Vistaar NEWS

Madhya Pradesh News: नर्मदा आंदोलनकारियों, NVD आयुक्त और जिलाधिकारियों के बीच बैठक, कई मांगों पर हुई चर्चा

Madhya Pradesh News

NVD आयुक्त और जिलाधिकारियों के बीच बैठक

Madhya Pradesh News: नर्मदा बचाओ आंदोलन के अनिश्चितकालीन उपवास-धरना सत्याग्रह के बाद नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण आयुक्त घाटी में पहुंचे. सरदार सरोवर से प्रभावित चारों जिलों के जिलाधिकारी, अनुविभागीय अधिकारी और सभी जिलों से संभाग तक अधिकारियों को बुलाकर कुक्षी तहसील जिला धार स्तर पर दीर्घ बैठक आयोजित की. उसी के साथ निसरपुर बसाहट में एक बैठक निर्वाचित जनप्रतिनिधियों के साथ करने के पश्चात आंदोलन के कार्यकर्ता और सैकड़ों विस्थापितों के साथ भी जनसंवाद आयोजित किया, जो कि 2 घंटे तक चला. इसमें मेधा पाटकर पूर्णत: स्वस्थ न रहते हुए भी उपस्थित रही.

आयुक्त को हर जिले के उर्वरित पुनर्वास कार्यों की सूची उपलब्ध करके तत्काल निर्णय की मांग की गई. सभी मुद्दों पर पूर्व में ही आवेदन प्रस्तुत किए गए हैं. और एक या अनेक बार चर्चा हो चुकी है, उन पर त्वरित निराकरण की जरूरत पेश की गई. टीनशेड में सालों से भयावह स्थिति में रखे गए सैकड़ों परिवारों की हकीकत सुशीला नाथ ने तो खेड़ा, चिखल्दा की अनीता बहन ने बयां की.

ये भी पढ़ें- MP News: कक्षा 5वीं और 8वीं की पुन: परीक्षाओं के परिणाम घोषित, यहां चेक करें Reslut

60 लाख रुपये के अनुदान की मांग

ग्राम पिपरी की डूबग्रस्त होने की कहानी श्रीराम भाई ने सुनाई. गाजीपुरा, कटनेरा, धरमपुरी, चंदनखेड़ी, एकलबारा आदि गावों के प्रलंबित मुद्दों पर जवाब की मांग की तो धार तहसील में अतिक्रमित जमीन देकर या गुजरात में खेती के लिए अनुपयोगी जमीन आवंटित करने से फंसाए गए परिवारों को भी न्यायपूर्ण निर्णय, मध्य प्रदेश में वैकल्पिक भूमि के लिए 60 लाख का अनुदान देना होगा यह पेश किया. बसाहटों में भूखंड आवंटित करना बाकी और 5.80 लाख रुपए का अनुदान बाकी होते हुए डूबग्रस्त हो चुके हैं.  ऐसे सभी समुदायों की, जैसे निसरपुर के बयड़ीपुरा, चिखल्दा के खेड़ा मोहल्ले, धरमपुरी के कई वार्डों के निवासी, कटनेरा के किसान-मजदूर आदि और बड़वानी के पिछोड़ी, जांगरवा, सोंदुल, बिजासन, कसरावद, राजघाट, छोटाबड़दा, धनोरा के लिए भी आवेदनों पर जवाब की मांग की.

धार के अलावा बड़वानी, खरगोन में स्वतंत्र बैठक और आलीराजपुर के पहाड़ी आदिवासी गावों में पूर्व में शुरू होकर खंडित किए गए शिविरों की जरूरत प्रस्तुत की, जिसे आयुक्त ने मंजूर की. सभी तहसीलों में पुनर्वास अधिकारी और कर्मचारियों की नियुक्ति के सिवाय कुछ हजार परिवारों का पुनर्वास पूरा नहीं होगा. यह आंदोलन की ओर से स्पष्ट किया गया. मुकेश भगोरिया और राहुल यादव के साथ प्रतिनिधियों ने गरीब, भूमिहीन, डूब ग्रस्तों पर अन्याय की उजागर किया.

मेधा पाटकर ने 2023 के डूब की पोल खोल करते हुए स्पष्ट किया कि पिछले साल की डूब अतिवृष्टि से नहीं 1:100 वर्ष की बाढ़ से भी कम जलप्रवाह होते हुए. जल नियमन में असफलता और सरदार सरोवर के गेट्स न खोलने के कारण डूब गए हजारों परिवार. बैकवॉटर लेवल्स से केंद्रीय जल आयोग ने वर्ष 1984 में सही तय करने के बाद उसे पुनरीक्षित करने की अवैधता स्पष्ट करते हुए नुकसान की पूरी भरपाई का आग्रह रखा. कानूनी उल्लंघन रोकने, पहाड़ से निमाड़ तक वर्ष 1994 से साथ वर्ष 2023 तक डूब में आए. सभी का संपूर्ण पुनर्वास होने तक किसी की संपत्ति नहीं डूबा सकते.

हमें समयबद्ध कार्य नियोजन और अमल चाहिए इस मांग के साथ 2024 में किसी की संपत्ति बिना पुनर्वास प्रभावित डूबग्रस्त नहीं होने देने की,122 मी. पर जलस्तर रोकने की कानूनी जरूरत पर और दलित, आदिवासियों पर अत्याचार तथा अन्य किसान- मजदूर, मछुआरे, केवट, व्यापारी, कुम्हारों पर हुआ अन्याय भी नामंजूर करते हुए आवाज उठाई. वर्ष 2024 के वर्षाकाल में फिर से डूबग्रस्त किया गया तो जल सत्याग्रह की चेतावनी मेधा पाटकर के आवाज में आवाज मिलाकर सभी ने दी.

Exit mobile version