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Lok Sabha Election 2024: सूरत में मतगणना से पहले ही खिला कमल, किस पार्टी के नाम है सबसे ज्यादा निर्विरोध कैंडिडेट जीतने का रिकॉर्ड?

डिंपल यादव, फारूक अब्दुल्ला

डिंपल यादव, फारूक अब्दुल्ला

Lok Sabha Election 2024: भाजपा के मुकेश दलाल पिछले 12 वर्षों में निर्विरोध लोकसभा चुनाव जीतने वाले पहले उम्मीदवार बन गए हैं. सूरत संसदीय क्षेत्र से उनकी जीत अरुणाचल प्रदेश में हाल ही में हुए विधानसभा चुनावों में 10 भाजपा उम्मीदवारों के निर्विरोध जीतने के बाद हुई है. ऐसे में बीजेपी का खाता भी खुल गया है. एक चुनाव अधिकारी ने कहा कि अन्य सभी उम्मीदवारों के मैदान से हटने के बाद दलाल को सूरत लोकसभा क्षेत्र से निर्विरोध चुना गया. कांग्रेस के नीलेश कुंभानी की उम्मीदवारी एक दिन पहले खारिज कर दी गई थी. सात चरणों में चल रहे लोकसभा चुनाव में यह बीजेपी की पहली जीत है.

बता दें कि मुकेश दलाल ऐसे पहले उम्मीदवार नहीं है जिन्हें संसदीय चुनाव में निर्विरोध जीत मिल गई हो. 1951 के चुनाव से लेकर अब तक करीब 34 लोगों ने निर्विरोध जीत हासिल की है. समाजवादी पार्टी की डिंपल यादव ने 2012 में कन्नौज लोकसभा उपचुनाव निर्विरोध जीता था. यह सीट उनके पति अखिलेश यादव के उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनने के बाद खाली हुई थी.

फारूक अब्दुल्ला भी जीत चुके हैं निर्विरोध चुनाव

संसदीय चुनाव में निर्विरोध जीत हासिल करने वाले अन्य प्रमुख नेताओं में वाईबी चव्हाण, फारूक अब्दुल्ला, हरे कृष्ण महताब, टीटी कृष्णामाचारी, पीएम सईद और एससी जमीर शामिल हैं. जो उम्मीदवार बिना किसी मुकाबले के लोकसभा में पहुंचे हैं, उनमें से सबसे ज्यादा कांग्रेस से हैं. सिक्किम और श्रीनगर निर्वाचन क्षेत्रों में दो बार ऐसे निर्विरोध चुनाव हुए हैं.जबकि अधिकांश उम्मीदवार सामान्य या नियमित चुनावों में निर्विरोध चुनाव जीते हैं, डिंपल यादव सहित कम से कम नौ ऐसे हैं, जिन्होंने उपचुनावों में निर्विरोध जीत हासिल की है.

1957 में आम चुनाव में अधिकतम सात उम्मीदवार निर्विरोध जीते, उसके बाद 1951 और 1967 के चुनावों में पांच-पांच उम्मीदवार निर्विरोध जीते. जबकि 1962 में तीन उम्मीदवार और 1977 में दो उम्मीदवार निर्विरोध जीते, इसी तरह 1971, 1980 और 1989 में एक-एक उम्मीदवार ने चुनाव जीता.

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मुकेश दलाल की जीत पर जब भड़क गए राहुल गांधी

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने सोशल मीडिया हैंडल ‘एक्स’ पर लिखा,”तानाशाह की असली ‘सूरत’ एक बार फिर देश के सामने है. जनता से अपना नेता चुनने का अधिकार छीन लेना बाबा साहेब अंबेडकर के संविधान को खत्म करने की तरफ बढ़ाया एक और कदम है. मैं एक बार फिर कह रहा हूं-यह सिर्फ सरकार बनाने का चुनाव नहीं है, यह देश को बचाने का चुनाव है, संविधान की रक्षा का चुनाव है.”

 

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