MP News: मध्य प्रदेश में सरकारी सिस्टम में एक अजीबो-गरीब स्थिति पैदा हो गई है. राज्य के वित्त विभाग ने एक नया आदेश जारी किया है, जिसके अनुसार अब मरे हुए कर्मचारियों को भी ‘डाइस नॉन’ की श्रेणी में मानकर उन्हें सरकारी नौकरी पर वापस लाया जा सकता है, लेकिन इसके लिए कर्मचारियों को ठोस सबूत देने होंगे.
1994 के आदेश से बेतरतीबी
यह मामला 1994 में रीवा कमिश्नर को भेजे गए एक पत्र से शुरू हुआ था. उस पत्र में कहा गया था कि सरकारी विभाग पांच साल से अधिक समय तक नौकरी से अनुपस्थित रहने वाले कर्मचारियों की अनुपस्थिति को ‘डाइस नॉन’ मान सकते हैं. इसके चलते विभागों में काफी असमंजस की स्थिति पैदा हो गई थी.
वित्त विभाग का नया निर्देश
अब वित्त विभाग के प्रमुख सचिव मनीष रस्तोगी ने सभी सरकारी विभागों को निर्देश दिए हैं कि ‘डाइस नॉन’ कोई दंड या अवकाश नहीं है. इसका मतलब है कि विभाग अब बिना वित्त विभाग की मंजूरी के अपने स्तर पर इन मामलों को सुलझा सकते हैं. इस आदेश में मूलभूत नियम 18 का हवाला दिया गया है, जिसमें कहा गया है कि किसी भी सरकारी कर्मचारी को लगातार पांच साल से अधिक समय का अवकाश स्वीकृत नहीं किया जा सकता है. अगर कोई कर्मचारी इतनी लंबी अवधि तक अनुपस्थित रहता है, तो उसे ‘डाइस नॉन’ मान लिया जाएगा.
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‘डाइस नॉन’ का मतलब
‘डाइस नॉन’ का मतलब है कि अगर कोई सरकारी कर्मचारी पांच साल से अधिक समय तक बिना अनुमति के अनुपस्थित रहता है, तो उसे मृत मान लिया जाता है. इसके बाद, अगर वह कर्मचारी लौटता है, तो उसकी अनुपस्थिति को ‘डाइस नॉन’ के रूप में माना जाएगा, और इस अवधि को उसकी सेवा अवधि में शामिल नहीं किया जाएगा.
इस आदेश से सरकारी विभागों में अब ‘डाइस नॉन’ मामलों का अंबार लग गया है. यह मामला सरकारी सिस्टम की कमजोरियों को उजागर करता है और देखना होगा कि प्रशासनिक विभाग इसे कैसे संभालते हैं.