MP Politics: विधानसभा और फिर लोकसभा चुनावों में बैक टू बैक शिकस्त खाने के बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कमलनाथ हाशिये पर चले गए थे. लेकिन, मंगलवार को नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी से उनकी मुलाक़ात ने उन्हें फिर से लाइम-लाइट में ला दिया है. कमलनाथ कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हैं और मध्य प्रदेश ही नहीं बल्कि राष्ट्रीय राजनीति के बड़े चेहरे के तौर पर जाने जाते रहे हैं. लेकिन, हाल के कुछ सालों में न सिर्फ उनका सियासी क़द घटा, बल्कि अजेय समझे जाने वाली मध्य प्रदेश की छिंदवाड़ा सीट भी उनके परिवार के हाथ से फिसल गई. लेकिन, सियासत ऐसी जंग है कि कौन सा महारथी किस रण में ताकतवर बन जाए कहा नहीं जा सकता.
30 मिनट तक चली बातचीत
बताया जा रहा है कि राहुल गांधी के साथ कमलनाथ की तक़रीबन 30 मिनट की बातचीत हुई. इस दौरान मध्य प्रदेश समेत चुनावी राज्यों में कमलनाथ के अनुभव और संपर्कों को समायोजित करने पर चर्चा हुई. ख़ास तौर पर महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के दौरान कमलनाथ के पुराने संपर्कों के ज़रिए कांग्रेस अपनी स्थिति को मज़बूत करना चाहती है. लिहाज़ा, एकाएक कमलनाथ फिर से सीन में दिखाई देने शुरू हो चुके हैं. कांग्रेस भी अब चौतरफ़ा रणनीतियों पर काम कर रही है. उसकी कोशिश पार्टी के ओल्ड-गार्ड्स और नए जरनैलों के बीच सामंजस्य बैठाने की है. ताकि रणनीति को ज़मीनी स्तर पर सही ढंग से लागू किया जा सके.
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सिंधिया के झटके से उबर नहीं पाई कांग्रेस!
कांग्रेस के लिए लंबे अर्से से दिक़्क़त मध्य प्रदेश की धरती भी रही है. दशकों के इंतज़ार के बाद पार्टी ने मध्य प्रदेश में जीत हासिल की थी. लेकिन, ज्योतिरादित्य सिंधिया ने ऐसा झटका दिया कि पार्टी अभी तक उबर नहीं पा रही है. ऐसे में राहुल गांधी की कोशिश मध्य प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी जैसे युवा नेताओं के ज़िम्मे मध्य प्रदेश की धरती सौंपे. तो वहीं पुराने नेताओं की उपयोगिता का दूसरे राज्यों के चुनावों में इस्तेमाल करे. माना जा रहा है कि राहुल गांधी कमलनाथ को राष्ट्रीय राजनीति में दोबारा सक्रिय करने के पक्ष में हैं और इसकी शुरुआत महाराष्ट्र और हरियणा चुनाव में किसी बड़ी ज़िम्मेदारी से कर सकते हैं.