MP News: दुनिया भर के बौद्ध अनुयायियों को मध्य प्रदेश की ओर आकर्षित करने के लिए राज्य टूरिज्म बोर्ड बौद्ध सर्किट विकसित कर रहा है. अब बौद्ध धर्म के दो प्रमुख केंद्र बोधगया और सारनाथ से प्रदेश के सांची एवं अन्य गंतव्यों को जोड़ते हुए सर्किट बनाया जाएगा. इसके पीछे का उद्देश्य मौजूद बौद्ध धर्म से जुड़े गंतव्यों से अनुयायियों को अवगत कराना है.
भगवान बुद्ध से जुड़े बौद्ध सर्किट अनुयायियों के लिए प्रमुख केंद्र: शेखर शुक्ला
बौद्ध सर्किट के बारे में जानकारी देते हुए पर्यटन विभाग के प्रमुख सचिव शिव शेखर शुक्ला ने कहा,”भगवान बुद्ध से जुड़े बौद्ध सर्किट दुनिया भर के बौद्ध अनुयायियों के लिये एक प्रमुख केंद्र होते हैं. मध्य प्रदेश में भी कुछ ऐसे स्थल है. यह स्थल ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक रूप से बहुत महत्व रखते हैं.
शिव शेखर शुक्ला ने बताया कि मध्य प्रदेश टूरिज्म बोर्ड द्वारा स्वदेश दर्शन योजना के तहत सांची, मंदसौर, धार, सतना, रीवा, सतधारा, सोनारी, मुरेल खुर्द, ग्यारसपुर जैसे गंतव्यों को विकसित करने के लिये 70 करोड़ रुपए खर्च किये गए हैं. यहां बौद्ध अनुयायियों एवं पर्यटकों की सुविधा हेतु एप्रोच रोड, मेडिटेशन सेंटर, इंटरप्रेटेशन सेंटर, बुद्धिस्ट थीम पार्क, पर्यटन सुविधा केंद्र विकसित किए गए हैं.
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इतना ही नहीं मार्शल हाउस का विकास, फुट हिल पर विकास कार्य, एप्रोच का विकास, हिल टॉप पर विकास कार्य, लाइट एंड साउंड शो, सांची में पर्यटन सुविधा केंद्र, चैतन्य गिरि विहार के आस-पास लैंडस्केपिंग, सांची की तलहटी में स्थित कनक सागर झील का विकास और सौंदर्यीकरण, बौद्ध थीम पार्क का विकास, स्क्वायर रोड जंक्शन का सौंदर्यीकरण और विकास, रेलवे स्टेशन से स्तूप फुट हील तक पथ का विकास और सौंदर्यीकरण, सांची के पास सतधारा, सोनारी, मुरेल खुर्दा और ग्यारसपुर में एप्रोच रोड, मेडिटेशन कियोस्क एवं परिसर का विकास कार्य इत्यादि को पर्यटकों की सुविधा और जानकारी देने के उद्देश्य से विकसित किया गया है.
मध्य प्रदेश आते हैं बौद्ध अनुयायी
बताते चलें कि दुनिया भर के बौद्ध अनुयायी नई दिल्ली से लुम्बिनी, बोधगया, सारनाथ से कुशीनगर होते हुए बौद्ध साधक व धर्मावलंबी देउर कोठार (रीवा) से मध्य प्रदेश आते थे. यहां से बरहुत स्तूप सतना से होते हुए सांची से सतधारा, सोनारी, अंधेर, मुरेल खुर्द से उज्जैन पहुंचते थे.