Vistaar NEWS

पति की हत्या मामले में उम्रकैद की सजा काट रही महिला की MP हाई कोर्ट में धमाकेदार दलील, जज भी हैरान, VIDEO

MP News

केमिस्ट्री प्रोफेसर ममता पाठक

MP News: मध्य प्रदेश के छतरपुर (Chhatarpur Murder Case) में एक हत्या का मामला फिर सुर्खियों में है. दरअसल, 60 साल की केमिस्ट्री प्रोफेसर ममता पाठक पति की हत्या मामले में उम्र कैद की सजा काट रही हैं. हालांकि, अब उन्होंने मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में ऑटोप्सी रिपोर्ट को चुनौती दी है. ममता का दावा है कि वह अपने वैज्ञानिक ज्ञान के दम पर इस केस में नया मोड़ ला सकती हैं. उनकी दमदार दलीलें सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं. अपनी दलील से उन्होंने जज को भी हैरान कर दिया है.

क्या है पूरा मामला?

साल 2021 में छतरपुर के एक घर में 63 साल के डॉ. नीरज पाठक मृत पाए गए थे. उनके शरीर पर बिजली के जलने के निशान मिले. जांच के बाद पुलिस का कहना था कि ममता ने अपने पति को मार डाला. ममता और नीरज अलग-अलग रहते थे, लेकिन कुछ महीने पहले ही ममता अपने पति के पास लौटी थीं. अभियोजन पक्ष के मुताबिक, ममता को शक था कि नीरज का किसी और के साथ अफेयर था, जिसके चलते दोनों में अक्सर झगड़ा होता था.

घटना वाले दिन नीरज ने अपने एक रिश्तेदार को फोन कर बताया कि ममता उन्हें परेशान कर रही हैं, खाना नहीं दे रही हैं और बाथरूम में बंद कर रखा है. रिश्तेदार ने पुलिस को सूचना दी, जिसके बाद ममता ने नीरज को छोड़ा. लेकिन उसी रात नीरज की मौत हो गई. ममता का कहना है कि जब वह नीरज के लिए खाना लेने गईं, तो उनकी सांसें थम चुकी थीं.

ममता का हाई कोर्ट में तर्क

हाई कोर्ट में ममता ने खुद अपनी पैरवी की और ऑटोप्सी रिपोर्ट पर सवाल उठाए. केमिस्ट्री प्रोफेसर होने के नाते ममता ने दावा किया कि बिजली और थर्मल से जलने के निशान में फर्क बताना बिना केमिकल टेस्ट के मुमकिन नहीं. उन्होंने यह भी पूछा कि अगर नीरज की मौत को 36 घंटे बीत चुके थे, तो ऑटोप्सी में लाश से बदबू न आने की बात क्यों नहीं लिखी गई, क्योंकि 18 घंटे बाद शरीर सड़ना शुरू हो जाता है.

ममता ने यह भी कहा कि उनके पति का घर इंश्योरेंस के तहत पूरी तरह सुरक्षित था, जहां शॉर्ट सर्किट जैसी कोई घटना नहीं हो सकती थी. लेकिन पुलिस ने इसकी जांच नहीं की.

यह भी पढ़ें: कल रात PoK में क्या हुआ? ग्रेनेड और गोलियों की गूंज से थर्राया इलाका, 2 पुलिसवाले समेत 6 की मौत

कोर्ट का रुख

जबलपुर हाई कोर्ट में जस्टिस विवेक अग्रवाल और जस्टिस देवनारायण मिश्रा की बेंच ने ममता की दलीलें सुनीं. जस्टिस अग्रवाल ने ममता से पूछा कि ट्रायल कोर्ट में उनके वकील ने ऑटोप्सी करने वाले डॉक्टर से ये सवाल क्यों नहीं किए. ममता का जवाब था, “मैं तब जेल में थी.” फिलहाल ममता को जमानत मिल गई है. हाई कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है.

यह केस अब नया मोड़ ले चुका है. ममता की वैज्ञानिक दलीलें और हाई कोर्ट का रुख इस मामले को और दिलचस्प बना रहे हैं. क्या ममता अपनी बेगुनाही साबित कर पाएंगी, या कोर्ट सबूतों के आधार पर पुराना फैसला बरकरार रखेगा? यह देखना बाकी है.

Exit mobile version