Lok Sabha Election 2024: दिल्ली हाई कोर्ट ने सोमवार को उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को छह साल के लिए चुनाव लड़ने से अयोग्य घोषित करने की मांग की गई थी. जिसमें दावा किया गया था कि उन्होंने वोट मांगने के लिए कथित तौर पर “भगवान और पूजा स्थल के नाम” का इस्तेमाल किया था. याचिकाकर्ता वकील आनंद एस जोंधले ने अपने याचिका में दावा किया है कि प्रधानमंत्री 9 अप्रैल को उत्तर प्रदेश के पीलीभीत में एक चुनावी सभा के दौरान अपील की थी कि मतदाता हिंदू देवी-देवताओं और हिंदू पूजा स्थलों के साथ-साथ सिख देवताओं और सिख पूजा स्थलों के नाम पर उनकी पार्टी को वोट दें.
दिल्ली हाई कोर्ट में दायर याचिका में लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत पीएम मोदी को छह साल के लिए चुनाव से अयोग्य घोषित करने के लिए भारत के चुनाव आयोग (ईसीआई) को निर्देश देने की मांग की गई है. जोंधले ने दावा किया कि उन्होंने पीएम को अयोग्य ठहराने की मांग करते हुए ईसीआई में शिकायत दर्ज कराई थी, हालांकि, आज तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है.
कोर्ट ने क्या कहा?
न्यायमूर्ति सचिन दत्ता की एकल न्यायाधीश पीठ ने पाया कि याचिका में जो भी कहा गया है वह आरोप पर आधारित था. जिसमें पीएम मोदी पर आरोप है कि वह अपने भाषण के दौरान मतदाताओं से हिंदू धर्म स्थल और सिख धर्म स्थ्ल के नाम पर अपनी पार्टी के पक्ष में वोट की अपील कर रहे थे. उन्होंने आगे कहा कि वर्तमान रिट याचिका कई कारणों से पूरी तरह से गलत समझी गई है. सबसे पहले, एक बार जब याचिकाकर्ता ने 10 अप्रैल, 2024 को अपनी शिकायत ईसीआई को सौंप दी, तो ईसीआई द्वारा उक्त शिकायत के निपटान से पहले भी, याचिकाकर्ता के पास इस अदालत के असाधारण क्षेत्राधिकार को लागू करने का कोई अवसर नहीं है. दूसरा यह की प्रार्थना में यह माना गया है कि आदर्श आचार संहिता और निर्देशों के सार-संग्रह का उल्लंघन हुआ है. यह पूर्वधारणा पूरी तरह से अनुचित है.
चुनाव लड़ने पर रोक लगाने की मांग की थी
याचिकाकर्ता ने शीर्ष अदालत से कहा था कि पीएम नरेंद्र मोदी ने स्पष्ट रूप से पीलीभीत में अपने भाषण के दौरान आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन किया है और इस तरह भारतीय दंड संहिता की धारा 153ए के तहत अपराध किया है. इस आधार पर जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के तहत अयोग्यता का प्रावधान है. आनंद एस जोंधाले ने हाई कोर्ट से ईसीआई को पीएम मोदी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 153ए के तहत एफआईआर दर्ज करने और उन्हें तत्काल प्रभाव से जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के नियमों का उल्लंघन करने कारण 6 साल के लिए चुनाव लड़ने से अयोग्य घोषित करने का आदेश देने की मांग की थी.