Lok Sabha Election 2024: यूपी की हाई प्रोफाइल सीटों में से एक कैसरगंज से अभी तक बीजेपी ने बृज भूषण शरण सिंह को टिकट नहीं दिया है. अभी तक की स्थिति साफ भी नहीं है कि इस सीट से बीजेपी किस उम्मीदवार को टिकट देगी. हालांकि, इस बीच मायावती की पार्टी बसपा ने यहां से नरेंद्र पांडेय को उम्मीदवार बनाया है. बसपा ने कैसरगंज में पुरानी सोशल इंजीनियरिंग पर आगे बढ़ते हुए ब्राह्मण उम्मीदवार उतारा है. नरेंद्र पांडेय साल 2004 से मायावती की पार्टी से जुड़े हुए हैं. सबसे खास बात ये कि उन्होंने एक दिन पहले ही एक सेट में नॉमिनेशन दाखिल भी कर दिया था. अब वह बतौर बसपा उम्मीदवार के रूप में नामांकन करेंगे.
भूषण शरण सिंह के बेटे को टिकट दे सकती है बीजेपी
इस बीच राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि बीजेपी कैसरगंज से अपने मौजूदा सांसद बृज भूषण शरण सिंह को हटा सकती है और उनके बेटे को सीट से मैदान में उतारा जा सकता है. सूत्रों के मुताबिक, बीजेपी कैसरगंज सीट से बृजभूषण के छोटे बेटे करण भूषण सिंह को लोकसभा चुनाव का टिकट दे सकती है.इससे पहले, बृजभूषण शरण सिंह ने लोकसभा सीट से भाजपा उम्मीदवार के रूप में उनके नाम की घोषणा में देरी के लिए मीडिया को जिम्मेदार ठहराया था. सिंह ने मीडिया से बात करते हुए कहा, “टिकट की चिंता मेरी है. आप लोगों को चिंता करने की जरूरत नहीं है. आप लोगों की वजह से मेरी उम्मीदवारी की घोषणा में देरी हो रही है.” भाजपा ने अभी तक कैसरगंज से अपना उम्मीदवार घोषित नहीं किया है, जहां 20 मई को लोकसभा चुनाव के पांचवें चरण में मतदान होगा.
बसपा का ब्राह्मण फॉर्मूला
गौरतलब है कि बसपा इससे पहले भी कैसरगंज में ब्राह्मण मतदाताओं की बहुलता के कारण 2009 के लोकसभा चुनाव में ब्राह्मण चेहरे के रूप में सुरेंद्र नाथ अवस्थी उर्फ पुत्तू अवस्थी पर और 2014 में पार्टी विधायक रहे कृष्ण कुमार ओझा पर दांव लगा चुकी है. मगर उस दौरान 2009 में हाई कोर्ट लखनऊ के वरिष्ठ और चर्चित अधिवक्ता एलपी मिश्रा को बीजेपी ने कैसरगंज से मैदान में उतारा था, जिसमें एसपी उम्मीदवार बृजभूषण शरण ने एलपी मिश्रा को चुनाव में हरा दिया था. उस दौरान बसपा और भाजपा दोनों पार्टियों से ब्राह्मण चेहरों के चलते बड़ी तादाद में ब्राह्मण मतदाताओं में बिखराव देखने को मिला.अब बसपा ने एक बार फिर से पुरानी रणनीति पर भरोसा करते हुए ब्राह्मण चेहरे को मैदान में उतारा है.
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क्या है जातीय समीकरण?
कैसरगंज लोकसभा सीट पर अगर जातीय समीकरण की बात की जाए तो ब्राह्मण मतदाताओं की संख्या सर्वाधिक करीब 20 फीसदी है. वहीं दूसरे नंबर पर दलित करीब 18 फीसदी हैं. वहीं मुस्लिम करीब 18 फीसदी, जबकि राजपूत करीब 10 फीसदी हैं. वहीं पिछड़ी जातियों में यादव करीब 12 फीसदी, निषाद करीब 9 फीसदी, कुर्मी लगभग 7 फीसदी बताए जाते हैं. इस तरह बसपा ने दलित ब्राह्मण मुस्लिम समीकरण को साधते हुए लगभग 56 फीसदी वोटों को प्राप्त करने की गुणा गणित के हिसाब से एक बार फिर ब्राह्मण चेहरे पर दांव लगाया है.
पिछले चुनाव का परिणाम
2019 के चुनाव में बृजभूषण को 5,81,358 वोट मिले. बसपा के चंद्रदेव राम यादव को 3,19,757 जबकि कांग्रेस प्रत्याशी विनय कुमार पांडे को 37,132 वोट मिले.पहले और दूसरे चरण का मतदान पूरा हो चुका है और तीसरे चरण का मतदान 7 मई को है.