Vistaar NEWS

Holi 2025: रंग, भंग, गीत, मीत और संगीत का मिलन है बुंदेलखंड का ‘फाग’, होली की आत्मा इसी में बसती है

बुंदेलखंड का मस्ती भरा भाग

Faag festival is celebrated in Bundelkhand on the occasion of Holi

Holi 2025: भारत विविधताओं का देश है, जहां एक ही त्योहार को अलग-अलग तरीके से मनाने की परंपरा है. कुछ ऐसे भी ‍उत्सव हैं जिन्हें मनाने के लिए लोग साल भर इंतजार करते हैं. होली जिसे रंगों का उत्सव कहा जाता है, वास्तव में बेमिसाल और शानदार पर्व है. शायद होली ही ऐसा त्योहार है जिसमें गायन को विशेष महत्व दिया जाता है. रंगोत्सव के ये गीत भाषा और बोली के साथ बदलते जाते हैं लेकिन भाव नहीं बदलता. मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड में ‘फाग’ मनाया जाता है जो गुलाल और अबीर में सराबोर अद्वितीय उत्सव है.

होली के समय होता है ‘फाग गायन’

बुंदेलखंड का फाग उत्सव लोकगीत के बिना नहीं पूरा हो सकता है. ग्रामीण अंचलों में आज भी बुजुर्ग ढोलक, नगड़िया और झांज के साथ फाग गाते हैं. इन गीतों में बुंदेली बोली का सार समाहित होता है. होली के दिन संगीतमय सुबह इसी से शुरू होती है और शाम भी इसी पर खत्म होती है.

ये भी पढ़ें: बरसाने की लठ्ठमार होली देखने का है मन, ऐसे प्लान कर सकते हैं अपनी छुट्टियां

रंग, भंग, गीत, मीत और संगीत का मिलन है

फाग मनाने के लिए रंगों से होली तो खेली ही जाती है. इसके साथ ही भंग यानी भांग का सेवन भी किया जाता है. केवल भांग ही नहीं गुझिया, पान का बीड़ा, लौंग, इलायची, लड्डू और खुरमी का लुत्फ उठाया जाता है. साथी और मित्रों के साथ लोकगीत गाए जाते हैं. जिसमें विशेष संगीत का इस्तेमाल किया जाता है.

मध्य प्रदेश तक सीमित नहीं है

मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड के क्षेत्र में ‘फाग’ उत्सव मनाया जाता है. इसके साथ ही उत्तर प्रदेश और बिहार में भी फाग गाया जाता है. भले ही बोलियां बदल जाती हैं लेकिन भाव नहीं बदलते हैं. लोग पूर्व से पश्चिम तक उसी हर्ष और उल्लास से इस ‘फाग’ को गाकर उत्सव मनाते हैं.

ये भी पढ़ें: छत्तीसगढ़ के इन गांवों में अनोखी परंपरा, एक हफ्ते पहले मनाई जाती है होली

ईसुरी के बिना पूरा नहीं होता फाग

ईसुरी बुंदेलखंड में जन्मे मध्यकालीन कवि हैं. उन्होंने कई काव्यों की रचना की. इनमें ईसुरी के फाग शामिल हैं. इन काव्य रचनाओं के बिना फाग उत्सव पूरा नहीं हो सकता है. फाग गायन भगवान कृष्ण और होली का बेजोड़ मेल है. रामायण और राम कथा को भी शामिल किया जाता है. इसके साथ ही वीर रस, श्रृंगार रस को समाहित किया जाता है.

Exit mobile version