Lok Sabha Election 2024: बीजेपी ने लोकसभा चुनावों को लेकर प्रत्याशियों का ऐलान कर दिया है. हालांकि मध्य प्रदेश में 29 में से 24 सीटों पर नामों का ऐलान किया है जबकि 5 सीटें अब भी होल्ड की गई हैं. मध्य प्रदेश में बीजेपी की मजबूत सीट मानी जाने वाली इंदौर और उज्जैन की सीट पर नामों का ऐलान नहीं किया है. साथ ही छिंदवाड़ा, बालाघाट और धार की सीटों पर भी होल्ड किया है.
राजनीतिक जानकारों का कहना है कि बड़े नेता इंदौर सीट को लेकर लॉबिंग कर रहे हैं. बताया जा रहा है कि बीजेपी के सर्वे में कांग्रेस को इन तीन सीटों पर जीत मिलते दिखाई दे रही है. अब आगामी 8 मार्च को बीजेपी के चुनाव समिति की बैठक है. उम्मीद है कि इन पांच नामों पर बैठक में मुहर लग जाएगी. हालांकि 4 ही सीटों का एलान किए जाने की बात कही जा रही है, छिंदवाड़ा पर नाम का ऐलान बाद में किया जाएगा. जिन सीटों का ऐलान किया जाना है उनपर भी कुछ चौंकाने वाले नाम सामने आ सकते हैं.
जिन पांच सीटों पर नाम का ऐलान नहीं किया गया है, माना जा रहा है कि वहां मौजूदा सांसदों के नामों पर खतरा मंडरा रहा है. मौजूदा सांसदों के नाम काटकर नए चेहरों का एलान किया जा सकता है. इसके साथ ही बीजेपी भी दो सीटों पर महिलाओं को टिकट देने के बारे में सोच रही है. हालांकि जिन 24 नामों का ऐलान होना है, उनमें 4 महिलाओं को टिकट दिया गया है. वहीं बाकी सीटों में से दो पर महिलाओं को चेहरा बनाया जाता है तो कुल 6 महिलाओं को मध्य प्रदेश से मौका मिल सकता है.
1989 से बीजेपी के कब्जे में इंदौर सीट
इंदौर लोकसभा सीट पर बीजेपी 1989 के जमाने से काबिज है. तब सुमित्रा महाजन ने यहां से चुनाव जीतकर ये सीट कांग्रेस से छीन कर बीजेपी के कब्जे में कर दिया था. उसके बाद यह लोकसभा सीट भाजपा के कब्जे में है. पिछले चुनाव में शंकर लालवानी ने चुनाव जीतकर यहां बीजेपी के प्रदर्शन को दोहराया. हालांकि इसबार इस सीट पर सुमित्रा महाजन और कैलाश विजयवर्गीय की दावेदारी मानी जा रही है.
कहा जा रहा है कि भाई और ताई के बीच इस सीट को लेकर खींचतान है. हालांकि केंद्रीय नेतृत्व दोनों के बीच की रस्साकशी को खत्म करने को लेकर किसी महिला और नए चेहरे को मैदान में उतार सकता है. यदि ऐसा होता है तो भाजपा प्रवक्ता रहीं दिव्या गुप्ता और विधायक मालिनी गौड़ में से किसी एक को मैदान में उतारा जा सकता है.
उज्जैन में भी दो नामों के बीच मामला अटका
वहीं सीएम के गृह नगर उज्जैन में भी दो नामों के बीच मामला अटका हुआ. एक तरफ अनिल फिरोजिया तो दूसरा पक्ष रानी जाटव को टिकट देने की मांग कर रहा है, जिससे यहां पर नाम को लेकर मंथन किया जा रहा है. वहीं छिंदवाड़ा बीजेपी के लिहाज से एक महत्वपूर्ण सीट है. माना जा रहा था कि कमलनाथ के बीजेपी में शामिल होने से ये सीट भाजपा के कब्जे में आ जाएगी.
लेकिन कमलनाथ के बीजेपी में शामिल होने की अटकलों के खारिज होने के बाद एक बार फिर इस सीट पर बीजेपी को नए सिरे से रणनीति बनानी पड़ रही है. हालांकि नरोत्तम मिश्रा के यहां से चुनाव लड़ने को लेकर चर्चाएं तेज मानी जा रही है. ऐसे में देखना होगा कि बीजेपी किस तरह छिंदवाड़ा के गढ़ में सेंधमारी करती है.
धार को लेकर भी केंद्रीय नेतृत्व कोई रिस्क नहीं लेना चाहता है. सर्वे में भाजपा को इस सीट पर नुकसान होता दिख रहा है. विधानसभा चुनावों में भी पार्टी यहां संघर्ष करती दिखी थी. जिसके बाद पार्टी यहां काफी विमर्श कर रही है. माना जा रहा है कि इस सीट पर रंजना बघेल का नाम आगे बढ़ाया गया है, जिन्हें नरेंद्र तोमर और शिवराज सिंह के समर्थन के तौर पर जाना जाता है. लेकिन बीजेपी यहां से नए चेहरे पर दांव लगाना चाहती है. अब देखना होगा पार्टी किसे मौका देती है.
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संगठन कर रहा वैभव की पैरवी
इस लोकसभा सीट पर पूर्व मंत्री गौरीशंकर बिसेन ने अपनी बेटी मौसम के लिए महिला कोटे का हवाला देते हुए पूरी ताकत लगा दी है. मौसम को विधानसभा चुनाव में टिकट दिया गया था, लेकिन स्वास्थ्य की वजह से वे पीछे हट गईं. पिता गौरीशंकर बिसेन चुनाव लड़े, मगर हार गए. वहीं प्रदेश संगठन भाजपा युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष वैभव पंवार के पक्ष में है. इसी वजह से यहां पेंच फंस गया. सूत्रों का कहना है कि इस सीट से ढाल सिंह बिसेन सांसद हैं मौसम बिसेन को टिकट देने के लिए गौरीशंकर बिसेन तो अड़े हैं तो पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की भी सहमति है. जबकि पार्टी यहां से टिकट बदलना चाहती है. इसी कारण यहां फैसला नहीं हुआ है.
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भाजपा अपने लिए एकमात्र चुनौती छिंदवाड़ा को मानती है, इसलिए तीन विकल्पों पर विचार मंथन चल रहा है. जिस तरह से नकुलनाथ के कांग्रेस छोड़ने की अटकलें लगाई गईं उससे भाजपा को कई उम्मीदें हैं. यदि नकुलनाथ भाजपा में शामिल होते हैं तो उन्हें ही उम्मीदवार बनाया जाएगा. यदि नकुलनाथ बीजेपी में नहीं आते तो दूसरे विकल्प के तौर पर पार्टी किसी बड़े नेता को छिंदवाड़ा से मैदान में उतार सकती है.
बड़े नेताओं में ग्रामीण विकास एवं पंचायत मंत्री प्रहलाद पटेल और पूर्व गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा का नाम भी चर्चा में है. इसके साथ ही स्थानीय नेता को मैदान में उतारा जा सकता है. इसमें विवेक साहू बंटी का नाम सबसे आगे है. यहां से नत्थन शाह का नाम भी चर्चा में है, वे पिछला लोकसभा चुनाव महज 37 हजार वोट से हारे थे. उनके अलावा मोनिका बट्टी व उत्तम ठाकुर भी दावेदार हैं.