Gwalior Lok Sabha Seat: एमपी के चौथे सबसे बड़े शहर ग्वालियर की राजनीति का असर केवल एमपी और चंबल रीजन तक सीमित नहीं है. राजनीति के द्वार से दिल्ली के दरबार तक इसकी धनक है. एमपी की 29 लोकसभा सीट में से एक ग्वालियर लोकसभा सीट सिंधिया राजघराने के ही नहीं बल्कि कई बड़े-बड़े राजनेताओं का सक्सेस प्वॉइंट रहा है.
दो जिलों की आठ विधानसभा सीट
ग्वालियर लोकसभा सीट में दो जिलों की आठ विधानसभा सीट आती हैं. इनमें ग्वालियर जिले की ग्वालियर ग्रामीण, ग्वालियर, ग्वालियर पूर्व, भितरवार, डबरा, ग्वालियर दक्षिण और शिवपुरी जिले की करैरा, पोहरी विधानसभा सीट शामिल हैं. इन आठ में से चार पर बीजेपी और चार पर कांग्रेस के विधायक हैं.
इस बार के आम चुनाव में बीजेपी ने अपना उम्मीदवार भारत सिंह कुशवाह और कांग्रेस ने प्रवीण पाठक को अपना प्रत्याशी घोषित किया है. आइए जानते हैं दोनों उम्मीदवारों के बारे में –
भारत सिंह कुशवाह – ग्वालियर ग्रामीण से दो बार के विधायक रहे
एजुकेशन- हायर सेकेंडरी
संपत्ति- 2 करोड़ रुपये+
आपराधिक रिकॉर्ड- शून्य (0)
ग्वालियर लोकसभा सीट से बीजेपी के उम्मीदवार भारत सिंह कुशवाह पहली बार लोकसभा का चुनाव लड़ रहे हैं. ओबीसी वर्ग से आने वाले भारत सिंह कुशवाह ग्वालियर की राजनीति में अलग ही पहचान रखते हैं. साल 2023 में हुए विधानसभा चुनाव में ग्वालियर ग्रामीण सीट से हार बावजूद बीजेपी ने ग्वालियर सीट से टिकट दे दिया.
भारत सिंह कुशवाह के राजनीतिक सफर की बात करें तो छात्र जीवन से राजनीति में एक्टिव हैं. संघ से जुड़े रहे हैं. बीजेपी के संगठन स्तर पर कई जिम्मेदारियां संभाली. इनमें बीजेपी प्रदेश पिछड़ा मोर्चा के अध्यक्ष रहे. साल 2009 से कई साल तक ग्वालियर ग्रामीण जिलाध्यक्ष रहे.
सक्रिय राजनीति की बात करें तो भारत सिंह दो बार ग्वालियर ग्रामीण विधानसभा सीट से विधायक रहे. पहली बार भारत सिंह ने साल 2013 में चुनाव लड़ा और जीतकर आए. इस चुनाव में भारत सिंह कुशवाह ने कांग्रेस के राम सेवक सिंह को हराया था. भारत सिंह को 47 हजार 944 वोट मिले थे और राम सेवक सिंह को 36 हजार 6 वोट मिले थे.
बीजेपी ने दूसरी बार फिर 2018 में भारत सिंह को मौका दिया. इस चुनाव में कुशवाह को 51 हजार 33 वोट मिले और दूसरे नंबर पर रहे बीएसपी के साहब सिंह गुर्जर को 49 हजार 516 वोट मिले. ये जीत बहुत कम मार्जिन 1517 वोट से थी. 2018 में ये जीत बहुत ही अलग रही क्योंकि ग्वालियर की सभी विधानसभा सीट में से एकमात्र ग्वालियर दक्षिण पर बीजेपी ने जीत दर्ज की थी. इसी कारण कुशवाह को शिवराज कैबिनेट में राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) बनाया गया.
साल 2023 में हुए विधानसभा चुनाव में अपने प्रतिद्वंदी कांग्रेस के साहब सिंह गुर्जर से हार झेलनी पड़ी. इस चुनाव में साहब सिंह गुर्जर को 79 हजार 841 वोट मिले और भारत सिंह कुशवाह को 76 हजार 559 वोट मिले. कुशवाह को मुरैना का प्रभारी मंत्री भी बनाया गया था.
इस बार ग्वालियर लोकसभा सीट से ताल ठोकते नजर आएंगे.
प्रवीण पाठक – ग्वालियर दक्षिण से विधायक रह चुके हैं
एजुकेशन – पोस्ट ग्रेजुएशन (MBA)
संपत्ति- 2 करोड़ रुपये+
आपराधिक रिकॉर्ड- शून्य (0)
कांग्रेस ने अपना प्रत्याशी प्रवीण पाठक को बनाया है. कांग्रेस के युवा चेहरे हैं जो ग्वालियर की राजनीति में एक्टिव हैं. पाठक की राजनीति में एंट्री छात्र जीवन से होती है. ग्वालियर के माधव कॉलेज में पढ़ाई के दौरान ही पाठक NSUI से जुड़ गए थे. छात्रों से जुड़े मुद्दों पर काम भी किया. छात्र राजनीति से सक्रिय राजनीति में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के लिए पाठक ने NSUI में योगदान दिया और प्रदेश महासचिव के पद तक पहुंचे.
पाठक ने पहला विधानसभा का चुनाव साल 2018 में ग्वालियर दक्षिण से लड़ा. इस चुनाव में पाठक का मुकाबला बीजेपी के नारायण सिंह कुशवाह से हुआ. चुनाव में पाठक की जीत बहुत कम अंतर मात्र 121 वोट से हुई. इसके बाद साल 2023 में कांग्रेस ने फिर से प्रवीण पाठक को मौका दिया. इस बार फिर से नारायण सिंह कुशवाह से सामना हुआ. पाठक को इस चुनाव में हार झेलनी पड़ी. मात्र 2536 वोट से हारे.
इस हार के बाद भी कांग्रेस का प्रवीण पाठक पर भरोसा बरकरार है. लोकसभा चुनाव में पाठक को ओडिशा का प्रभारी का बनाया गया था. बाद में कांग्रेस ने ग्वालियर लोकसभा सीट से उन्हें अपना उम्मीदवार बनाया.
प्रवीण पाठक बनाम भारत सिंह कुशवाह
दोनों उम्मीदवार अपना-अपना चुनाव हारे हैं. प्रवीण पाठक को ग्वालियर दक्षिण विधानसभा से हार झेलनी पड़ी वहीं भारत सिंह कुशवाह को ग्वालियर ग्रामीण से शिकस्त का सामना करना पड़ा. फिर भी बीजेपी और कांग्रेस ने अपने-अपने हारे हुए उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है.
प्रवीण पाठक सवर्ण वर्ग से आते हैं. साफ-सुथरी छवि के साथ-साथ युवा चेहरे हैं. कभी सिंधिया खेमे के नेता रहे पाठक को आज जीतू पटवारी और उमंग सिंघार गुट का नेता माना जाता है. वहीं भारत सिंह कुशवाह ओबीसी वर्ग से आते हैं. इनकी छवि भी शांत और साफ-सुथरी है. नरेंद्र सिंह तोमर के खेमे के नेता माने जाते हैं.
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आम चुनाव 2019 : विवेक शेजवलकर सांसद बने
इस चुनाव में बीजेपी ने विवेक शेजवलकर को मैदान में उतारा था और कांग्रेस ने अशोक सिंह को अपना उम्मीदवार बनाया था. शेजवलकर को 6 लाख, 27 हजार, 250 वोट मिले थे और कांग्रेस के अशोक सिंह को 4 लाख, 80 हजार, 408 वोट मिले थे. दोनों के बीच जीत का अंतर एक लाख, 46 हजार, 842 रहा.
ग्वालियर सीट का राजनीतिक इतिहास: पिछले 17 साल से बीजेपी का कब्जा
इस सीट पर पिछले 17 साल से बीजेपी का कब्जा है. साल 2006 में कांग्रेस सांसद रामसेवक सिंह की सांसद रहते हुए मृत्यु हो गई. अगले साल यानी 2007 में इस सीट पर उपचुनाव हुए. इस उपचुनाव में बीजेपी की यशोधरा राजे सिंधिया ने जीत हासिल की. साल 2009 में फिर से यशोधरा राजे सिंधिया ने जीत दर्ज की. साल 2014 में नरेंद्र सिंह तोमर ने यहां से चुनाव जीता.
सिंधिया राजघराने का प्रभाव इस सीट पर भी देखा जा सकता है. विजयाराजे सिंधिया ने साल 1962 का चुनाव कांग्रेस के टिकट से लड़ा और जीता था. माधवराव सिंधिया ने इस सीट से सबसे ज्यादा पांच बार यानी साल 1984, 1989, 1991, 1996 और 1998 में चुनाव जीता था.
इस सीट पर पहला चुनाव 1952 में हुआ था. हिंदू महासभा के वीजी देशपांडे ने ये चुनाव जीता था. नारायण शेजवलकर ने दो बार यानी 1977 और 1980 में जनता पार्टी के टिकट से जीत दर्ज की थी. इसे दिग्गजों की सीट कहा जाए तो गलत नहीं होगा. यहां से अटल बिहारी वाजपेयी ने 1971 में भारतीय जनसंघ के टिकट से चुनाव जीता था.
ग्वालियर सीट पर जातिगत समीकरण
इस सीट पर कुल 21 लाख, 40 हजार, 297 वोटर्स हैं. इनमें से पुरुष वोटर्स 11 लाख, 32 हजार, 662 और महिला वोटर्स 10 लाख, 7 हजार, 571 हैं. ग्वालियर सीट पर ओबीसी वर्ग के वोटर्स सबसे ज्यादा करीब 4 लाख हैं. ब्राह्मण वोटर्स की बात करें तो 3 लाख और क्षत्रिय वोटर्स लगभग 2 लाख के आसपास हैं. यहां कुशवाह वोटर्स भी है जो दिशा और दशा तय करते हैं.
(Source: ECI, DIGITAL SANSAD, MP VIDHANSABHA, myneta.info)