MP News: सीएम डॉ. मोहन यादव के मंत्रिमंडल विस्तार की अटकलों पर फिलहाल विराम लग गया है. इसके दो मुख्य कारण है. पहला, मध्य प्रदेश में बीजेपी ने शानदार परफॉर्म किया है. बीजेपी ने लोकसभा की सभी 29 सीटें जीत ली हैं और मुख्यमंत्री यादव और पावरफुल बनकर उभरे हैं. सभी मंत्रियों के विधानसभा क्षेत्रों में बीजेपी प्रत्याशियों ने जीत दर्ज की है. ऐसे में अब सरकार की प्राथमिकता जनता से किए गए वादों को पूरा करने और गुड गवर्नेंस पर है. दूसरा, लोकसभा चुनाव में राष्ट्रीय स्तर पर बीजेपी को उम्मीद के मुताबिक जनादेश नहीं मिला है.
हालांकि एनडीए को सरकार बनाने के लिए बहुमत मिल गया है, लेकिन बीजेपी की सीटें कम होने से उसे बड़ा झटका लगा है. बदले माहौल में बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व की प्राथमिकताएं फिलहाल बदल गई हैं. केंद्रीय नेतृत्व का फोकस केंद्र में संतुलित सरकार के गठन और घटक दलों के साथ मिलकर सरकार चलाने पर है. ऐसे में इस बात की संभावना कम है कि पार्टी अभी मध्य प्रदेश में मंत्रिमंडल विस्तार पर समय जाया करेगी. इससे मंत्री बनने के उन दावेदारों को निराश होना पड़ सकता है, जो लोकसभा चुनाव के बाद मंत्रिमंडल विस्तार होने पर मंत्री बनने की आस लगाए बैठे थे.
दरअसल, लोकसभा चुनाव के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने एमपी सरकार के मंत्रियों को नसीहत दी थी कि यदि किसी मंत्री के क्षेत्र में वोटिंग कम होती है या प्रत्याशी चुनाव हारता है, उन्हें मंत्री पद गंवाना पड़ सकता है. मंत्रियों को लोकसभा सीटों की जिम्मेदारी भी सौंपी गई थी. इसका असर यह हुआ कि सभी मंत्री और विधायकों ने बीजेपी प्रत्याशियों के पक्ष में अधिक से अधिक वोटिंग कराने के लिए पूरी ताकत झोंक दी. नगरीय विकास एवं आवास मंत्री कैलाश विजयवर्गीय के विधानसभा क्षेत्र इंदौर-1 में बीजेपी उम्मीदवार शंकर लालवानी को विधानसभा चुनाव की तुलना में 1 लाख 22 हजार से ज्यादा वोट मिले.
खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री गोविंद सिंह राजपूत के विधानसभा क्षेत्र सुरखी से भाजपा प्रत्याशी लता वानखेड़े को विधानसभा चुनाव की तुलना में 80 हजार से ज्यादा मतों से और जल संसाधन मंत्री तुलसीराम सिलावट के विधानसभा क्षेत्र सांवेर से शंकर लालवानी को विधानसभा चुनाव की अपेक्षा 79 हजार वोट की लीड मिली है. राजस्व मंत्री करण सिंह वर्मा के विधानसभा क्षेत्र इछावर में विधानसभा चुनाव की तुलना में लोकसभा चुनाव मे 77 हजार से ज्यादा वोट से लीड मिली. लोक निर्माण मंत्री राकेश सिंह, वन मंत्री नागर सिंह चौहान, उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार, पशुपालन मंत्री लखन पटेल, पर्यटन राज्य मंत्री धर्मेंद्र लोधी और पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक कल्याण राज्य मंत्री कृष्णा गौर के के क्षेत्र में विधानसभा चुनाव की तुलना में लोकसभा चुनाव में 30 से 50 हजार वोट तक लीड मिली है.कुछ मंत्रियों के क्षेत्र में वोटिंग परसेंटेज कम रहा था, लेकिन किसी मंत्री के विधानसभा क्षेत्र में प्रत्याशी को हार का सामना नहीं करना पड़ा. हालांकि नौ मंत्री ऐसे हैं, जिनके विधानसभा क्षेत्र में विस चुनाव की तुलना में लोकसभा चुनाव में बीजेपी की लीड कम हुई है.
इन मंत्रियों के यहां 24 हजार तक की लीड मिली
ऐसे ही उपमुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ला, मंत्री प्रहलाद पटेल, विजय शाह, संपतिया उइके, नारायण सिंह कुशवाहा, निर्मला भूरिया, प्रद्युम्न सिंह तोमर, विश्वास सारंग, नरेंद्र शिवाजी पटेल, दिलीप अहिरवार व दिलीप जायसवाल, उप मुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा, मंत्री ऐदल सिंह कंसाना, चैतन्य काश्यप, राव उदय प्रताप सिंह, राकेश शुक्ला, गौतम टेटवाल, राधा सिंह, नारायण सिंह पवार और प्रतिमा बागरी शामिल है. चुनाव की तुलना में लोकसभा चुनाव में 6 से 24 हजार वोट तक की लीड मिली है.
छह बीजेपी विधायकों के क्षेत्र में पार्टी को कम वोट मिले
प्रदेश में बीजेपी के 163 विधायक हैं. इनमें 6 विधायक ऐसे हैं, जिनके क्षेत्र में लोकसभा में बीजेपी प्रत्याशी को विधानसभा चुनाव की तुलना में कम वोट मिले हैं. बाकी 157 विधायकों के क्षेत्र में बीजेपी को बढ़त मिली है. पानसेमल से बीजेपी विधायक श्याम बेर्डे के क्षेत्र में विस चुनाव की तुलना में 5,290 कम वोट, भितरवार से बीजेपी विधायक मोहन सिंह राठौर के क्षेत्र में बीजेपी को विधानसभा चुनाव की तुलना में 5,898 कम वोट, सबलगढ़ से विधायक सरला रावत के क्षेत्र में बीजेपी को 13,010 कम वोट, सेंवढ़ा से विधायक प्रदीप अग्रवाल के विधानसभा क्षेत्र में लोकसभा चुनाव में बीजेपी को 4908 कम वोट, सिंहावल से विधायक विश्वामित्र पाठक के यहां बीजेपी को 3,943 कम वोट और बुरहानपुर से विधायक अर्चना चिटनीस के विस क्षेत्र में लोकसभा चुनाव में बीजेपी को विधानसभा चुनाव की तुलना में 7,209 वोट कम मिले हैं.