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MP News: नर्सिंग घोटाला और पैरामेडिकल छात्रवृत्ति घोटाले के चलते सरकार ने लिया ये बड़ा फैसला

CM Mohan Yadav (file photo)

सीएम मोहन यादव (फाइल फोटो)

MP News: मध्य प्रदेश के नर्सिंग कॉलेज और पैरामेडिकल कॉलेजों की परीक्षा लेने और संबद्धता जारी करने के अधिकार मेडिकल यूनिवर्सिटी जबलपुर से छिन गए हैं. अब इन कॉलेजों को संबद्धता देने और उनकी परीक्षा लेने के अधिकार संबंधित क्षेत्र के विश्वविद्यालय के पास होंगे. संबंधित क्षेत्र के रीजनल विश्वविद्यालयों की निगरानी में इन कॉलेजों की परीक्षा होंगी और रिजल्ट आएंगे.

मध्य प्रदेश की इकलौती मेडिकल साइंस यूनिवर्सिटी जिसकी स्थापना साल 2011 में हुई थी. अब इस पर संकट मंडराने लगा है. प्रदेश के सभी चिकित्सा कॉलेजों को एक यूनिवर्सिटी के दायरे में लाने के लिए मेडिकल यूनिवर्सिटी की स्थापना की गई थी. इसके अंतर्गत प्रदेश के मेडिकल कॉलेज, नर्सिंग, पैरामेडिकल, आयुर्वेद, होम्योपैथिक, यूनानी और योग कॉलेज आते हैं. इन सभी कॉलेजों को मेडिकल यूनिवर्सिटी द्वारा संबद्धता जारी की जाती है. एडमिशन भी इसी यूनिवर्सिटी के माध्यम से होती है.

बता दें कि मेडिकल यूनिवर्सिटी ही इन कॉलेजों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों के एग्जाम लेती है और उनके परीक्षा परिणाम जारी किए जाते हैं. अब धीरे-धीरे मेडिकल यूनिवर्सिटी के अधिकारों में सरकार कटौती कर रही है. प्रदेश के नर्सिंग और पैरामेडिकल कॉलेजों को पुरानी परंपरा के अनऔर बीयू के बीडीएस फर्जीवाड़े के बाद बदली थी व्यवस्था ही चलाया जाएगा. पहले इन कॉलेजों को रीजनल विश्वविद्यालय संबद्धता जारी करते थे.

पैरामेडिकल और नर्सिंग के 700 से ज्यादा कॉलेज

प्रदेश में पैरामेडिकल के 14 सरकारी और 58 प्राइवेट कॉलेज हैं. सरकारी कॉलेजों में 2256 और निजी पैरामेडिकल कॉलेजों में 14822 सीटें हैं. नर्सिंग के 600 से ज्यादा कॉलेज हैं. हालांकि सीबीआई जांच में उलझे इन कॉलेजों में पिछले तीन शिक्षण सत्रों से एडमिशन नहीं हुए हैं. सीबीआई की दोबारा जांच नहीं हो पाने की वजह नर्सिंग कॉलेजों में मान्यता भी जारी नहीं हुई है.

बरकतउल्ला विश्वविद्यालय में 11 साल पहले हुआ था फर्जीवाड़ा

बरकतउल्ला विश्वविद्यालय में 11 साल पहले बीडीएस का फर्जीवाड़ा सामने आया था. इस फर्जीवाड़े की जांच एसटीएफ को सौंपी गई थी. तब एसटीएम ने कई दलालों को भी गिरफ्तार किया था. तत्कालीन कुलपति प्रो. निशा दुबे के कार्यकाल में यह फर्जीवाड़ा सामने आया था. उस समय तत्कालीन रजिस्ट्रार संजय तिवारी को इस फर्जीवाड़े के चलते बीयू से हटाया गया था. फर्जीवाड़ा सामने आने के बाद जांच के लिए तीन सदस्यीय कमेटी भी बनाई गई थी. जांच में पता चला था कि बीयू के अधिकारी और दलालों की मिलीभगत से बीडीएस की फर्जी डिग्रियां बांटी गईं थी. यह फर्जीवाड़ा सामने आने के बाद व्यवस्था में बदलाव हुआ। इसके बाद बीयू समेत प्रदेश के अन्य क्षेत्रीय विश्वविद्यालयों से मेडिकल, नर्सिंग, पैरामेडिकल, आयुर्वेद, होम्योपैथी, यूनानी और योग कॉलेजों को संबद्धता देने के अधिकार छीन लिए थे. इसके बाद ही प्रदेश में मेडिकल यूनिवर्सिटी की स्थापना हुई थी और इन कॉलेजों को संबद्धता देने और परीक्षा के अधिकार मेडिकल यूनिवर्सिटी को दिए गए थे. अब एक बार फिर पुराने ढर्रे पर व्यवस्थ को ले जाया जा रहा है.

पैरामेडिकल में हुआ था 24 करोड़ का छात्रवृत्ति घोटाला

प्रदेश के पैरामेडिकल कॉलेजों में 24 करोड़ का छात्रवृत्ति घोटाला पकड़ में आ चुका है. इस घोटाले को लेकर भी हाईकोर्ट में याचिका में सुनवाई चल रही है. इन कॉलेजों से घोटाले की यह राशि वसूलने के आदेश कोर्ट ने सरकार को दिए हैं. इधर, फर्जी नर्सिंग कॉलेजों के घोटाले की जांच तो पूरी ही नहीं हो पा रही है.

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