MP News: शहर में आवारा कुत्तों की बढ़ती संख्या अब लोगों के लिए बड़ा खतरा बन गई है. कुत्तों के झुंड लगातार मोहल्लों और गलियों में घूमते हुए लोगों पर हमला कर रहे हैं, जिससे शहर के कई नागरिकों को चोटें आई हैं. पिछले दो महीनों में कुत्तों के काटने से 586 लोग अस्पताल पहुंच चुके हैं, जिनमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं. संजय गांधी अस्पताल और जिला अस्पताल में हर दिन 12 से 13 नए मरीज कुत्ते के काटने के कारण इलाज के लिए पहुंच रहे हैं.
कुत्तों के हमलों से लोग भयभीत
शहर के कई वार्डों में कुत्तों के झुंड खासकर बच्चों और महिलाओं को निशाना बना रहे हैं. नगर निगम को इस समस्या के बारे में कई बार सूचित किया गया है, लेकिन अब तक कोई स्थायी समाधान नहीं निकल पाया है. शिकायतों के बाद नगर निगम ने कुत्तों को पकड़ने की कोशिश की है, लेकिन यह केवल अस्थाई उपाय साबित हुआ. कुत्तों को पकड़ने के बाद भी कुछ ही दिनों में उन्हें फिर से सड़कों पर छोड़ दिया जाता है, जिससे समस्या जस की तस बनी रहती है.
नगर निगम की बधियाकरण योजना पर सवाल
नगर निगम ने आवारा कुत्तों की समस्या से निपटने के लिए एक एजेंसी को बधियाकरण (नसबंदी) का ठेका दिया है, जिस पर हर महीने करीब 18 लाख रुपए खर्च किए जा रहे हैं. हालांकि, यह योजना भी फेल होती दिख रही है. एजेंसी द्वारा कुत्तों का सही तरीके से बधियाकरण नहीं किया जा रहा है, और नियमों के बावजूद, कुत्तों को चार दिन तक रखने की जगह उसी दिन वापस छोड़ दिया जाता है.
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586 लोग बने कुत्तों का शिकार
आंकड़ों के अनुसार, पिछले दो महीनों में 586 लोग कुत्तों के काटने से अस्पताल में इलाज के लिए पहुंचे हैं. सबसे ज्यादा 31 अगस्त को एक दिन में 18 नए मामले सामने आए. कुत्तों का यह आतंक सिर्फ इंसानों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि पालतू जानवरों जैसे बकरी, गाय आदि भी इनके हमलों का शिकार हो रहे हैं.
पार्षदों ने उठाई ठोस कदमों की मांग
शहर के पार्षदों ने कई बार नगर निगम और प्रशासन से इस समस्या के समाधान के लिए ठोस कदम उठाने की मांग की है, लेकिन अब तक कोई सख्त कार्यवाही नहीं हुई है. नागरिकों की सुरक्षा के लिए आवश्यक है कि आवारा कुत्तों की संख्या को नियंत्रित करने के लिए एक स्थायी और प्रभावी योजना बनाई जाए, ताकि शहर को इस गंभीर समस्या से निजात मिल सके.