MP News: मध्य प्रदेश में लोकसभा चुनाव की तस्वीर साफ हो चुकी है. बीजेपी ने मध्य प्रदेश में क्लीन स्वीप किया है. कांग्रेस के हारने के कई कारण रहे हैं. बीजेपी ने अंदरूनी कलह को मतदान से पहले ही रोक लिया और सभी को एकजुट रहने की हिदायत दी. मध्य प्रदेश कांग्रेस में पार्टी छोड़कर जाने वालों को गंभीरता से नहीं लिया गया. इससे स्थानीय स्तर पर नेताओं से जुड़े रहने वाले कार्यकर्ता भी कांग्रेस से दूरी बना लिए.
प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी और नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंगार के बीच तालमेल का अभाव रहा. यह दूरी कार्यकर्ताओं तक पहुंची और उनके समर्थकों ने आपसी राजनीतिक दूरियां बनाई. टिकट बंटवारे के दौरान मुरैना की सीट और इंदौर के प्रत्याशी के नाम फाइनल करने में दोनों नेताओं ने आपसे मनमुटाव रखा. घोषणा पत्र की गारंटी और न्याय प्रचारित कांग्रेस नहीं कर पाई. राहुल गांधी के भाषणों के हिस्से को प्रचार में शामिल नहीं किया गया.
कमलनाथ और दिग्विजय सिंह का अपने क्षेत्र में ही सीमित रहना कांग्रेस के लिए नुकसानदायक साबित हुआ. इसी का फायदा बीजेपी ने उठाया राहुल गांधी के भाषणों को जनता के बीच लेकर गई और बताया कि राहुल गांधी के बयान से आखिर नुकसान जनता का ही है. राहुल गांधी ने जाति के आधार पर आरक्षण की बात को उठाया. बीजेपी ने इसे जनता के बीच में विरोध पैदा करने की स्थिति बनाई.
मोदी की गारंटी और प्रचार को पूरी तरीके से आत्मसात किया
मध्य प्रदेश में प्रधानमंत्री मोदी की कई सभाएं हुईं. रोड शो और रैलियों के जरिए मोदी की गारंटी, प्रचार को पूरी तरीके से बीजेपी ने आत्मसात किया. भले ही चुनाव के दौरान कांग्रेस के नेताओं का बीजेपी में शामिल होने का सिलसिला चला. इस दौरान भाजपा के नाराज नेताओं को भी बीजेपी ने समय रहते मान लिया. अंदरूनी तौर पर कोई कलह नहीं होने दी. जातीय क्षेत्र के आधार पर नेताओं को तैनात किया गया. मोहन सरकार के अल्प कार्यकाल में कोई बड़ी चूक ना होना. बीजेपी के लिए अमृत साबित हुआ.
आखिरी चुनाव में भी दिग्विजय कांतिलाल का जनता नहीं दिया साथ
लोकसभा के चुनाव में कांग्रेस के दिग्गज नेता दिग्विजय सिंह और कांतिलाल भूरिया भी चुनावी मैदान में रहे. उन्होंने अंतिम चुनाव का हवाला देते हुए जनता से वोट की अपील की लेकिन काउंटिंग के दिन उन्हें हार मिली. छिंदवाड़ा में कमलनाथ ने अपने बेटे के लिए 45 साल की राजनीति का हवाला दिया. विकास कार्य को आधार बनाते हुए जनता से वोट की अपील की लेकिन विवेक बंटी साहू ने उन्हें हरा दिया.
इधर, हार के बाद जीतू ने कहा- मेरी जिम्मेदारी
मध्य प्रदेश में कांग्रेस के एक भी प्रत्याशी नहीं जीते हैं. साल 2019 की तुलना में कांग्रेस अपनी एक सीट बचाने में भी सफल नहीं हुई. यह चुनाव प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी के नेतृत्व पर लड़ा गया. चुनाव परिणाम आने के बाद जीतू पटवारी ने कहा कि परिणाम की जिम्मेदारी लेता हूं. एकजुटता से लड़े आत्ममंथन के साथ बदलाव को तैयार हैं. इंदौर में जनता ने नोट से ज्यादा भाजपा को तमाचा मारा है.