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एमपी हाई कोर्ट ने MPPSC 2023 के दो प्रश्नों को गलत माने जाने के एकलपीठ के आदेश पर लगाई रोक, लोक सेवा आयोग ने दायर की थी अपील

Madhya Pradesh News

मध्य प्रदेश हाई कोर्ट

Madhya Pradesh News: मध्य प्रदेश हाइकोर्ट ने पीएससी 2023 में दो प्रश्नों के विवाद से जुड़े मामले में एकलपीठ द्वारा पारित आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी है. एमपी लोक सेवा आयोग ने एकलपीठ के फैसले के खिलाफ अपील प्रस्तुत की है. मामले की सुनवाई शुक्रवार को चीफ जस्टिस रवि मालिमठ व जस्टिस विशाल मिश्रा की युगलपीठ के समक्ष हुई. डिवीजन बेंच ने अनावेदक भोपाल निवासी आनंद यादव और सामान्य प्रशासन विभाग के प्रमुख सचिव को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.

गौरतलब है की हाईकोर्ट की एकलपीठ ने विगत 16 मई को पीएससी 2023 की प्रारंभिक परीक्षा के एक प्रश्न (प्रेस की स्वतंत्रता) को गलत मानते हुए उसे डिलीट करने के निर्देश दिए थे. वहीं एक अन्य प्रश्न (कबड्डी संघ का मुख्यालय) का पीएससी द्वारा दिए गए उत्तर ‘दिल्ली’ को गलत माना था. कोर्ट ने इसके उत्तर ‘जयपुर’ को सही करार दिया था.

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 डिलीट किए गए प्रश्न के अंक देने की बात

डिलीट किए गए प्रश्न के अंक सभी अभ्यर्थियों को देने को कहा था. वहीं दूसरे प्रश्न का उत्तर जिन्होंने जयपुर दिया है, उन्हें उसके अंक देने कहा था. हालांकि कोर्ट ने इसके पहले सिविल सेवा की 11 मार्च को आयोजित मुख्य परीक्षा में शामिल होने की अनुमति दे दी थी. जस्टिस विवेक अग्रवाल की एकलपीठ ने राज्य वन सेवा की मुख्य परीक्षा के लिए नई मेरिट लिस्ट जारी करने के निर्देश दिए थे. यह परीक्षा 30 जून से होना है.

यहां बता दें कि राज्य वन सेवा की मुख्य परीक्षा में शामिल होने के लिए उम्मीदवारों को पीएससी प्रारंभिक परीक्षा उत्तीर्ण करना अनिवार्य है. पीएससी उम्मीदवार की ओर से अधिवक्ता अंशुल तिवारी ने पक्ष रखा. उन्होंने बताया की पीएससी-प्री परीक्षा में पूछे गए सवालों में से कुछ प्रश्न ऐसे थे, जिन पर आपत्ति पेश की गई थी. इसे लेकर प्रदेश के अलग-अलग जगहों से 19 याचिकाएं मुख्यपीठ में दायर की गई थीं.

अभ्यर्थी आनंद यादव ने दी थी चुनौती

भोपाल के अभ्यर्थी आनंद यादव ने राज्य सेवा परीक्षा, 2023 के प्रारंभिक परीक्षा में पूछे गये 3 विवादित प्रश्नों को चुनौती दी थी. फ्रीडम ऑफ प्रेस से जुड़ा सवाल, ग्रीन मफलर किस प्रदूषण से संबंधित है, एमेच्योर कबड्डी फेडरेशन का हेडक्वार्टर से जुड़े सवालों पर आपत्ति पेश की गई थी. पिछली सुनवाई के दौरान कोर्ट ने साफ कहा था कि चूंकि यह जनहित याचिका नहीं है, इसलिए उन्हीं उम्मीदवारों के प्रकरणों पर विचार किया जाएगा. जिन्होंने आपत्ति पेश की है और याचिका दायर की है.

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