दबाकर अपना वोट दर्ज कराते हैं. तो चलिए जानते हैं कि पिछले यानी की 2019 लोकसभा चुनाव में कितने मतदाताओं ने नोटा दबाया था और इस मामले में कौन सा राज्य टॉप पर रहा.
चुनाव आयोग के आकंड़ों के मुताबिक साल 2019 में हुए लोकसभा चुनावों में 1.06 प्रतिशत मतदाताओं ने किसी भी पार्टी को नहीं चुनते हुए NOTA का बटन दबाया था. यह 2014 के लोकसभा चुनावों के 1.08 प्रतिशत से कम था. हालांकि यह आंकड़ा कई राज्यों में 2 फीसदी से ज्यादा तो ज्यादातर राज्यों में 1 फीसदी से कम रहा. आंकड़ों के अनुसार, 2019 के लोकसभा चुनाव में बिहार में सबसे ज्यादा (2 प्रतिशत) लोगों ने नोटा का बटन दबाया था. इसके बाद आंध्र प्रदेश (1.54 प्रतिशत) और छत्तीसगढ़ में (1.44 प्रतिशत) लोगों ने किसी भी प्रत्याशी के जगह नोटा का बटन दबाया था. केंद्र शासित प्रदेशों में, दमन और दीव (1.70) में सबसे अधिक नोटा वोट पड़े थे.
2013 में पहली बार शामिल हुआ था नोटा
बताते चलें कि 2019 लोकसभा चुनाव में कुल 6.52 मिलियन नोटा वोटिंग हुई थी, जिनमें से 22,272 वोट डाक मतपत्र से हुआ था. नोटा का प्रावधान पहली बार दिसंबर 2013 में छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, मिजोरम, दिल्ली और राजस्थान में हुए विधानसभा चुनावों के दौरान किया गया था. तब से इस व्यवस्था को विधानसभा और लोकसभा के चुनावों में शामिल कर लिया गया.
2019 के लोकसभा चुनाव में NOTA का प्रतिशत
चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक, 2019 लोकसभा चुनाव में लगभग 1.06 फीसदी मतदाताओं ने किसी भी उम्मीदवार को वोट करने के बजाय NOTA का बटन दबाया. छह हफ्ते तक चले 2019 लोकसभा चुनाव के दौरान इतिहास में सबसे अधिक मतदान दर्ज किया गया था. चुनाव आयोग के अनुसार, 2019 में मतदान प्रतिशत 67.11 प्रतिशत रहा था. इस चुनाव में सबसे अधिक असम और बिहार में 2.08% लोगों ने NOTA का बटन दबाया था, वहीं सिक्किम में सबसे कम 0.65 प्रतिशत लोगों ने NOTA को चुना था.