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Madhya Pradesh: रीवा के संजय गांधी अस्पताल में रात भर भटकने के बाद भी नहीं मिला इलाज, सुबह मरीज के साथ कलेक्ट्रेट कार्यालय पहुंचे परिजन

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प्रतीकात्मक तस्वीर

Madhya Pradesh News: विंध्य के सबसे बड़े अस्पताल संजय गांधी में इलाज के लिए आम जनता परेशान है. कहने के लिए तो यहां जिला अस्पताल, मेडिकल कॉलेज व सारी सुविधाओं से युक्त सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल है. लेकिन मरीजों का इलाज करने वाला कोई नहीं है. ऐसा ही एक ताजा मामला देखने को मिला की अमरपाटन से इलाज के लिए रीवा लाया गया एक बुजुर्ग बीती रात से भटकता रहा और जब आज दोपहर तक उसे इलाज नहीं मिला तो उसके परिजन मरीज को लेकर कलेक्ट्रेट कार्यालय पहुंच गए.

दरअसल दो माह पहले मरीज के ब्रेन का ऑपरेशन मुंबई में हुआ था. बीती रात अचानक तबीयत बिगड़ने पर परिजन रीवा के संजय गांधी अस्पताल लेकर पहुंचे जहां से डॉक्टरों ने उन्हें सुपर स्पेशलिटी अस्पताल भेज दिया. यहां भी अस्पताल के कर्मचारी और डॉक्टर उन्हें इधर-उधर भटकाते रहे और जांच के नाम पर ढाई हजार रुपये खर्च भी हो गए.

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आयुष्मान कार्ड होने के बावजूद भी देने पड़े पैसे

बता दें कि मरीज के पास सरकार द्वारा जारी किए गए आयुष्मान कार्ड उपलब्ध था. बीती रात गंभीर हालत में इलाज कराने पहुंचें मरीज को दोपहर दो बजे तक न तो कोई डॉक्टर देखने पहुंचा और न ही कोई इलाज हुआ. जिसके बाद परिजन मरीज को लेकर कलेक्ट्रेट कार्यालय पहुंच गए. जहां शिकायत दर्ज कराने के बाद उन्हें इलाज के लिए वापस अस्पताल भेजा गया.

यहां देखने वाली बात यह है की प्रशासन रीवा को मेडिकल सुविधाओ में नंबर एक बनाने की कोशिश में जुटा हुआ है. अच्छी बिल्डिंग, मशीनें और चिकित्सक सहित अन्य आवश्यक जरूरते पुरी कर रहे हैं उसके बावजूद अस्पताल की व्यवस्थाओं में सुधार नहीं हो रहा. जिसमें प्रमुख तौर पर यहां के डॉक्टरों की लापरवाही सामने आती है.

मरीज और डॉक्टरों के बीच विवाद की स्थिति

मरीज को जब इलाज सही ढंग से नहीं मिल पाता तो अक्सर देखा जाता है कि परिजन इस बात पर आक्रोशित हो जाते हैं. जिसके कारण मरीज और चिकित्सकों के बीच आए दिन विवाद की स्थिति निर्मित होती है और इस विवाद के कारण अस्पताल आए दिन चर्चा में भी बना रहता है.

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