Punganur Cow: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने अपने निवास पर मकर संक्रांति के मौके पर पुंगनूर गायों को चारा खिलाया था, जिसकी तस्वीरें और वीडियो खूब वायरल हुए थे. अब उसी नस्ल की गाय का पहला जोड़ा मध्यप्रदेश के इंदौर में लाया गया है, जो इन दिनों चर्चा का विषय बना हुआ है. इंदौर के किसान सत्तू शर्मा गाय के जोड़े को आंध्रप्रदेश से खरीद कर लाए हैं, जिसके बाद उनके घर पर गाय देखने वालों का तांता लगा हुआ है.
गाय का नाम ‘गंगा’, बछड़े का नाम ‘शंभू’
इंदौर में गाय पालने के शौकीन सत्तू शर्मा पहलवान पुंगनूर का जोड़ा आंध्रप्रदेश से खरीदकर लगाए हैं. मां और बछड़े का ये जोड़ा करीब 1800 किलोमीटर का सफर तय करके 8 दिनों के बाद इंदौर पहुंचा. यहां आते ही गाय का नाम गंगा और बछड़े का नाम शंभू रखा गया. सत्तू शर्मा ने अपने बताया कि मध्यप्रदेश में पुंगनूर नस्ल का यह पहला जोड़ा है. वो अपने घर में इसे लाकर बहुत खुश हैं. साथ ही आस-पास के लोग भी नई और विश्व प्रसिद्ध गाय को देखने के लिए आ रहे हैं.
पुंगनूर गाय की खासियत
इस गाय के दूध से भगवान त्रिरूपति बालाजी का अभिषेक होता है और प्रसाद भी बनाया जाता है. वहीं पुंगनूर गाय के दूध में काफी औषधीय गुण होते हैं. यह पारंपरिक दवाई बनाने में भी अहम रहता है. इसका सिर्फ दूध ही नहीं बल्कि गोबर और मूत्र भी बेचा और खरीदा जाता है. गाय प्रतिदिन 4 से 5 लीटर दूध देती है. इन गायों को पालने का खर्च भी कम है और ये प्रतिकूल हालात भी झेल लेती हैं.
पुंगनूर गाय की कीमत
दुनिया भर में मशहूर पुंगनूर गाय की नस्ल काफी महंगी है. इसे खरीदने के लिए आपको 8 से 25 लाख रुपये तक खर्च करने पड़ सकते हैं. इसे दुनिया की सबसे छोटी गाय माना जाता है. दरअसल, छोटी हाइट वाली पुंगनूर गाय चर्चा का विषय रहती हैं. इन्हें आप अपने घर में आराम से रख सकते हैं. क्योंकि इसकी हाइट 2 फीट होती है.
विलुप्त हो रही हैं पुंगनूर गाय
देश में इन गायों की संख्या सिर्फ 1000 के आस पास ही रह गई है. जानकार बताते हैं कि कम दूध देने की वजह से ग्वालों ने इन्हें पालना कम कर दिया. जिसकी वजह से इनकी संख्या कम होती चली गई. वहीं इसी साल मकर संक्रांति पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसी नस्ल की गाय को चारा खिलाया था. इसके बाद एक बार फिर पुंगनूर गाय को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिल गई और उनकी डिमांड बढ़ रही है. ऐसे कई स्थानों पर इनकी ब्रीडिंग भी शुरू हो चुकी है. ये 25 लाख रुपये की कीमत तक में बेची जा रही हैं, जिससे इनकी संरक्षण की प्रक्रिया में भी सहारा मिल रहा है.