LK Advani: राजनीति के महारथी लालकृष्ण आडवाणी देश की 50वीं शख्सियत बनने जा रहे हैं, जिनको भारत रत्न का सम्मान मिल रहा है. खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर इस बारे में जानकारी शेयर की. हालांकि, इस सम्मान के बाद भी आडवाणी की एक ख्वाहिश थी, जो अधूरी रह गई. वो हमेशा के लिए भोपाल के ‘लाल’ बना चाहते थे. उनकी इच्छा थी कि वो यहां से लोकसभा चुनाव लड़ें. पूर्व सीएम कैलाश जोशी भी चाहते थे कि आडवाणी भोपाल से चुनाव लड़ें, लेकिन ऐसा नहीं हो सका. लेकिन साल 2014 में संघ और पार्टी के दबाव के कारण उनकी यह इच्छा पूरी नहीं हो सकी. पार्टी ने उनको भोपाल की जगह गुजरात के गांधीनगर का टिकट दिया. उस वक्त पार्टी ने एक नए चेहरे आलोक संजर को भोपाल से टिकट देकर सबको चौंका दिया था. संजर चुनाव तो जीत गए लेकिन अपनी ही पार्टी के भीष्म पितामह के सपने को तोड़ दिया.
शहर में होर्डिंग्स लग गए थे
2014 में भोपाल से चुनाव लड़ने वालों में पूर्व महापौर आलोक शर्मा का नाम सबसे आगे चल रहा था. लेकिन बीजेपी का ही एक बड़ा गुट चाहता था कि आडवाणी यहां से आकर चुनाव लड़ें, जिसके चलते होर्डिंग वार शुरू हो गया था. शहर के रोशनपुरा, कमला पार्क और वीआईपी रोड पर आडवाणी के स्वागत में पोस्टर लगा दिए गए थे. जबकि पार्टी की ओर से किसी भी उम्मीदवार के नाम का ऐलान नहीं हुआ था.
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मोहन भागवत ने समझाया
साल 2014 में पार्टी के अध्यक्ष रहे राजनाथ सिंह ने उस वक्त कभी भी खुलकर आडवाणी को भोपाल से टिकट ना देने बात नहीं कहीं. लेकिन दोनों के रिश्ते में सिर्फ भोपाल से टिकट ना मिलने पर खटास आ गई थी. आडवाणी किसी भी कीमत पर भोपाल नहीं छोड़ना चाहते थे, जिसके बाद संघ को हस्ताक्षेप करना पड़ा. संघ प्रमुख मोहन भागवत के समझाने के बाद आडवाणी ने भोपाल सीट का मोह छोड़कर गांधीनगर से चुनाव लड़ा. उनको 773,539 वोट हासिल मिले कुल वोट शेयर का 68.12% हासिल किया था, उन्होंने कांग्रेस के किरीटभाई ईश्वरभाई पटेल को 290,418 वोटों से हराया था.
आडवाणी-शिवराज के मजबूत रिश्ते
मध्य प्रदेश में सीएम बदलने के बाद से अक्सर पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान की तुलना आडवाणी से की जाती है. पत्रकार दीपक तिवारी की किताब राजनीतिनामा में साल 2014 में ग्वालियर में हुई एक सभा का जिक्र किया गया है, जिसके हिसाब से ग्वालियर में हुई एक सभा में आडवाणी ने मंच से कहा था कि शिवराज मोदी से बेहतर सीएम हैं. हालांकि इसके बाद शिवराज को मीडिया में आकर बयान देना पड़ा था कि मोदी नंबर वन सीएम हैं, रमन सिंह नंबर दो पर हैं. जबकि मैं नंबर तीन पर हूं.