MP Politics: मध्य प्रदेश में लोकसभा चुनाव में करारी हार के कारणों को तलाशने के लिए कांग्रेस ने कवायद शुरू कर दी है. प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार को लेकर दस जून को समीक्षा बैठक बुलाई गई है. बैठक में कांग्रेस के हार के कारणों पर मंथन किया जाएगा. यही नहीं लोकसभा के सभी 27 प्रत्याशियों से कहा गया है कि वह लिखित रिपोर्ट बनाकर प्रदेश कांग्रेस कमेटी को सौंपे. इससे पहले कांग्रेस में इंटरनल इन्वेस्टिगेशन भी शुरू हो चुका है. इससे यह स्पष्ट हो जाएगा कि कौन सी खामियों की वजह से कांग्रेस को मध्य प्रदेश में पराजय का सामना करना पड़ा.
दरअसल, चुनाव से पहले कांग्रेस की ओर से कम से कम आधी सीटें जीतने का दावा किया जा रहा था. पार्टी हाईकमान को बड़े नेताओं से जीत की उम्मीदें थी. युवा बड़े नेताओं से जीत की उम्मीदें थी. युवा टीम के हाथ प्रदेश की कमान सौंपी गई थी लेकिन इसके बाद भी करारी हार का सामना पार्टी को करना पड़ा. ऐसा क्यों हुआ अब इसे लेकर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने बैठक बुलाई है. इस मंथन बैठक में हार के कारणों पर चर्चा की जाएगी.
कमलनाथ, दिग्विजय, कांतिलाल की हार पर भी होगी समीक्षा
बैठक में फ्रंटल ऑर्गेनाइजेशन और विभागों, 40 से अधिक प्रकोष्ठों और विधानसभा प्रत्याशियों ने आपके लिए क्या काम किया? किसने मदद की और किसने नहीं की? किस-किसने भितरघात किया, कौन-किस ग्रुप से जुड़ा है? इन सभी बिंदुओं पर चर्चा होगी. सूत्रों का कहना है कि बैठक में कमलनाथ, दिग्विजय और कांतिलाल भूरिया जैसे सीनियर नेताओं की हार पर भी चर्चा होगी. इस बात पर भी मंथन होगा कि चुनाव के दौरान हुई टूट-फूट और नेताओं के पलायन नीति ने पार्टी को कितना नुकसान पहुंचाया. पीसीसी चीफ इस बैठक में जमीनी कार्यकर्ताओं और क्षेत्रीय नेताओं के चुनाव के दौरान प्रदर्शन पर भी जवाब मांगेंगे.
बड़े स्तर पर होगा बदलाव, काम करने वाले को ही मिलेगी जगह
युवा कांग्रेस, महिला कांग्रेस सहित पूरी कांग्रेस में जून महीने में बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है. जीतू पटवारी प्रदेश कांग्रेस कमेटी के साथ ही महिला कांग्रेस, पिछड़ा वर्ग कांग्रेस, एससी-एसटी कांग्रेस, सभी विभाग प्रकोष्ठों में नई नियुक्तियां करेंगे. मुख्य कार्यकारिणी के साथ ही अब फ्रंटल ऑर्गेनाइजेशन और विभागों, प्रकोष्ठों में बदलाव किया जाएगा. हांलाकि इस बार टीम में दबाव से नाम नहीं जोड़े जाएंगे. पीसीसी चीफ ने साफ कर दिया है कि जो काम कर रहा है, उसे ही मौका दिया जाएगा. ऐसे में जमीनी कार्यकर्ताओं को संगठन में मौका मिल सकता है.