Madhya Pradesh News: राजधानी भोपाल के शारदा विहार में राष्ट्रीय स्वयंसवेक संघ (RSS) मध्य क्षेत्र के चार प्रांत के स्वयंसेवकों के लिए ‘कार्यकर्ता विकास वर्ग-1’ लगाया गया. 20 दिन चले इस शिविर में संघ की रचना में मध्य क्षेत्र के चार प्रांत के छत्तीसगढ़, महाकौशल, मालवा और मध्य भारत के 382 शिक्षार्थी आए थे. इनमें छत्तीसगढ़ से 78, महाकौशल से 85, मालवा से 118 और मध्य भारत से 97 चयनित स्वयंसेवक शामिल हुए. म्यांमार (ब्रह्मदेश) से भी 4 स्वयंसेवक वर्ग में आए थे. वर्ग के संचालन 19 अधिकारियों की संचालन टोली ने किया. साथ ही शिक्षार्थियों के प्रशिक्षण के लिए प्रत्येक प्रांत से शिक्षक भी आए हैं.
विभिन्न विषयों पर अखिल भारतीय, क्षेत्रीय एवं प्रांतीय अधिकारी भी शिक्षार्थियों का प्रबोधन किया. 23 मई से 12 जून के बीच वर्ग में शिक्षार्थियों ने अनुशासित दिनचर्चा का पालन कर संघ कार्य का प्रशिक्षण प्राप्त किया. इस दौरान उन्हें संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत और सह-सरकार्यवाह केसी मुकुंद ने भी मार्गदर्शन दिया. इसके अतिरिक्त संचलन, घोष, समता, योग, आसन, नियुद्ध, पदविन्यास और राष्ट्रभक्ति गीत की सामूहिक प्रस्तुति भी हुई.
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“घर से शुरू होनी चाहिए ‘पंच परिवर्तन’ की सीख”
बुधवार को हुए समापन कार्यक्रम में क्षेत्र संघचालक डॉ. पूर्णेंदु सक्सेना ने कहा कि हमें ‛पंच परिवर्तन’ की सीख घर से प्रारंभ होनी चाहिए. सामाजिक समरसता, नागरिक कर्तव्य, स्वदेशी, पर्यावरण और कुटुम्ब प्रबोधन का वातावरण घर से बनाना होगा. विभिन्न जाति समाज के लोग आपस में संवाद करके आगे की राह बनाएं. शारदा विहार आवासीय विद्यालय के परिसर में आयोजित समापन कार्यक्रम में मंच पर मुख्य अतिथि पूर्व कमांडर इन चीफ अंडमान और निकोबार कमांड वाइस एडमिरल बिमल वर्मा और वर्ग के सर्वाधिकारी सोमकांत उमालकर उपस्थित रहे.
“हमारे मंदिरों में से कई बड़े अस्पताल चला रहे”
इस अवसर पर स्वयंसेवकों ने 20 दिन के प्रशिक्षण का प्रदर्शन किया. उन्होंने संचलन, घोष, समता, योग, आसन, नियुद्ध, पदविन्यास और राष्ट्रभक्ति गीत की सामूहिक प्रस्तुति दी. वर्ग कार्यवाह रवि अग्रवाल ने अतिथियों का परिचय कराया व वर्ग का प्रतिवेदन प्रस्तुत किया. इस अवसर पर क्षेत्र संघचालक पूर्णेन्दू सक्सेना ने कहा कि संघ पीछे की ओर देखने वाला संगठन नहीं है. संघ तो आगे की ओर देखकर कार्य करता है. उन्होंने कहा कि हिन्दू समाज आत्मग्लानि को त्याग कर गौरव की अनुभूति के साथ जाग उठा है. सूत्रपात की इस बेला में भी संघ आने वाले समय की ओर देख रहा है. समाज को सर्वस्पर्शी बनाना होगा. परिवार इकाई सशक्त हो. सामाजिक समरसता की बात अपने घर से शुरू हो. स्वदेशी का आग्रह हो. कुटुम्ब का भाव बढ़ाना चाहिए. अपनी मातृभाषा को बढ़ावा दें.
उन्होंने आगे कहा कि जब हिन्दू जागरण हो रहा है तो सबसे पहले इसका जागरण कुटुम्ब से होना चाहिए. उन्होंने कहा कि हिन्दू समाज की मजबूत संस्था है मंदिर. हमारे मंदिर सामाजिक चेतना के संवाहक बनने चाहिए. हमारे देश में मंदिर की ओर से कई बड़े अस्पताल संचालित किए जा रहे हैं. हमारे आसपास के छोटे मंदिर भी सेवा और राष्ट्रीय चेतना के केंद्र बनें, इसका हमें विचार करना चाहिए. उन्होंने कहा कि तीर्थाटन भी भारत की परंपरा है. तीर्थ स्थलों के विकास के लिए हमें सरकार पर ही क्यों आश्रित रहना चाहिए. स्थानीय लोगों को वहां आनेवाले श्रद्धालुओं की चिंता करनी चाहिए.
भारत की चेतना का आधार है, सबको साथ लेकर चलना
डॉ. सक्सेना ने कहा कि संघ आगे की ओर देखकर चलने वाला संगठन है. सांप्रदायिक आधार भारत की चेतना नहीं है. भारत का आधार सबको साथ लेकर चलने का है. देश में जब सांप्रदायिक के आधार पर बंग भंग किया गया तो इस देश ने उसे अस्वीकार कर दिया. विचार करने की बात है कि जिस समाज ने 1910 तक सांप्रदायिक विभाजन स्वीकार नहीं किया, उसी ने 1947 में सांप्रदायिक आधार पर विभाजन स्वीकार कर लिया. हम अपना स्व भूल गए. इसलिए यह परिस्थिति बनी. उन्होंने कहा कि संघ की स्थापना करते समय डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार ने यही सोचा कि स्वतंत्र होने के बाद देश फिर से परतंत्र न हो. इस देश को अपना समझने वाले समाज में राष्ट्रीयता का भाव भरने के लिए उन्होंने 1925 में संघ की स्थापना की.
मानसिक स्वास्थ्य के लिए करें ध्यान और योग : बिमल वर्मा
वाइस एडमिरल बिमल वर्मा ने कहा कि भारतीय सशस्त्र सेनाओं में धर्म और जाति का भेद नहीं है. सेना का अपना ही धर्म है. सेना की यूनिटें अलग-अलग प्रांत से आती हैं. सेना की हर यूनिट में सर्वधर्म स्थल का निर्माण किया जाता है. एक ही छत के नीचे सभी धर्मों के श्रद्धा केंद्र रहते हैं. उन्होंने कहा कि अपने देश की सेना के प्रति आरएसएस को बहुत प्यार है. स्वयंसेवकों को सेना की संस्कृति के बारे में आम लोगों को भी बताना चाहिए. उन्होंने भ्रष्टाचार पर भी अपने विचार रखे. हमें भ्रष्टाचार के प्रति कठोरता लानी होगी. भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने में समाज ही महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है. उन्होंने शिक्षार्थियों के योग प्रदर्शन की सराहना करते हुए कहा कि मानसिक स्वास्थ्य और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए हम सबको नियमित योग करना चाहिए.