Madhya Pradesh News: मध्य प्रदेश की मोहन यादव सरकार जल्द ही कर्मचारियों के हित में एक बड़ा फैसला कर सकती है. ऐसा हुआ तो 36 साल बाद मध्यप्रदेश के 5 लाख कर्मचारियों की बड़ी डिमांड पूरी हो जाएगी. ये कर्मचारी लंबे समय से समान पद-समान वेतनमान की मांग कर रहे थे. इसे लेकर पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान ने जीपी सिंघल आयोग बनाया था, जिसने अपनी रिपोर्ट वर्तमान मोहन यादव सरकार को सौंप दी है.
डिप्टी सीएम जगदीश देवड़ा ने इस रिपोर्ट को लेकर मीडिया में बयान जारी किया है कि इस रिपोर्ट का परीक्षण किया जा रहा है. परीक्षण के बाद आयोग की सिफारिशों को लागू करने की दिशा में काम किया जाएगा. आयोग की सिफारिशों को लागू करने के लिए वित्त विभाग पूरी रिपोर्ट को कैबिनेट के समक्ष रखेगी और कैबिनेट की मोहर लगने के बाद ही आयोग की सिफारिशों को लागू किया जाएगा.
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लंबे समय से मांग कर रहे थे कर्मचारी
आपको बता दें कि मध्य प्रदेश के तृतीय और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी लंबे समय से मांग कर रहे थे कि समान पद के आधार पर समान वेतनमान उनको मिलना चाहिए. उदाहरण के लिए मंत्रालयों, पुलिस मुख्यालय और विधि विभाग में काम करने वाले स्टेनोग्राफर को 5500-9000 रुपए का वेतनमान मिलता है लेकिन जिलों की कलेक्ट्रेट और अन्य विभाग में काम करने वाले स्टेनोग्राफर को 4500-7000 रुपए का वेतनमान मिलता है. जबकि दोनों जगह पद और काम समान है लेकिन वेतनमान में काफी अंतर है.
5 लाख कर्मचारियों को मिलेगा फायदा
फिलहाल आयोग ने रिपोर्ट दी है, जिसका परीक्षण किया जा रहा है. इस आयोग की रिपोर्ट के लागू होते ही मध्यप्रदेश सरकार के विभिन्न विभागों में कार्यरत करीब 5 लाख कर्मचारियों को उनके वेतनमान में सुधार होने का लाभ मिलेगा. प्रशासनिक सूत्रों के अनुसार कर्मचारियों को उनके पद के अनुसार उनके वेतन में 12 से 60 हजार रुपए सालाना तक का लाभ मिल सकता है. सूत्र यह भी बताते हैं कि आयोग की रिपोर्ट के परीक्षण और उसे लागू कराने के लिए छह महीने से एक साल तक का समय लग सकता है.