Ram Mandir: ‘है कौन विघ्न ऐसा जग में, टिक सके वीर नर के मग में, खम ठोंक ठेलता है जब नर, पर्वत के जाते पाँव उखड़, मानव जब जोर लगाता है, पत्थर पानी बन जाता है…’ राष्ट्रकवि दिनकर की यह पंक्ति वर्तमान समय में भी तब यथार्थ का रूप ले लेती है, जब मध्य प्रदेश के ऐतिहासिक जिले रीवा से एक युवा आगे आता है और यह निश्चय करता है कि ठिठुरन से भरे इस मौसम में भी वह दिल्ली से अयोध्या तक की दूरी, जो लगभग 680 किलोमीटर के करीब है, मात्र 3-4 दिन में साइक्लिंग के जरिए तय करेगा.
सुनने में ही असंभव से लगने वाले इस कार्य को करने की कल्पना, भगवान रामलला के प्रति सच्ची श्रद्धा और मानव के दृढ़निश्चय का ही प्रतीक हो सकती है. इस युवा का नाम अमन मिश्रा है. ये मध्यप्रदेश के रीवा जिले के निवासी हैं. पेशे से ये इलेक्ट्रिकल इंजीनियर हैं, मगर एथलेटिक्स के प्रति इनका पुराना प्रेम फिर से जाग उठा है.
बास्केट बॉल प्लेयर रह चुके हैं अमन
बता दें की दसवीं और 12वीं की पढ़ाई के दौरान अमन स्टेट लेवल एथलीट और नोडल लेवल बास्केट बॉल प्लेयर रह चुके हैं. इनके हाथों मैप रीडिंग में गोल्ड मेडल भी है. समय के साथ अमन जिम्मेदारियों के बोझ में दबते चले गए और स्पोर्ट्स के साथ इनका प्रेम का बंधन टूट सा गया. लेकिन जिम्मेदारियां और समय मानव के मन को कितना दबा सकती हैं?
अपने आस-पास के युवाओं को सुस्त और हताश देख अमन के अंदर का स्पोर्ट्समैन एक बार बार फिर से जाग उठा. अमन ने निश्चय किया कि अब कुछ ऐसा करना होगा जिससे उनके उम्र के लोग जो सुस्त होकर बस पड़े रहते हैं और अपने युवा खून को ऐसे ही व्यर्थ बहाते रहते हैं, वो प्रेरणा लें और राष्ट्र-निर्माण में अपना महत्वपूर्ण योगदान दें.
अमन के सपनों की उड़ान को पंख तब लगे, जब अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का तारीख तय हुई. अमन ने निश्चय किया कि वह अपने दोपहिया वाहन यानी साइकिल के जरिए अयोध्या तक की दूरी तय करेंगे. अपने प्रभु श्रीराम से मिलेंगे और वहीं से युवाओं को संदेश देंगे कि उठो, जागो और अपने कर्तव्य पथ पर तब तक लगे रहो, जब तक उसे पूर्णतः हासिल न कर लो. अमन के इस प्रयास की खूब सराहना हो रही है.