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गरीबी से उठकर सुरों से चमका नर्मदा किनारे का सितारा, बाबा बागेश्वर ने बदली अमित धुर्वे की किस्मत

Bhajan singer Amit Dhurve

भजन गायक अमित धुर्वे

Khargone News: कहते हैं कि कला किसी की मोहताज नहीं होती, वह अपना रास्ता खुद बना लेती है. इसे सच किया है खरगोन जिले के नर्मदा किनारे महेश्वर में टूटी-फूटी झोपड़ी में निवास करने वाले भजन गायक अमित धुर्वे ने जो बागेश्वर धाम के पंडित धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री की वजह से अब देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी रातों-रात प्रसिद्ध हो चुके हैं.

रातों-रात स्‍टार बने अमित धुर्वे

गरीबी और टूटी-फूटी झोपड़ी में भजन गाकर अपनी पत्नी महारानी और पांच छोटे बच्चों के साथ गुजारा करने वाले अमित धुर्वे हारमोनियम सुधारने का काम करते थे. लेकिन भजन के माध्‍यम से अपनी अवाज को लोगों तक पहुंचाने के लिए अमित ट्रेनों और गांव की गलियों में भजन गाते थे. जब अमित के भजन का वीडियो बागेश्वर वाले पंडित धीरेंद्र शास्‍त्री के पास पहुंचा. धीरेंद्र शास्त्री ने नवरात्रि में भजन गायक अमित की मधुर आवाज दरबार में सुनी और उसका विडियो धाम के सोशल मीडिया पर अपलोड होने के बाद वह रातों-रात प्रसिद्धि पाकर स्टार बन गए. अब अमित को कनाडा से भी भजन गाने का मौका मिला है.

भजन का विडियो सोशल मीडिया पर हुआ वायरल

भजन गाकर एक गरीब आदिवासी गायक की अब किस्मत बदल गई है. खरगोन जिले के महेश्वर नगर निवासी अमित धुर्वे ने नवरात्रि कथा महोत्सव के दौरान मंच से ग़ज़ल शैली में भजन सुनाया, जिसकी गूंज पूरे पंडाल में फैल गई. उनकी मधुर आवाज सुनकर पंडित धीरेन्द्र शास्त्री बेहद प्रभावित हुए और उन्होंने उसी दिन का पूरा चढ़ावा अमित धुर्वे को भेंट कर दिया. बाबा का यह स्नेह और आशीर्वाद गायक के जीवन का बड़ा मोड़ साबित होने जा रहा है.

अमित धुर्वे का भजन जैसे ही बागेश्वर धाम के चैनल पर प्रसारित हुआ, वह देखते ही देखते सोशल मीडिया पर वायरल हो गया. उनकी गायकी को देशभर में लोगों ने सराहा और अब टी-सीरीज म्यूजिक कंपनी से भजन रिकॉर्ड करने का प्रस्ताव भी मिल गया है. अमित बताते हैं कि वह अब तक भजन गाकर मंडलियों और पूजा पंडालों में ही जीवन यापन करते थे, लेकिन उन्होंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि बड़े स्थानों से उन्हें गाने का मौका मिलेगा.

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साधारण आदिवासी परिवार से आते हैं अमित

अमित धुर्वे ने विस्तार न्यूज चैनल से एक्सक्लूसिव बातचीत में कहा कि वे महेश्वर में नर्मदा किनारे पर रहने वाले एक साधारण आदिवासी परिवार से आते हैं, जिनके पूर्वज हारमोनियम सुधारने का काम करते थे. उन्‍होंने कहा कि आज भक्ति और सुरों की ताकत ने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई है और उनकी आवाज लाखों दिलों तक पहुंच चुकी है.

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