Vistaar NEWS

महाकुंभ में BJP का सियासी ‘स्नान’, दलित और OBC वोटरों पर ऐसे मजबूत कर रही पकड़

Maha Kumbh 2025

महाकुंभ

Maha Kumbh 2025: उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में महाकुंभ मेला 2025 की शुरुआत हो चुकी है, जिसमें देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु संगम में आस्था की डुबकी लगा रहे हैं. यह धार्मिक आयोजन 45 दिनों तक चलेगा, और उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने इसे शानदार तरीके से आयोजित करने के लिए पूरी ताकत झोंकी है. लेकिन इसके साथ-साथ बीजेपी का एक और उद्देश्य है – दलित और ओबीसी समुदायों को अपनी ओर खींचने का.

महाकुंभ को ‘सामाजिक समता’ का प्रतीक बनाने की कोशिश

बीजेपी ने महाकुंभ के जरिए सामाजिक समता का संदेश देने की योजना बनाई है, खासकर उन समुदायों के लिए जो ऐतिहासिक रूप से उपेक्षित रहे हैं, जैसे अनुसूचित जाति (SC) और अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC). पार्टी ने निषाद समुदाय जैसे पिछड़े समुदायों पर विशेष ध्यान केंद्रित किया है, जो पहले बीजेपी से कुछ हद तक नाराज़ थे.

सीएम योगी आदित्यनाथ ने महाकुंभ को ‘सामाजिक समता का महापर्व’ बताया है. इसके समर्थन में सरकार ने कई पोस्टर भी जारी किए हैं, जिनमें प्रयागराज के श्रृंगवेरपुर में स्थापित निषाद राज पार्क में निषाद राज और भगवान राम की कांस्य प्रतिमा की तस्वीर दिखाई गई है. एक अन्य पोस्टर में 2019 के कुंभ के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सफाई कर्मचारियों के पैर धोते हुए नजर आ रहे हैं.

निषाद पार्टी और ओबीसी समुदाय की अहमियत

महाकुंभ का यह आयोजन बीजेपी के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि पार्टी की कोशिश है कि ओबीसी और दलितों का समर्थन हासिल किया जा सके, जो 2024 के लोकसभा चुनाव में यूपी में भाजपा की हार का कारण बने थे. राज्य में अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली समाजवादी पार्टी के समर्थन से ओबीसी और दलित वोटरों ने भाजपा से मुंह मोड़ लिया था. बीजेपी अब इन वोटरों को अपने पक्ष में लाने के लिए महाकुंभ का मंच इस्तेमाल कर रही है.

यह भी पढ़ें: उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने वाला महाकुंभ, योगी सरकार की होगी जबरदस्त कमाई!

निषाद समुदाय पर विशेष फोकस

योगी आदित्यनाथ ने निषाद समुदाय को सम्मानित करने के लिए विशेष कदम उठाए हैं. निषाद पार्टी के प्रमुख संजय निषाद, जो यूपी सरकार में मंत्री हैं, इस पहल का हिस्सा हैं. उनकी पार्टी ने निषाद समुदाय के लिए कई योजनाओं का समर्थन किया है, और बीजेपी का यह कदम उनके रिश्तों को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है.

महाकुंभ में विभिन्न जातियों और वर्गों के लोग संगम में एक साथ स्नान कर रहे हैं, और इस सांस्कृतिक मेलजोल को सामाजिक समता का सबसे बड़ा उदाहरण बताया जा रहा है. योगी आदित्यनाथ ने इसे ‘आस्था, समता और एकता का महासमागम’ कहा है. उन्होंने इस अवसर पर यह भी कहा कि सफाई कर्मचारियों के लिए प्राथमिक विद्यालय शुरू करने की योजना को लागू किया गया है, ताकि उनके लिए शिक्षा और सम्मान की राह खुल सके.

प्रधानमंत्री मोदी का संदेश

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महाकुंभ के आयोजन को “एकता का महायज्ञ” कहा था. उन्होंने प्रयागराज के निषाद राज पार्क में भगवान राम और निषाद राज की प्रतिमा का उद्घाटन भी किया था. पीएम मोदी ने 2019 के कुंभ में सफाई कर्मचारियों के प्रति आभार व्यक्त किया था.

महाकुंभ मेला न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि बीजेपी के लिए एक राजनीतिक मंच भी बन चुका है, जहां वे दलित और ओबीसी समुदायों को अपने पक्ष में करने की पूरी कोशिश कर रही है. इस आयोजन के माध्यम से पार्टी यह संदेश देना चाहती है कि वह समाज के हर वर्ग को समान सम्मान देती है और उनकी उन्नति के लिए काम कर रही है.

Exit mobile version