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यादव बनाम यादव…आजमगढ़ क्यों है अखिलेश के लिए ‘नाक का सवाल’?

धर्मेंद्र यादव, अखिलेश यादव और दिनेश लाल यादव

धर्मेंद्र यादव, अखिलेश यादव और दिनेश लाल यादव

Lok Sabha Election 2024: उत्तर प्रदेश में आजमगढ़ लोकसभा क्षेत्र का राजनीतिक ताना-बाना लंबे समय से मुसलमानों और यादवों के बीच गठबंधन से बुना गया है. इससे सबसे ज्यादा अखिलेश यादव को ही फायदा हुआ है. संख्यात्मक दृष्टि से इस गठबंधन ने पिछले 20 चुनावों में 17 जीत हासिल की है. इससे इस समीकरण के ताकत का अंदाजा लगाया जा सकता है.

इस बार दो यादवों के बीच मुकाबला

जैसे-जैसे 25 मई का चुनाव नजदीक आ रहा है, इस स्थायी एम-वाई गठबंधन को एक और परीक्षा का सामना करना पड़ रहा है. इस बार चुनावी लड़ाई मुख्य रूप से दो यादव उम्मीदवारों के बीच है, जबकि दलित वोटों का नतीजे पर काफी असर पड़ने की उम्मीद है. बीजेपी ने भोजपुरी अभिनेता और वर्तमान सांसद दिनेश लाल यादव उर्फ निरहुआ को अखिलेश यादव के चचेरे भाई धर्मेंद्र यादव के सामने उतारा है.बहुजन समाज पार्टी ने मसूद अहमद को मैदान में उतारकर चुनावी लड़ाई को और दिलचस्प बना दिया है.

उपचुनाव में जीते थे निरहुआ

समाजवादी पार्टी ने मैनपुरी, कन्नौज और इटावा के बाद आजमगढ़ को अपना गढ़ बनाया था. यहां तक कि सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव भी यहां से चुनाव लड़े थे. 2019 का चुनाव भी अखिलेश ने जीता, लेकिन दिनेश यादव के यहां से चुनाव जीतने पर सपा बीजेपी से उपचुनाव हार गई.

हालांकि, राजनीति के जानकारों का कहना है कि अखिलेश ने उस उपचुनाव की हार को हल्के में नहीं लिया है. इस बार यह एक कठिन चुनाव है और अखिलेश के लिए आजमगढ़ जीतना नाक का सवाल है. अखिलेश के लिए आजमगढ़ नाक का सवाल क्यों है इसे ऐसे जानिए. आजमगढ़ में प्रचार प्रसार थमने तक अखिलेश के साथ-साथ डिंपल यादव भी जोर-शोर से प्रचार कर रही थीं.

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ऐतिहासिक रूप से अयोध्या सिंह उपाध्याय और कैफ़ी आज़मी जैसी साहित्यिक हस्तियों के लिए प्रसिद्ध आजमगढ़ में सपा में शामिल हुए गुडडू जमाली ने चुनावी हलचल को और बढ़ा दिया है. गुड्डू, पहले मुलायम सिंह यादव के खिलाफ चुनाव लड़ा था और 2014 में 2.66 लाख से अधिक वोट हासिल किए थे.

2009 के परिसीमन के बाद से आजमगढ़ के संसदीय क्षेत्र में अब आज़मगढ़ सदर, गोपालपुर, सगड़ी, मुबारकपुर और मेहनगर विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं, जिनका प्रतिनिधित्व सपा विधायक करते हैं. उत्तर प्रदेश में भाजपा की मजबूत उपस्थिति के बावजूद, एसपी ने 2022 के विधानसभा चुनावों के दौरान जिले की सभी दस सीटों पर नियंत्रण बनाए रखा, जो एम-वाई गठबंधन की ताकत को दिखाता है.

आजमगढ़ का नंबर गेम

पिछले कुछ दशकों में राजनीतिक परिदृश्य काफी विकसित हुआ है. इस सीट से कभी कांग्रेस, कभी बसपा और कभी सपा चुनाव जीतती रही है. अब जैसे-जैसे मतदाता चुनाव की ओर बढ़ रहे हैं, बेरोजगारी एक प्रमुख मुद्दा बनकर सामने आ रही . अगर नंबर की बात करें तो आजमगढ़ में 24% दलित, 20% यादव और 12% मुस्लिम शामिल हैं.

आजमगढ़ से किस पार्टी के कौन उम्मीदवार?

तीसरी बार चुनाव लड़ रहे प्रसिद्ध भोजपुरी अभिनेता और गायक दिनेश लाल यादव निरहुआ ने 2022 के उपचुनाव में धर्मेंद्र यादव को हराकर पहली बार सांसद की सीट जीती.

मुलायम सिंह यादव के भतीजे धर्मेंद्र यादव दूसरी बार आजमगढ़ से चुनाव लड़ रहे हैं. पहले वह मैनपुरी और बदायूं से सांसद थे, लेकिन 2022 के उपचुनाव में वह निरहुआ से हार गए.

छात्र राजनीति में गहरी जड़ें रखने वाले पहाड़पुर के स्थानीय निवासी मशहूद अहमद हाल ही में अपनी पत्नी के साथ बसपा में शामिल हुए.

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